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मंगलवार, 7 मई 2013

हमर ई मतलब नै छल

एकटा लड़का अपन होइ बाली पत्नीकें देखबाक लेल गेल । ओकरा सुन्दर लड़की चाही छल आ ओ लड़की बहुत बेसी खूबसूरत छली ।लड़का अपन पत्नीक रूपमे एकटा सुशील, कर्मठ आ सर्व गुण समपन्न लड़की चाहैत छल ।ओ चाहै छल जे लड़की ओकर माँ-बाबूकें जानसँ बढ़ि कऽ प्रेम आ सेवा करै, परञ्च बढ़ैत फैसनक दौरमे एहन लड़कियोंसँ ओ डरै छल जे एसगर रहनाइ पसन्द करैत अछि, तें ओ किछु प्रश्न पुछबाक विचार केलक ।लड़का पुछलक,  "असलमे व्याहक बाद हम माँ-बाबूकें छोड़ि कऽ एसगर रहऽ चाहैत छी ।एहि बारेमे अहाँक की सोच अछि? ऐमे अहाँ हमर पत्नीक रूपमे संग देब ने ?"
लड़की गर्वसँ बाजल,  "अहाँक जे सोच अछि ओहिसँ ठीक उल्टा हम सोचै छी। हम अपन माए-बापक संग रहनाइ पसीन करब ।"
लड़काकें लागलै जे लड़की जानि -बूझि कऽ एहन बात बाजल किएक तँ आइ-काल्हिक लड़की केवल अपन पतिक संग रहनाइ पसीन करैत अछि  ।इहे  सोचि ओ एकटा नव नाटक केलक ।ओ ठाढ़ भऽ गेल आ बाजल- तऽ हम अहाँसँ व्याह  नै कऽ सकब ।
लड़कियो ठाढ़ भऽ गेल आ कड़कि कऽ बाजल , "अहाँ की, अहाँसँ हम व्याह  नै करऽ चाहै छी ।जे अपन माए -बापकें नै भऽ सकलै, ओ हमर की हेतै ।"
ई कहि कऽ लड़की जाए लगल ।आब तँ लड़काक पएरक नीच्चाक  धरती घुसकि गेलै ।दिमाक ठीक भऽ गेलै ।ओ लड़कीकें मनेबाक प्रयासमे लागि गेल ।लड़का नै चाहैत छल जे लड़कीकें एहि नाटक आ झूठक कारण पता चलै ।लाख मनेलाक बादो लड़की नै मानल ।अन्तमे ओकरा एहि झूठक रहस्य बतबऽ पड़लै ।दुनू खुश भऽ गेल आ एक संग बाजल, "असलमे हमर ई मतलब नै छल।"
सुनि दुनू एक दूसरकें देख कऽ मुस्कुराए लागल ।लड़का बूझि गेल जे लड़कियो झूठ बाजै छल आ उहो अलग रहऽ चाहै छल ।लड़का व्याहसँ मना करऽ चाहैत छल मुदा सुन्दर पत्नी रूपी लड़कीकें संग देख मातृ-पितृ सेवा बिसरि अलग रहैक लेल तैयार भऽ गेल ।

अमित मिश्र

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