की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

बुधवार, 29 अगस्त 2012

गजल

सिह्कैत हवा पर सिसकैत अछि मोन
हम छी पाथरआ ओ पाथर,से भेल सोन

कनैत रही छी असगर एकात बैसल
हँसब से ऐहन बाते अछि बचल कोन

चली गेल ओ संग लs मुइर-सुईद सब
देलहुं हम जकरा अपन स्नेहक लोन

खोले चाहै छी रंग-रभसक बात सब
मुदा कोना खोलियैकमोने भेल अछि मौन

'गुंजन' छै लोढ़ैत,गजल बहार बैसल
आहां रहू अहिना ऐकातकानि करू होम

गुंजन श्री

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें