मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

शुक्रवार, 6 जुलाई 2012

हाइकू



तप्पत माटि
तड़पि रहल छै 
बरखा लेल । 

बुन्नी झहरै
सगरो पसरल
माटिक गंध ।

गरदा-बुन्नी
दुनु संग सानल
माटिक लड्डू ।

देखू देखिते
पोखरि बनि गेल
खेत-पथार ।

डोका- कांकौड़
लऽ लऽ छपकुनिया
बीछय सभ ।

धानक बीया
उजरल बिड़ार
खेत रोपेतै ।

खूब उपजा
भरि जैत बखारी
रीन-उरीन ।

ककरो लेखे
देवक वरदान
हेतैक मुदा !

ककरो घर
गर-गर चूबय
सड़ल चार !

*पंकज चौधरी (नवलश्री) *
< ०६.०७.२०१२ >

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें