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शुक्रवार, 31 मई 2013

वसिअतनामा




सु०केँ व्याह दूतीवरसँ भेलन्हि | हुनक बएससँ करीब बीस बर्खक बेसी हुनक वर | हुनक वरकेँ पहिलुक कनियाँसँ एकटा बारह बर्खक बेटा | व्याहक पाँच वर्ख बादो सु०केँ एखन धरि कोनो संतान नहि | अपन माएक आग्रहपर सु० दू दिनक लेल अपन नैहर एली | एहिठाम माएकेँ केशमे तेल दैत –
सु० केर छोट भाइ, “दीदीसँ पैघ पतिवरता स्त्री आइकेँ दुनियाँमे कियो नहि होएत |”
सु०, “ ई एनाहिते कहैत छैक |”
छोट भाइ, “नहि गे माए, दीदीकेँ देखलहुँ अपन बुढ़बा वरकेँ एतेक सेवा करैत जतेक आजुक समयमे कियोक नहि करतै | नहबैत-सुनाबैत तीन तीन घंटापर हुनका चाह नास्ता भोजन दैत भरि दिन हुनके सेवामे लागल आ हुनकासँ कनी समय भेटलै तँ हुनक बेटामे लागल अपन देहक तँ एकरा सुधियो नहि रहै छै |”
सु०, “एहन कोनो गप्प नहि छै आ नहि हम कोनो पतिवरता छी | ओ तँ, ओ अपन वसिअतनामा बनोने छथि जेकर हिसाबे हुनक एखन मुइलापर हुनक सभटा सम्पतिकेँ मालिक हुनक बेटा होएत | आ जखन हमरा एकगो संतान भए जाएत तखन हुनक सम्पति, हुनक पहिलका बेटा आ हमर संतान दुनूमे बराबर बटा जाएत ताहि दुवारे बुढ़बाकेँ एतेक सेवा कए कऽ जीएने छी जे कहुना कतौसँ एकटा बेटा की बेटी भऽ जे नहि तँ एहेन बुढ़बाकेँ के पूछैए |”

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