मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

शुक्रवार, 31 मई 2013

वसिअतनामा




सु०केँ व्याह दूतीवरसँ भेलन्हि | हुनक बएससँ करीब बीस बर्खक बेसी हुनक वर | हुनक वरकेँ पहिलुक कनियाँसँ एकटा बारह बर्खक बेटा | व्याहक पाँच वर्ख बादो सु०केँ एखन धरि कोनो संतान नहि | अपन माएक आग्रहपर सु० दू दिनक लेल अपन नैहर एली | एहिठाम माएकेँ केशमे तेल दैत –
सु० केर छोट भाइ, “दीदीसँ पैघ पतिवरता स्त्री आइकेँ दुनियाँमे कियो नहि होएत |”
सु०, “ ई एनाहिते कहैत छैक |”
छोट भाइ, “नहि गे माए, दीदीकेँ देखलहुँ अपन बुढ़बा वरकेँ एतेक सेवा करैत जतेक आजुक समयमे कियोक नहि करतै | नहबैत-सुनाबैत तीन तीन घंटापर हुनका चाह नास्ता भोजन दैत भरि दिन हुनके सेवामे लागल आ हुनकासँ कनी समय भेटलै तँ हुनक बेटामे लागल अपन देहक तँ एकरा सुधियो नहि रहै छै |”
सु०, “एहन कोनो गप्प नहि छै आ नहि हम कोनो पतिवरता छी | ओ तँ, ओ अपन वसिअतनामा बनोने छथि जेकर हिसाबे हुनक एखन मुइलापर हुनक सभटा सम्पतिकेँ मालिक हुनक बेटा होएत | आ जखन हमरा एकगो संतान भए जाएत तखन हुनक सम्पति, हुनक पहिलका बेटा आ हमर संतान दुनूमे बराबर बटा जाएत ताहि दुवारे बुढ़बाकेँ एतेक सेवा कए कऽ जीएने छी जे कहुना कतौसँ एकटा बेटा की बेटी भऽ जे नहि तँ एहेन बुढ़बाकेँ के पूछैए |”

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें