संतप्त धरातल अछि
दुष्कृति स पाटल अछि
मनुख बिसारि स्वरुप
अनेड़ो फाटल अछि
तइयो नै जानि किया
ई मोन त पागल अछि
बदलत ई सब एक दिन
ई आश जे लागल अछि
निःशब्द ई धरती अछि
खेत पथार जे परती अछि
बिलटल उपजा बारी
रौदी जे छायल अछि
तइयो नै जानि किया
ई मोन त पागल अछि
उपजत ई सब एक दिन
ई आश जे लागल अछि
गाछ बृक्ष मूड़झायल अछि
बारी झाड़ी भकुआयल अछि
देख मनुख केर चालि-प्रकृति
विधनो के मोन घायल अछि
तइयो नै जानि किया
ई मोन त पागल अछि
पलटत ई सब एक दिन
ई आश जे लागल अछि
आशान्वित छी सदिखन
सम्हरत ई जनजीवन
रहला जौं दैव सहाय
पुरत सब आश फूलाय
विस्वास त जागल अछि
तैं मोन त पागल अछि
सुधरत ई सब एक दिन
ई आश त लागल अछि
राजीव रंजन मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें