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शनिवार, 11 अगस्त 2012

गजल

किछु एहन काज करब हमहुँ
नै फोटो में टाँगल रहब हमहुँ 

एलहुँ जन्म लए कए दुनियाँ में 
एक नै एक दिन मरब हमहुँ 

कुकूर बिलाई जकाँ पेट पोसैट
आब जुनि ओहेन बनब हमहुँ 

आगु बढि नबका समाज बनाबि
नै पाछु आब आगू चलब हमहुँ 

खाख छनि 'मनु' बहुत बौएलहुँ  
आब अपने घर रहब हमहुँ 

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण -१३)

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