मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

शुक्रवार, 29 जून 2012

अनाथ

अस्सी बरखक सोमनाथजी  भरल-पुरल संसार छोरि अपन प्राण विशर्जन कए लेला | सभ मनोकामना पूर्ण तैयो सांसारिक मोह मायासँ बान्हल, सभ कियो हुनक मृत देहकेँ चारू कात घेरने, दुखी, व्याकुल, कनैत |
दूटा बेटा, दुनूक पुतौह, पोता-पोती सभ संगे, खाली बड़का बेटा मुंबईमे नोकरी करैत | हुनको तीन चारि दिन पहिले   सोमनाथजीक  बिगरल स्वास्थकेँ बाबत फोन भए गेल रहनि आ ओ गाम हेतु बिदा सेहो भए गेल रहथि | आब कोनो घड़ी आबि सकैत छलथि |
सोमनाथजी बड़का बेटाक आगमन | हुनका आबैत देरी सभ समांगक कननारोहटमे बिरधि भए गेलनि | हुनकर छोट भाइ  हुनका देखते देरी  भरि  पाँज  कए  पकरि कनैत, "भईया --- बाबू छोरि चलि गेला हुं-हुं ..... आबकेँ देखत ... "
बड़का छोटकाकेँ करेजसँ लगेने हुनक पीठकेँ सिनेहसँ सहलाबैत, "नै रे तूँ  किएक कनै छें, तोरा लेल तँ एखन हम जीबैत छीयौक तोहर सभ  कीछु  | अनाथ तँ आइ  हम भए गेलहुँ, माए चारि बर्ख पहिले चलि गेली आ आइ बाबूओ...."
*****
जगदानन्द झा 'मनु'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें