मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

शनिवार, 23 जून 2012

गजल

आखर-आखर छल छिड़िआयल जोड़ि देलंहु त गजल बनल
अपन कलम केर लाधल चुप्पी तोड़ि देलंहु त गजल बनल

भाव पृष्ठ पर शब्दक अरिपन पाईर रहल छी साँझ-परात
मोनक पट हम गजल रंग सँ ढोरि देलंहु त गजल बनल

गजल-गंग केर घाट गहिंरगर गोंत लगेलौं थाह ने भेटल
मन-प्रवाह दिश लगन नाह के मोड़ि देलंहु त गजल बनल

टीस उठल किछु मोन पड़ल हम काइन क नोरे-नोर भेलंहु
पांइत-पांइत के नोरक पोखरि बोरि देलंहु त गजल बनल

वर्ण-पंखुड़ी शब्द-सुमन सँ पांइतक माला गाईथ रहल हम
शब्द के भावक सरस सरोवरि घोरि देलंहु त गजल बनल

रंग रदीफक सजल काफिया बहरक लय मतला-सँ-मकता
बुइध के परती - उस्सर धरती कोड़ि देलंहु त गजल बनल

छूटल- टूटल -रूसल सभ किछु गजल-बाट पर संगी आखर
"नवल" गजल कहबा पाछा जग छोड़ि देलंहु त गजल बनल

----- वर्ण - २५ -----
►नवलश्री "पंकज"◄  
गजल संख्या- -१ 
< १९.०६.२०१२ >

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें