नव लोकक केहेन नव चलन देखियौ
एक दोसर सँ कतेक छै जरण देखियौ
खोलि क राखने बगल में रमक बोतल
आ मुहं मे रामक केहेन भजन देखियौ
दिने दहार झोंकि रहल छै आंखि मे धूल
बनि रहल छैक कतेक सजन देखियौ
चपर चपर सब तैर बजैत चलै छै
बेर काल मे नाप तौल आ वजन देखियौ
देखि सुनि रुबी क लागि रहल छै अचरज
भ्रष्ट जुग मे भ रहल ये मरण देखियौ
आखर -१६
रूबी झा
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