गर्मीक छुट्टीमे बाबाक पोता
जे की दिल्लीमे कोनो प्रतिष्ठित काज करै छला, गर्मी बिताबै आ आम खेबाक इक्छासँ गाम एला |
ओहो गामक परम्पराक निर्वाह करैत भगवतीक दर्शन कए
क' एला | एला बाद दलानपर बैसल बाबा संगे गप सप
होइत रहलै | गपक
बिच संजय बाबासँ पुछलथि, " बाबा अहाँ भगवती घर नहि जाइ छियैक |"
बाबा,
"नहि "
संजय,
"किएक"
बाबा,
"हौ बौआ, भगवती घर तँ सभ कियोक जाइत अछि, मुदा भगवती केकरो-केकरो घर जाइ छथिन | हम अपन मन आ स्वभाबकेँ एहेन बनाबैक
प्रयासमे छी जे भगवती हमर घर आबथि |"
संजय
बाबाक मुँहसँ एहेन दार्शनिक गप सुनि अबाक रहिगेल आ सोचय लागल जे की ओकर मन आ स्वभाब
एहेन छैक जे कहियो भगवती ओकर घर एती ? आ ओकर अबाक रहैक कारण रहै शाइद
नहि |
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जगदानन्द
झा 'मनु'
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