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मंगलवार, 3 जुलाई 2012

गजल


कोना कहू हम आई एतेक मजबूर किएक
प्रीतमक विछोड आई हमरा मंजूर किएक

हम तकैत रहिगेलौं नयन सं नयन मिला
छोड़ी हमरा चलिगेल प्रीतम निठुर किएक

दोष हुनक नै कोनो दोष अछि सभटा हमरे
आई बुझलौं हमरा में एतेक गुरुर किएक

ओ जान प्राण सं प्रेम करैत छलि हमरा सं
हम सदिखन रहलौं हुनका सं दूर किएक

हम परैख नहि सकलौं हुनक निश्च्छल प्रेम
आई बिछोड पीड़ा सं दिल हमर चूर किएक

आई हुनक डगर के हर मोड़ अछि अलग
हुनक जीनगी में बनब हम बबुर किएक

"प्रभात क "दिन भेल दुर्दिन प्रीतम अहाँ विनु
अहाँक सपना हम केलौं चकनाचूर किएक

वर्ण-१८
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट  : गजल संख्या -५९

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