मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। कृपया एहि ब्लॉगकेँ subscribe/ फ़ॉलो करब नहि बिसरब, जाहिसँ नव पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनिकेँ भेटैत रहत।

रविवार, 29 जुलाई 2012

बाल गजल


प्रस्तुत कऽ रहल छी हम अपन पहिल बाल गजल। ई गजल एकटा बाल मजदूरक पीडा पर आधारित अछि। अहाँ सभक प्रतिक्रियाक आकांक्षी छी।
बाल गजल
करबा नै मजूरी माँ पढबै हमहूँ
नै रहबै कतौ पाछू बढबै हमहूँ

हम छी छोट सपना पैघ हमर छै गे
कीनब कार जकरा पर चढबै हमहूँ

टूटल छै मडैया आस मुदा ई छै
सोना अपन छत कहियो मढबै हमहूँ

चारू कात पसरल दुखक अन्हरिया छै
कटतै ई अन्हरिया आ बढबै हमहूँ

पढि-लिख खूब सब तरि नाम अपन करबै
जिनगी "ओम" सुन्नर ई गढबै हमहूँ
दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ
(मफऊलातु-मफाऊलातु-मफाईलुन)- एक बेर प्रत्येक पाँति मे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें