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मंगलवार, 19 जून 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट


नीरास जिनगीक अहिं हमर नव आस छी
हम विहिनी कथा अहाँ हमर उपन्यास छी

हम पतझर बगिया केर मुर्झाएल फुल
अहाँ रजनीगंधा गुलाब फूलक सुवास छी

हम नीम गाछ तित अछ हमर सभ पात
मधुर फल में अहाँ सभ फल सं मिठास छी

कर्मक मरल छलहूँ हम जग सं हारल
नीरसल जीनगीक अहिं हमर पियास छी

देखलौं बड खेला ई जग अछि स्वार्थक मेला
स्वार्थक संसार में अहिं निस्वार्थ विस्वास छी

साँस लेब छल मुश्किल छलहूँ हम वेजान
इ बांचल प्राण "प्रभात"अहिं हमर साँस छी

--------वर्ण-१७---------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

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