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शनिवार, 14 जुलाई 2012

गजल



एक बेर नजैर मिला झूका लेलियै किए
मिला नैन सँ नैन अहाँ हाँसी देलियै किए

अहाँक किछु कहवाक मोन होइत छल
फेर किछु सोचि चुप भs अहाँ गेलियै किए

नाम तs नहि अछि बुझल अहाँक हमरा
मुदा नैन देख किछु सोइच लेलियै किए

सब दिन तs देखी अहाँक जाइत आबैत
आइ नै देख हम व्याकुल भs गेलियै किए

अहाँ सब दिन चुपे चाप चलि जाइत छी
आइ ''मुकुंद'' कने मुस्किया क गेलियै किए

वर्ण-१६
मुकुंद ''मयंक''

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