की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

हाइकू

हाइकू


तप्पत माटि
तड़पि रहल छै 
बरखा लेल । 

बुन्नी झहरै
सगरो पसरल
माटिक गंध ।

गरदा-बुन्नी
दुनु संग सानल
माटिक लड्डू ।

देखू देखिते
पोखरि बनि गेल
खेत-पथार ।

डोका- कांकौड़
लऽ लऽ छपकुनिया
बीछय सभ ।

धानक बीया
उजरल बिड़ार
खेत रोपेतै ।

खूब उपजा
भरि जैत बखारी
रीन-उरीन ।

ककरो लेखे
देवक वरदान
हेतैक मुदा !

ककरो घर
गर-गर चूबय
सड़ल चार !

*पंकज चौधरी (नवलश्री) *
< ०६.०७.२०१२ >

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें