मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

रविवार, 1 जुलाई 2012

गजल



कथिले अहाँ हमरा सं घुंघटा में मुह नुकौने छि गोरी
हम तं अहाँक दीवाना अहिंक दिल में बसौने छि गोरी

कने घुंघटा उठा दिय आ चान सनक मुह देखा दिय
मधुर मिलन केर वेला में किएक तरसौने छि गोरी

वित् जाएत अनमोल राति मिझ जाएत दिया के वाती
फेर सुहागराति अहाँ नखरा किएक देखौने छि गोरी

"प्रभात" के सब्र बान्ह आब टुटल जारहल अछि गोरी
लाजक चादर ओढ़ी हमरा किएक तडपौने छि गोरी

वर्ण-21.
रचनाकार- प्रभात राय भट्ट  : गजल संख्या -५८

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें