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रविवार, 12 मई 2013

विहनि कथा - महत्व

आइ ट्रेनमे बेसीए भीड़ छलै ।दुर्गा पूजा, छठि, दिवाली सन पावनि एक्कै मासमे होइ बाला छै ।परदेशसँ साल-साल भरि बाद गाम घूरि रहल मजदूरसँ ट्रेन भरल छलै ।जेनरल आ रिजर्वेसनमे कोनो अन्तर नै ।रसे-रसे सबारी गाड़ी सन बढ़ैत सुपरफास्ट ट्रेन कोनो टीसनपर थम्हलै ।एकटा 20-22 वर्षक गोर-नार लड़की अपन सीटसँ उठि गेल ।एते देरसँ जाँघपर राखल झोड़ाकें नुरिया कऽ बर्थक तऽरमे राखि देलकै ।इम्हर-उम्हर ताकैत पर्स टाँगि ट्रेनसँ उतरि गेल ।अपन गन्तव्य दिश बढ़ैत ट्रेन सब टीसनपर खाली होइत गेलै ।एकाएक ओहि सीटक नीच्चाँसँ नेनाक चित्कार सुनाइ देलकै ।झटपटमे यात्री झोड़ाकें ताकि खोललक ।ओहिमे 10-15 दिनक एकटा कन्या कानि रहल छलै ।यात्री परेशान भऽ गेल जे आब की करी ।लाख प्रयासक बादो कननाइ बन्द नै भेलै ।तखने एटका कुजरनी ओकरा अपन छातीसँ सटा लेलकै ।कननाइ बन्द भऽ गेल आ दूध पीबाक स्वर तीब्र ।कुजरनीक मैल, माहकैत आँचरक तऽरसँ निकलैत ओ स्वर धिक्कारि रहल छल एकर असली माएकें आ बता रहल छल मामता भरल माएक महत्व ।

अमित मिश्र

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