मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

बुधवार, 5 जून 2013

भगवानक रूप


हम ऑफिस जाइ लेल निकलिते रही कि एकटा भीखमंगा आबि गेल ।शुभ-शुभ बात बाजैत भीखक माँग केलक ।हम कनियाँकेँ सोर केलियै आ किछु बचल-खुचल रोटी-तरकारी दऽ दै लेल कहलियै ।ओ घरमे गेली आ हमरा लेल बनाओल गेल भात-दालि, तरूआ-पापड़, चटनी थारीमे साजि भीखमंगाकेँ दऽ देलनि ।भीखमंगा परसन लऽ लऽ कऽ खेलक ।ओकरा गेलाक बाद पता चलल जे सबटा भोजन खतम भऽ गेलै ।हम कनियाँपर तमसाए लागलियै तँ ओ कहलनि "नै बुझलियै, अतिथि भागवानक रूप होइ छै तेँ ओकरा बासी कोना कऽ दितियै ।"
हम तामसे आँखि गुड़ेड़ैत कहलियै "ओ भीखमंगा छल भगवान नै ।ओनाहितो स्त्री लेल पति परमेश्वर होइ छै ।
ओ मुस्कैत कहलनि " भगवानक कोनो रूप होइ छै, ओ तँ कोनो रूप धऽ आबि सकै छथि ।दोसर जे पति धरतीपर परमेश्वर छथि, मुइलाक बाद तँ भगवाने मोक्ष देथिन आ ओ भगवान भीखमंगे होइथ ?
हम बिना किछु बाजने भूखले ऑफिस चलि गेलौं ।

अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें