की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। sadhnajnjha@gmail.com पर e-mail करी Or call to Manish Karn Mo. 91 95600 73336

गुरुवार, 16 मई 2013

गजल

रौद आ बिहाड़िसँ जे लड़ल अछि एहि ठाम
ओतबे गाछ पैघ भऽ बचल अछि एहि ठाम

भूखल छथि राति दिन जाहि लेल गरीब यौ
किनको खरिहानमे सड़ल अछि एहि ठाम

एहि टेक्निकल युगमे बी ए केने होएत की
एम ए कऽ गाम गाम पड़ल अछि एहि ठाम

जे विपत्तिमे धैर्य राखि लागल अछि काजमे
ओ नभमे चान बनि सजल अछि एहि ठाम

भ्रष्टाचारी शासनमेँ बीकल सरकारी सीट
चुप्पी मारि लोक घरे सूतल अछि एहि ठाम

गेल युग श्रवणकेँ माँ बापक कोनो मोले नै
बूढ़ पूराण पूतसँ डरल अछि एहि ठाम

(सरल वार्णिक बहर ,आखर -१७)
© "बाल मुकुन्द" ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें