मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

गुरुवार, 21 जून 2012

गजल

आई काईल क' प्रेम प्रीत एकटा जेना खेल भ' गेल छैक 
शहेर बंबई केर बड़ा पाव आ पूरी भेल भ' गेल छैक 

एकटा क' आंखि सौं दोसर ,तेसर क' कहल प्रेम अहिं सौं
लागै अछि जेना कोनो वस्त्र आभुषनक सेल भ' गेल छैक

नै बुझै माई बहिन नै बुझै काकी मामी भठल छै ई जुग
कहू कतेक यौ नरको में जेना ठेलम ठेल भ' गेल छैक

की बुढ्बा की जुअनका अधेर बालक त' आरो बिगरल
जेना बुझा रहल बिनु टिकट क' कोनो रेल भ' गेल छैक

कहुना अहाँ बचा क' राखु ''रूबी'' बेटी पुतहु केर लाज क'
ई भठीयेल जुग में विद्वानो त' बकलेल भ' गेल छैक

वर्ण --२२
रूबी झा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें