रौद आ बिहाड़िसँ जे लड़ल अछि एहि ठाम
ओतबे गाछ पैघ भऽ बचल अछि एहि ठाम
भूखल छथि राति दिन जाहि लेल गरीब यौ
किनको खरिहानमे सड़ल अछि एहि ठाम
एहि टेक्निकल युगमे बी ए केने होएत की
एम ए कऽ गाम गाम पड़ल अछि एहि ठाम
जे विपत्तिमे धैर्य राखि लागल अछि काजमे
ओ नभमे चान बनि सजल अछि एहि ठाम
भ्रष्टाचारी शासनमेँ बीकल सरकारी सीट
चुप्पी मारि लोक घरे सूतल अछि एहि ठाम
गेल युग श्रवणकेँ माँ बापक कोनो मोले नै
बूढ़ पूराण पूतसँ डरल अछि एहि ठाम
(सरल वार्णिक बहर ,आखर -१७)
© "बाल मुकुन्द" ।।
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