मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

शुक्रवार, 24 मई 2013

डेराउन चिन्ता

बड़की टा हवेलीक बड़का आँगनमे भाए-बहिन खेलैमे व्यस्त अछि ।भाए डकैतक आ बहिन बटोहीक अभिनय कऽ रहल छल ।भाए बहिनकें पकड़ैत बाजल " सुन बटोही, जतेक पाइ, सोना-चानी छौ सबटा निकाल ।नै तँ एतै टपका देबौ ।"
बहिन कानैत बाजल "हमरा लऽग किछु नै छै ।हमरा छोड़ि दे ।"
भाए भरिगर आवाजमे "छोड़ि कोना देबौ ।संगमे नै तँ घरपर हेतौ ।चल घर ओतै दऽ दिहें ।"
बहिन जोरसँ कानैत "नै नै ।हमरा घरोपर तोरा दै बाला किछु नै छै ।धन स्वरूप मात्र माँ-बाबू छथि ।"
भाए बहिनकें छोड़ैत बाजल "दुर, सबसँ पैघ भीखमंगा तूँ छें ।माँ-बाबू लऽ कऽ की हम अचार बनेबै, राख अपने लऽग ।
दुनूक वार्तालाप सूनि बगलमे बैसल माए-बापकें भविष्यक डेराउन चिन्ता धऽ लेलकै ।

अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें