की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

हम भन्ने नहिं छी (हास्य)



हम भन्ने नहिं छी 
--------तथाकथित कवि
नईं त आई हमहुं रहितहुं
साहित्यक अन्हार कोना में
छल-बल लोकक कोनो खेमा में !

हम भन्ने नहिं छी 
------- कोनो साहित्यकार
नईं त आई हमहुं लड़ितहुं
पुरस्कार तुरस्कार के लेल
अहि संग देय टाका के लेल।

हम भन्ने नहिं छी
---------- कोनो कथाकार
नईं त आई हमहुं लिखतहुं
पुरस्कार लोलुपक खिस्सा
खएतहुं गायरक अप्पन हिस्सा !

हम भन्ने नहीं छी
प्रगतिशीलताक कोनो पुरोधा
नहिं त हमहुं पतीत होयतहुं
सब सर्वहारा वर्गक नाम पर
लोक पीठ थपथपी ईनाम पर ।

हम भन्ने नहीं छी
कोनो पत्रिकाक पाठक
नहिं त हमरो मन में रहैत
रचना छपबावक सेहन्ता
फ़ुसफ़ुसिया आ व्यर्थक चिन्ता !


---- भास्कर झा 17 जुलाई 2012

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें