सिह्कैत हवा पर सिसकैत अछि मोन
हम छी पाथर, आ ओ पाथर,से भेल सोन
कनैत रही छी असगर एकात बैसल
हँसब से ऐहन बाते अछि बचल कोन
चली गेल ओ संग लs मुइर-सुईद सब
देलहुं हम जकरा अपन स्नेहक लोन
खोले चाहै छी रंग-रभसक बात सब
मुदा कोना खोलियैक, मोने भेल अछि मौन
'गुंजन' छै लोढ़ैत,गजल बहार बैसल
आहां रहू अहिना ऐकात, कानि करू होम,
गुंजन श्री
गुंजन श्री
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