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बुधवार, 31 अक्टूबर 2012

परिभाषा

माएक मोन एकाएक बड खराप भऽ गेल ।गाममे एहि रोगक डाँक्टर नै छथि तँए एकटा मित्रक संग शहर एलौँ ।रवि दिन ,क्लिनिक बंद ।डाक्टर साहेबक डेरापर जाएबाक योजना बनल ।मुदा . . . ।
पिछला दू घंटासँ गली-गली भटकि रहल छी ।जालमे फँसल माछ जकाँ मोहल्ला भरिमे अहुरिया काटि रहल छी ।लोक सबसँ पूछि रहल छी ,मुदा . . .। डाँक्टर साहेबक डेरा नै भेटल ।मोन खौंझा गेल ।
मित्र बजलनि ,"जानबरसँ पूछि रहल छी तँए जबाब

नै भेटैत अछि ।"
ई सुनि एकटा लड़का रूकि गेल आ कहल ,"भाइजी एकरे नाम तँ शहर छै ।गामक लोक अगल-बगलकेँ दस गामक लोककेँ चिन्हैत अछि मुदा शहरमे बायाँ हाथ ,दायाँ हाथकेँ नै चिन्है छै ।एक फ्लैटमे जन्मदिन होइ छै आ दोसरमे श्राद्ध ,ककरोसँ कोनो मतलब नै ।शहर तँ शमसान थिक जतऽ तांत्रिक बनि लोक अपन स्वार्थपूर्तिक लेल तपस्या कऽ रहल छथि ।किओ ककरो खोज-खबरि नै लै छथि , नै तँ तपस्या भंग भऽ जेतै ।इएह तँ थिक शहरक परिभाषा ।"

इम्हर सह-सह करैत मनुखक बीच डेरा खोजबामे असमर्थ भेलहुँ आ उम्हर माएक साँसक डोर टूटल ।

सभार-www.videha.co.in

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2012

गजल

जैं मिथिला मे ई व्यवहार चलेति अछि
तैं बरक एखन व्यापार चलेति अछि

बेटा बला बेटा के हाट चढ़बैति छैक
लोक किनय लेल तैयार रहेति अछि

अहाँ जुनि पुछु गलती अछि किनकर
कहत पूर्वहि व्यवहार चलेति अछि

जौं मिसियो भरि कमी भ गेल दहेज में
कनियाँ बहुतेक हजार भेटेति अछि

तैं आईकाल्हि कोइखे में मारि देति अछि
आब सौंसे अहिना संसार चलेति अछि

एकर कारण सभ बैसि ताकय जाउ
दहेजक लोभी ई विचार चलेति अछि

सरल वार्णिक बहर
वर्ण - 15

नोट - मित्र के डायरी स लेल गेल ।

आशिक ’राज’

रुबाइ

राति में चान उगेति अछि जेहेन लागल
दिन में फूल खिलेति अछि तेहेन लागल
पूछलहूँ अहाँ , बिना देखने कोना कहब
आइना देखू आ कहू हमर प्रेयसी केहेन लागल

स्वप्न सुंदरी क लेल

आशिक राज

गजल


आँखिसँ नोर खसाबै छी किया एना
मोती अपन लुटाबै छी किया एना

खाली बातसँ भेंटत नै किछो एतय
तखनो बात बनाबै छी किया एना

सुनि बेथा तँ मजा लेबे करत दुनिया
बेथा अपन सुनाबै छी किया एना

अपने सीबऽ पडत फाटल करेजा ई
अनकर आस लगाबै छी किया एना

अमृतक घाट तकै छी बिखक पोखरिमे
अचरज "ओम" कराबै छी किया एना

(दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व) + (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ) + (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ)
(मफऊलातु-मफाईलुन-मफाईलुन)- १ बेर प्रत्येक पाँतिमे

सोमवार, 29 अक्टूबर 2012

गजल




जकर मोनक रावण नै मरलै
राम आजुक कोना ओ बनलै

डशल साँपक पइनो मंगै छै
डशल मनुखक कनिको नै कनलै 

गेल आँगन घर सभ पलटै छै
मोन भेटत कोना जे जड़लै

हाथ रखने सभतरि भस्मासुर 
निकलितो साउध बाहर डड़लै

छोड़ि ढेपापर चुगला 'मनु'केँ
शहर दिस नेन्ना भुटका भगलै

(२१२२-२२-२२२)

गजल


कहलियनि अपन दिल दिय कहलथि आई नै देब
हमर दिल क किछु दिय कहलथि एको पाई नै देब

अहाँ क नहिं अछि पसिन त  हमर दिल वापिस करु
ओ मुँह बना हँसेति कहलथि अँगुठा देखाई नै देब

पूछलियनि दिल ल के दिल नंिह दी कतुका इंसाफ छी
हमर मर्जी हम किछु करी कहथि छिरियाई नै देब

हमरा तामस उठल कहलियनि जाउ एहिठाम सॅ
आई क बाद कखनहँु अपन सूरत देखाई नै देब

कानेति शगि गेलीह तेखने आईधरि नै देखलियनि
एतबी कहलीह दर्द दएलौ एकर दवाई नै देब 

एतबी इच्छा बस एक बेरि कतौ ओ श्ेंटि श् जईतथि 
अपन सपथ खा क कहेति छी हुनका जाई नहिं देब

अहाँ सभ मीत थिकहँु हमर तखन एगो बात कहू
अंतिम समय क हमर अतिंम इच्छा पुराई नै देब

प्राण अटकल अछि हमर बस हुनका देखय लेल
कलजोडि़ कहि रहल आशिक की हुनका बजाई नै देब

सरल वार्णिक बहर
वर्ण - 21

आशिक ’राज’

बुधवार, 24 अक्टूबर 2012

पद्मश्री कथक नृत्यांगना शोभना नारायणक "उगना रे (विद्यापति)" २ नवम्बर २०१२ केँ



http://www.shovananarayan.com/ 2 November 2012 7.15 PM – 8.15 PM: Evening Performance: Ugana re: Vidyapati by Shovana Narayanan Indian Habitat Centre, Lodhi Road, New Delhi -- 110 003

उगना महादेव: महादेव (उगनारूपी) विद्यापतिक ऐठाम गीत सुनबा लेल उगना नोकर बनि रहै छलाह। मैथिलीक आदिकवि विद्यापति (ज्योतिरीश्वर पूर्व) आ विद्यापति ठक्कुरः (संस्कृत आ अवहट्ठक लेखक आ राजा शिवसिंहक दरबारी) दुनूसँ सम्बद्ध कऽ उगनाक ई कथा प्रसिद्ध भेल।

उगना कथा नीचाँ लिंकपर:
http://books.google.co.in/books/p/pub-4284676062876757?id=t7tSCqzl8AgC&printsec=frontcover&source=gbs_ge_summary_r&cad=0#v=onepage&q&f=false

https://www.facebook.com/media/set/?set=oa.145812495496887&type=1

शोभना नारायण: चित्र साभार विकीपीडिया

समन्वय २-४ नवम्बर २०१२ इण्डिया हैबीटेट सेन्टर भारतीय भाषा महोत्सव SAMANVAY 2-4 November 2012 IHC INDIAN LANGUAGES' FESTIVAL


 IHC INDIAN LANGUAGES' FESTIVAL
समन्वय २-४ नवम्बर २०१२ इण्डिया हैबीटेट सेन्टर भारतीय भाषा महोत्सव SAMANVAY 2-4 November 2012 IHC INDIAN LANGUAGES' FESTIVAL

-समन्वय २०१२: भारतीय लेखनक उत्सव:२-४ नवम्बर २०१२: (इण्डिया हैबीटेट सेन्टर भारतीय भाषा महोत्सव)
-एकर साइट अछि http://samanvayindianlanguagesfestival.org
-समन्वयक छथि सत्यानन्द निरूपम आ गिरिराज कराडू
-उत्सवक निदेशक छथि- राज लिबरहान
-उत्सवक एडवाइजरी बोर्डमे छथि-आलोक राय, के.सच्चिदानन्दन, लक्ष्मण गायकवाड, ओम थानवी, महमूद फारूकी, ममता सागर, रवि सिंह, सीतांशु यशचन्द्र, तेमशुला आओ।
-आयोजन कमेटीमे छथि- १.इण्डिया हैबीटेट सेन्टरक प्रोग्राम टीम, २.पारस नाथ, अनन्त नाथ।
-सहयोगी छथि, दिल्ली प्रेस आ प्रतिलिपि बुक्स।
-समन्वय २०११ मे मैथिलीक प्रतिनिधित्व केने रहथि- गंगेश गुंजन। http://samanvayindianlanguagesfestival.org/2011/gangesh-gunjan/



समन्वय २-४ नवम्बर २०१२ SAMANVAY 2-4 November 2012
 IHC INDIAN LANGUAGES' FESTIVAL
Venue: Indian Habitat Centre, Lodhi Road, New Delhi -- 110 003

http://samanvayindianlanguagesfestival.org/2012/schedule/
http://samanvayindianlanguagesfestival.org/2012/arvind-das/
http://samanvayindianlanguagesfestival.org/2012/gajendra-thakur/
http://samanvayindianlanguagesfestival.org/2012/udaya-narayana-singh/

SAMANVAY 2012
Venue: Indian Habitat Centre, Lodhi Road, New Delhi -- 110 003
2 November 2012
Afternoon
4.00- 4.30: Inauguration
By Chandrashekhar Kambar, Ratan Thiyam
4.45 – 5.45: Opening Session: Boli is Back
Speakers: Ratan Thiyam, Kashinath Singh, Gurvinder Singh, Nilesh Mishra
Moderator: Alok Rai
6.00 – 7.00: Opening Reading
Nabaneeta Dev Sen, Sitanshu Yashaschandra, Udaya Narayana Singh, Mamang Dai, Arun Kamal, Arjun Deo Charan, Narender Singh Negi
7.15 – 8.15: Evening Performance
Ugana re: Vidyapati by Shovana Narayanan
————————————————————————————————————————————————
3 Nov 2012
10.30-11.30: Manipuri: The Idea of Nation
Speakers: Yumlembam Ibomcha, Dr. Dhanabir Laishram, Bijoykumar Tayenjam
Moderator: Robin Ngangom
11.45-12.15: Interaction: Mapping Cities
Kashinath Singh, Laxman Gaikwad, Om Thanvi
12.30-1.30 Maithili: Love’s Own Language
Speakers: Uday Narayan Singh, Dev Shankar Naveen, Gajendra Thakur
Moderator: Arvind Das
2.30 -3.30 Kannada: Tales of Modernities: Small Spaces, Big Ideas
Speakers:Gopalkrishna Pai, Banu Mushtaq, B.T. Jahnavi
Moderator: Mamta Sagar
3.45-4.15 Interaction
Munawwar Rana
4.30-5.30 English: Where’s My Reader?
Speakers: Palash Krishna Mehrotra, Biman Nath, S.Hussain Zaidi, Madhuri Banerjee
Moderator: Jai Arjun Singh
5.45-6.30: Future of Indian Languages Publishing in Digital Era
Speakers:Akshay Pathak, Prem Prakash, Shiva Kumar
Moderator: Rahul Dixit
7.00-8.30 Evening Performance: Kashmiri Sufiyana Kalam
Gulzar Ahmad Ganie and party
————————————————————————————————————————————————————
4 November 2012
10.00-11.00 Oriya: Reclaiming Language, Space and Body: Women Writing
Speakers: Pratibha Ray, Sarojini Sahoo, Yashodhara Mishra, Aparna Mohanty
Moderator: Paramita Satpathy
11.15- 12.15: Folk Performance: Pad Dangal
Jagan, Dhavale and others
Introduction: Prabhat
12.30-1.30 Marathi: The City of No Outsiders Mumbai
Speakers: Arun Sadhu, Hemant Divate
Moderator: Prakash Bhatambrekar
2.30-3.30 Kashmiri: My Reality, My Language
Speakers: Shahnaz Rasheed, Gulshan Badrani, Elyas Azad
Moderator: Nisar Azam
14 3.45-4.15: Interaction
Girish Kasaravali, Banu Mushtaq, Mamta Sagar
4.30-5.30: Hindi: Culture and Power: A Tale of Seven Cities (Allahabad, Benares, Bhopal, Delhi, Kolkata, Lahore, Patna)
Speakers: Kashinath Singh, Ashok Vajpeyi, Arun Kamal, Alka Saraogi
Moderator: Neelabh
5.45- 6.30: Mind Your Language
Speakers: Sneha Khanwalkar, Varun Grover, Ratan Rajpoot, Simran Kohli
Moderator: Vineet Kumar
6.30 – 7.00: Award Ceremnoy and Closing
Speakers: K. Satchidanandan, Raj Liberhan, Paresh Nath, Anant Nath, Satyanand Nirupam, Giriraj Kiradoo
7.15 – 8.30: Evening Performance
Solo by Rabbi Shergill

समन्वय २-४ नवम्बर २०१२ इण्डिया हैबीटेट सेन्टर भारतीय भाषा महोत्सव SAMANVAY 2-4 November 2012 IHC INDIAN LANGUAGES' FESTIVAL



 IHC INDIAN LANGUAGES' FESTIVAL
समन्वय २-४ नवम्बर २०१२ इण्डिया हैबीटेट सेन्टर भारतीय भाषा महोत्सव SAMANVAY 2-4 November 2012 IHC INDIAN LANGUAGES' FESTIVAL

-समन्वय २०१२: भारतीय लेखनक उत्सव:२-४ नवम्बर २०१२: (इण्डिया हैबीटेट सेन्टर भारतीय भाषा महोत्सव)
-एकर साइट अछि http://samanvayindianlanguagesfestival.org
-समन्वयक छथि सत्यानन्द निरूपम आ गिरिराज कराडू
-उत्सवक निदेशक छथि- राज लिबरहान
-उत्सवक एडवाइजरी बोर्डमे छथि-आलोक राय, के.सच्चिदानन्दन, लक्ष्मण गायकवाड, ओम थानवी, महमूद फारूकी, ममता सागर, रवि सिंह, सीतांशु यशचन्द्र, तेमशुला आओ।
-आयोजन कमेटीमे छथि- १.इण्डिया हैबीटेट सेन्टरक प्रोग्राम टीम, २.पारस नाथ, अनन्त नाथ।
-सहयोगी छथि, दिल्ली प्रेस आ प्रतिलिपि बुक्स।
-समन्वय २०११ मे मैथिलीक प्रतिनिधित्व केने रहथि- गंगेश गुंजन। http://samanvayindianlanguagesfestival.org/2011/gangesh-gunjan/



समन्वय २-४ नवम्बर २०१२ SAMANVAY 2-4 November 2012
 IHC INDIAN LANGUAGES' FESTIVAL
Venue: Indian Habitat Centre, Lodhi Road, New Delhi -- 110 003

http://samanvayindianlanguagesfestival.org/2012/schedule/
http://samanvayindianlanguagesfestival.org/2012/arvind-das/
http://samanvayindianlanguagesfestival.org/2012/gajendra-thakur/
http://samanvayindianlanguagesfestival.org/2012/udaya-narayana-singh/

SAMANVAY 2012
Venue: Indian Habitat Centre, Lodhi Road, New Delhi -- 110 003
2 November 2012
Afternoon
4.00- 4.30: Inauguration
By Chandrashekhar Kambar, Ratan Thiyam
4.45 – 5.45: Opening Session: Boli is Back
Speakers: Ratan Thiyam, Kashinath Singh, Gurvinder Singh, Nilesh Mishra
Moderator: Alok Rai
6.00 – 7.00: Opening Reading
Nabaneeta Dev Sen, Sitanshu Yashaschandra, Udaya Narayana Singh, Mamang Dai, Arun Kamal, Arjun Deo Charan, Narender Singh Negi
7.15 – 8.15: Evening Performance
Ugana re: Vidyapati by Shovana Narayanan
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3 Nov 2012
10.30-11.30: Manipuri: The Idea of Nation
Speakers: Yumlembam Ibomcha, Dr. Dhanabir Laishram, Bijoykumar Tayenjam
Moderator: Robin Ngangom
11.45-12.15: Interaction: Mapping Cities
Kashinath Singh, Laxman Gaikwad, Om Thanvi
12.30-1.30 Maithili: Love’s Own Language
Speakers: Uday Narayan Singh, Dev Shankar Naveen, Gajendra Thakur
Moderator: Arvind Das
2.30 -3.30 Kannada: Tales of Modernities: Small Spaces, Big Ideas
Speakers:Gopalkrishna Pai, Banu Mushtaq, B.T. Jahnavi
Moderator: Mamta Sagar
3.45-4.15 Interaction
Munawwar Rana
4.30-5.30 English: Where’s My Reader?
Speakers: Palash Krishna Mehrotra, Biman Nath, S.Hussain Zaidi, Madhuri Banerjee
Moderator: Jai Arjun Singh
5.45-6.30: Future of Indian Languages Publishing in Digital Era
Speakers:Akshay Pathak, Prem Prakash, Shiva Kumar
Moderator: Rahul Dixit
7.00-8.30 Evening Performance: Kashmiri Sufiyana Kalam
Gulzar Ahmad Ganie and party
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4 November 2012
10.00-11.00 Oriya: Reclaiming Language, Space and Body: Women Writing
Speakers: Pratibha Ray, Sarojini Sahoo, Yashodhara Mishra, Aparna Mohanty
Moderator: Paramita Satpathy
11.15- 12.15: Folk Performance: Pad Dangal
Jagan, Dhavale and others
Introduction: Prabhat
12.30-1.30 Marathi: The City of No Outsiders Mumbai
Speakers: Arun Sadhu, Hemant Divate
Moderator: Prakash Bhatambrekar
2.30-3.30 Kashmiri: My Reality, My Language
Speakers: Shahnaz Rasheed, Gulshan Badrani, Elyas Azad
Moderator: Nisar Azam
14 3.45-4.15: Interaction
Girish Kasaravali, Banu Mushtaq, Mamta Sagar
4.30-5.30: Hindi: Culture and Power: A Tale of Seven Cities (Allahabad, Benares, Bhopal, Delhi, Kolkata, Lahore, Patna)
Speakers: Kashinath Singh, Ashok Vajpeyi, Arun Kamal, Alka Saraogi
Moderator: Neelabh
5.45- 6.30: Mind Your Language
Speakers: Sneha Khanwalkar, Varun Grover, Ratan Rajpoot, Simran Kohli
Moderator: Vineet Kumar
6.30 – 7.00: Award Ceremnoy and Closing
Speakers: K. Satchidanandan, Raj Liberhan, Paresh Nath, Anant Nath, Satyanand Nirupam, Giriraj Kiradoo
7.15 – 8.30: Evening Performance
Solo by Rabbi Shergill

मंगलवार, 23 अक्टूबर 2012

गजल

सुरशाक मुँह बेएने महगाइ मारलक 
बरख-बरख पर पाबि  बधाइ मारलक 

छलहुँ भने बड़ नीक  बिन बन्हले कतेक 
गोर-नार कनियाँ संगक सगाइ मारलक 

झूठक रंगमे डूबि जीबितहुँ कतेक दिन 
रंग ह्टैत देरी झूठक बड़ाइ मारलक 

सुधि बिसरि कए सभटा निसामे बहेलहुँ 
दिन राति पीया कए गाम गमाइ मारलक 

भौतिक सुखमे डूबल 'मनु' सगरो दुनियाँ
जतए ततए फरजीकेँ उघाइ मारलक     

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१७)

सोमवार, 22 अक्टूबर 2012

गजल

हँसि हँसि के मारि गेल त हम कि करी
जीबते कियो जारि गेल त हम की करी

बहकि त गेल छलहुँ हुनका देखि के
खसति ओ सम्हारि गेल त हम की करी

मोन हमर भीजल पुआर जकाँ छल
मुदा आगि पजारि गेल त हम की करी

रुप हुनक आँखिक सोझा रहति अछि
हुनका नै बिसारि भेल त हम की करी

देखते देखेत ओ दीवाना बना देलक
मन मोहिनी नारि भेल त हम की करी

सिनेहक बात सुनाबय के मोन छल
पहिले तकरारि भेल त हम की करी

आब सभ गरिया के चलि जायत अछि
भाइये सॅ अराडि़ भेल त हम की करी


-------- वर्ण15 --------

आशिक ’राज’

शनिवार, 20 अक्टूबर 2012

गजल

माए ओढ़ना ओढ़ा दे हम सूतय छी
आब हमरा छोडि़ दे हम सूतय छी

सभ दिन मन पड़ैति अछि ई बात
थाकल राति जखन हम सूतय छी

दिन त डयूटी में बीति जायत अछि
बितेति नै अछि राति हम सूतय छी

सूतय त छी  नींद कहाँ होयति अछि
कखन होयत प्रात हम सूतय छी

कहलहुँ जे एखन जुनि तंग करु
भोर मे आयब याद हम सूतय छी

रातिमें भरि राति सपना में छलीह
तैं नहिं जागब आब हम सूतय छी 

-------- वर्ण14 --------
सरल वार्णिक बहर
आशिक ’राज’

शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2012

गजल


विरह के आगि में जरि रहल छी हम
मिलन के आस में मरि रहल छी हम

आँगुर पकडि़ चलनाय सिखऔलक
सहोदर भाईसॅ लडि़ रहल छी हम

कतौ चोरि कतौ डकैती कतौ बलात्कार
रोज अखबार में पढि़ रहल छी हम

कमाईत कमाईत रग टूटि गेल हन
मूड़ क छोड़ू ब्याजे भरि रहल छी हम

अपनो कनियाँ कैटरीना सॅ कम नहिं
दोसर के देखि क जरि रहल छी हम

------वर्ण 15-------
सरल वार्णिक बहर
आशिक ’राज'

बुधवार, 17 अक्टूबर 2012

गजल


 
जे हँसी हमर सुनलहुँ अहाँ
दर्दकेँ नै तँ बुझलहुँ अहाँ
 
दाँतकेँ बीचमे जीभ सन
मोनमे अपन मुनलहुँ अहाँ

प्रेमकेँ नै किए चिन्हलहुँ
देख मुह हमर घुमलहुँ अहाँ   

स्नेह आ प्रेम सभटा बिसरि
मोनकेँ तोरि झुमलहुँ अहाँ

हाथ संगे खुशीकेँ पकरि
हृदय मनुकेँ तँ खुनलहुँ अहाँ  

(बहरे मुतदारिक, २१२-२१२-२१२)

मंगलवार, 16 अक्टूबर 2012

लोक करे लूटमार जेंका (हास्य कविता)


लोभी बैसल अछि लोभ मे जोंक जेंका
ओक्कर चालि चलब झपटमार जेंका
सरकारी खरांत लेल बेहाल भेल
लोक करे लूटमार जेंका.

लोभी लोकक भीड़ मे केकरा समझाएब
"
कारीगर" बैसल अछि चुपचाप बौक जेंका
बेईमान लोक नहि ईमानदारी सीखत?
लोक करे लूटमार जेंका.

डेग-डेग पर भ्रष्टाचारी भेटत 
ओ जाल बिछौने  बैसल अछि
चालि चलब प्रोपर्टी दलाल जेंका
लोक करे लूटमार जेंका.

सरकारी व्यबस्थाक हाल बेहाल
भ्रष्टाचारक बढ़ी गेल अछि मकड़जाल
एही ओझरी मे ओझराएल कतेक लोक
मुदा नेता नाचै अपने ताल.

जनताक नाम पर फुसियाहिंक जनसेवा
नेतागिरी के धंधा चमकि गेल
सभ खाए रहल सरकारी मेवा
जहिना बाढ़ी मे अपटल माछ कतेक रेवा.

बेमतलब के करै विदेश यात्रा
विकसित योजनाक नाम पर
बेहिंसाब खर्च करै जेना
सरकारी धन छैक ओक्कर बपौती जेंका.

बाढ़ी-सुखार सँ लोक तबाह भेल
मुदा कोनो स्थाई समाधान नहि कराउत
हवाई सर्वेक्षण मे नेता जी
फुसियांहिक बिधि टा पुराउत.

राहत आ बचाव के नाम पर
रहत पैकेजक बंदरबांट भ रहल
उज्जर कुरतावला सभ सँ आगू
ओक्कर चालि चलब झपटमार जेंका.

http://kishankarigar.blogspot.com 

माटिक बासन


केदार प्रसाद गामक एकटा कुशल कुम्हार । माटिक बासन जेना  घैल, ढाकन, मटकुरी बना अपन जीवन यापन करै छलाह । माटिक बासन बनेनाइ मात्र हुनक आजीवकाक साधन नहि भs s हुनका लेल  एकटा सुन्नर कारीगरी छल । अपन काज करैकाल ओ ऐना तनमय भs जाइ छलाह जेना एकटा भक्त अपन अराध्य देवताक ध्यानमे अपन तन-मनक सुधि बिसैर जाइत छैक । ओ अपन स्वं साधनासँ धिरे-धिरे छठि मैयाक सुन्नर व आकर्षित हाथी सेहो बनबए लगला । हुनकर बनाएल माटिक बासन आ छठिक हाथीक बड्ड प्रशंसा होइत छल ।
धिरे-धिरे गामक परिवेश बदलए लागल । माटिक बासनक जगह स्टील आ आन-आन धातु लेबए लागल । केदार प्रसादजीक आमदनी कम होबए लगलन्हि मुदा ओ अपन काजक प्रति  निष्ठा आ समर्पणकेँ दुवारे कुम्हारक काज नहि छोरि पएला ।
हुनक सुन्नर सुशिल बेटा बिभू नेन्नेसँ अपन पुस्तैनी काजमे माँजल । ई कहैमे कोनो संकोच नहि जे ओ अपन बाबूओ सँ बीसे । केदार प्रसादजी एहि गपकेँ नीकसँ  बुझैत अपन होनहार पुतकेँ गुणसँ मोने-मोन खुस छलाह आ चिंतीत सेहो । चिंतीत एहि दुवारे की कुम्हारक काजक कि बर्तमान छैक आ कि भबिष्य हेतै से हुनका बुझल मुदा बिभूक हस्तकौशल देखि ओकरा एहि काजसँ बाहर केनाइ उचित नहि बुझलाह । बिभू सेहो इस्कूल पढ़ाइक संगे-संग अपन बाबूक सभटा गुणकेँ  अंगीकार केने गेल ।  अपन  बाबूक छठिक हाथीसँ आगू बढ़ि ओ मूर्तिकलामे अपन हस्तकौशलक उपयोग करै लागल । ओकर बनाएल मूर्तिक चर्चा गाम  भरिमे होबए लगलै । जतए ओकर बाबूक बनाएल छठिक हाथीकेँ एगारह टाका भेटन्हि ओतए ओकर बनाएल छोट-छोट कनियाँ- पुतड़ा सभकेँ सय-सबासय टाका भेटअ लगलै । बिभू अपन बाबूक देख-रेखमे मूर्तिकलामे दिनो- दिन आगू बढ़ए लागल । आब ओकर बनाएल माए सरोस्वती, कृष्णास्टमी, विश्वकर्मा पूजाक मूर्तिक माँग चारूकातक बीस गाम तक होबए लगलै मुदा बिभूक बाबू तैयो ओकर बनाएल मूर्तिमे कोनो ने कोनो दोख निकालि आ ओकरा अओर बेसी नीक मूर्ति बनाबैक प्रेरणा देथिन । बिभू सेहो हुनक गपकेँ मन्त्र मानि आगू आरो नीक मूर्ति बनाबएमे लागि जे ।    
बिभू दसम वर्गकेँ बाद इस्कूली पढ़ाइ छोड़ि पूर्णतः मूर्तिकलामे अपनाकेँ समर्पित कए लेलक । अठारहम बरखक पूर्ण बुझनूक भs गेल आब ओकरा नीक बेजएकेँ ज्ञान भs गेलै । ओकर मूर्तिक प्रशंषा आब गाम नहि, जिला नहि राज स्तरपर होबै लगलै । आब  तँ ओकर बनाएल एक-एकटा मूर्तिकेँ दू-दू तिन-तिन हजार टाका भेटए लगलै । मुदा ओकर बाबू एखनो ओकर मूर्तिमे कोनो ने कोनो दोख निकाइल ओकरा आर सुन्नर मूर्ति बनाबैक निर्देश देथिन । पहिले बिभू हुनक गपकेँ मन्त्र मानि कमी दूर करैक चेष्टामे लागि  जाइ छल मुदा आब हुनक गपसँ ओकर मोन कतौ-ने कतौ आहत होइत छलै । मुदा बिरोध करैक सहाश नहि तेँ मोनकेँ मारि हुनक बताएल निर्देशमे लागि जाइ छल  
जेना-तेना काज आगू बढ़ैत रहल आ ओकर बनाएल गेल मूर्तिक चर्चा आब राजक सीमासँ निकैल बाहर दस्तक देबए लगलै । राजसरकारकेँ गृहमंत्रालयसँ बिभूकेँ पत्र एलै जाहिमे ओकर बनाएल गेल मुर्तिकेँ अखिल भारतीय मूर्ति प्रदर्शनीमे राखक व्यवस्था कएल गेल रहैक । सभटा खर्चा राजसरकारक आ विजेताकेँ देशक सर्वश्रेष्ट मूर्तिकारक सम्मानकेँ संगे-संग एक लाख टाकाक नगद इनाम सेहो ।   ई पत्र पाबि बिभूकेँ बड्ड प्रसंता भेलै । सभसँ पहिले दौरल-दौरल अपन बाबूकेँ एहि गपक सुचना देलक । केदार प्रसादजी सेहो बड्ड प्रसन्य भेलाह हुनकर जीवन भरिकेँ मेहनत रंग लाइब रहल छल । बिभू राति-राति भरि जागि-जागि कए अपन मार्गदर्शक गुरु बाबू संगे लागि गेल ।
एकसँ एक नीक-नीक मूर्ति बनेलक मुदा केदार प्रसादजी सभ मूर्तिमे कोनो ने कोनो कमी निकाइले देथिन । केदार प्रसादजीक बताएल कमीकेँ दूर करैकेँ बदला बिभूक मोनमे आब नकारात्मक प्रवृति घर करए लगले । हुनक बताएल कमीपर आब ओ सबाल-जबाब करए लागल । काइल्ह प्रतियोगता लेल मूर्ति भेजैक अंतिम दिन आ आइ बिभू अपन बनाएल मूर्ति सभमे सँ एकटा सभसँ नीक मूर्तिकेँ अंतिम रूप देबएमे लागि गेल । केदार प्रसादजी बारीकीसँ ओहि मूर्तिकेँ निरीक्षण करैत, बिभूक दिमागमे हलचल चलि रहल छल - "हाँ आब तँ ई कोनो ने कोनो गल्ती बतेबे करता ।"
ततबामे केदार प्रसादजी अपन चुप्पीकेँ तोरैत बजलाह -"सुन्नर ! आइ तक बनाएल गेल मूर्ति सभमे सर्बश्रेस्थ ।" कनीक काल चुप रहला बाद फेर -"  मुदा ।"
मुदा की आब  तँ  बिभूक मोन बिफैर गेलै - "अबस्य कोनो ने कोनो कमी गनेता ।"
केदार प्रसादजी अपन गपकेँ आगू बढ़ाबैत -" ई जँ एना रहितेए तँ  आरो बेसी नीक, आ ई रंग जँ फलाँ फलाँ रहथि तँ  जबरदस्त होइते ।"
नैन्हेटासँ जिनक गपकेँ मन्त्र मानि पूरा करैमे जि-जानसँ लागि जाइ छल आइ हुनक गपकेँ नहि पचा पएलक । बिफैर कए बाजि उठल -"रहै दियौ ! अहाँकेँ  तँ एनाहिते दोख निकालए अबैए, अपन बनेएल ढाकन बसनी  तँ कियो एको टाकामे नहि किनैए आ हम केतबो नीक मूर्ति बना लि कोनो ने कोनो दोख अबश्य निकाइल देब ।"
बिभूक गप सूनिते मातर केदार प्रसादजीक शांत मुद्रा भंग भए सोचनीए भs गेलनि । एकटा नमहर साँस लैत बिभूक पीठ ठोकैत बजलाह -"बस बेटा बस ! जहिया व्यक्तिकेँ अपन पूर्णताकेँ आभाष भs जाइ छैक ओकर बाद ओकर जीवनक विकास ओतहिए रुकि जाइ छैक । पूर्णताकेँ आभास दिमागक आगू बढ़ैक चेतनामे लकबा लगादै छैक ।"
किछु छन चुप्प,दुनू गोटे शांत । बिभूक आँखिसँ नोर टघरैत जे आइ ई की कए लेलहुँ, ओकरा अपन गल्तीक ज्ञान भs गेलै । केदार प्रसादजी आगू - "हमर सपना छल जे हमर बेटा राजक आ देशक नहि वरण दुनियाँक सर्वश्रेष्ट मूर्तिकार  बनत.....मुदा नहि । कोनो गप नहि हमराकेँ जनै छल ? कियो नहि । हमर बेटाकेँ पूरा राज जनैत अछि एकटा नीक मूर्तिकारकेँ रूपमे । हमरा लेल बड्ड पैघ गप अछि । मुदा हमर सपना ------- आब नहि पूरा होएत । ई कहि ओ ओहि कक्षसँ बाहर भs गेला ।