मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

गुरुवार, 23 मई 2013

गंगा स्नान

"एहि बेर तँ गंगा असनान कैये लिअ काकी ।"बलहाबाली लाल काकीकें एहि बेरक कुम्भक महिमाक बखान करैत कहलनि ।अन्तमे लाल काकी तैयार भऽ गेलनि ।निश्चित दिन जीपसँ दरभंगा आबि गेलनि ।
गाड़ी आबैमे देरी छलै तें टीसनसँ बाहर आबि गेलनि ।तखने देखैत छथि जे तीन टा पुलिस एकटा बीस-बाइस वर्षक नवयुवककें लठियाबैत लऽ जाइत छल ।युवक चिचियाइत छल "हम छात्र छी, पाकेटमार नै ।हम किछु नै केलौं ।छोड़ि दिअ . . ."
पुलिस ओकरा फटकारैत कहलकै "उ तँ हमरो पता है ।लेकिन रुपैया दो तखन छोड़ेगा ।"
काकीकें रहल नै गेलै ।गंगा स्नान लेल जे पाइ छल सब पुलिसकें दऽ युवककें छोड़ा लेलनि ।युवककें पुछलापर कहलनि "तोरामे हमर भुतलाएल बेटा देखाइ देलक तें हम तोरा छोड़ेलिअ ।"
ई कहि लाल काकी पाइक खगतामे पएरे गाम दिश चलि देलनि ।

अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें