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मंगलवार, 7 अगस्त 2012

अन्तिम जगह


फेकना | मए बाऊ की नाम रखलकै गाम में केकरो  नहि बुझल आ किंचीत ओकरा अपनों इआद होए की नहि | ओ एहि उपनाम सँ गाम भरि में जानल जाइत छल | खेतिहर मजदूर मुदा जीवन भरि उर्मील बाबूक  छोरि दोसर केँ खेत पर काज नहि कएलक | हुनके जमीन पर जनमल आ हुनक एवं हुनके परिवार केँ जीवन भरि  सेबा  करैत एहि संसार सँ अपन पार्थिक शरीर छोरि बिदा भए गेल | जेकर जन्म भेलैक ओकर मृत्यु निश्चिन्त छैक एहि सत्य केँ मोन राखि फेकना समांग सब ओकर अन्तिम क्रियाक तैयारी में लागि गेल |
उर्मिल बाबू नोत पुरै लेल दोसर गाम गेल रहथि | गामक सीमा में पएर राखिते  मांतर कएकरो सँ फेकनाक मृत्युक समाचार भेट गेलैंह | सुनि दुखी मोने  घर दिस डेग झटकारलैंह | किछु दूर एला बाद रस्ते में हुनका फेकनाक  शवयात्राक दर्शन भेलैंह | फेकनाक  समांग सभ हुनका देख ठमैक गेल | उर्मिल बाबू चटे जा कए फेकनाक  झाँपल मूह उघारि ओकर मूह देखला आ नम आँखि सँ फेकनाक  बेटा सँ पूछलथि - "अग्निदाह केँ व्यबस्था कतए छैक |"
"  ठूठी गाछी में मालीक |"
" दूर बुरि कहिंके, कनीक हमरो आबैक इंतजार तँ  करै जैतअ, जीवन भरि हमर जमीन पर काज केलक आ आब मूइला बाद ठूठी  गाछी.... | चलअ हमर कsलम चलअ, हमर कsलम में नहि जगह केँ कमी अछि आ नहि गाछक ओतए दुनूक व्यबस्था छैक " ई कहैत उर्मिलबाबू आगू-आगू आ सभ हुनक पाछु-पाछु हुनकर कsलम दीस बिदा भए गेल |  
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जगदानन्द झा 'मनु'

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