गजल
आइ हम बड़ उदास छी ,कोना कहौँ ककरासँ
ओहि दिनसँ कानैत छी यौ,अहाँ गेलौँ जहियासँ
हे यौ हमर प्रीतम ,अहाँ एखनो तऽ घर आबूँ
दिन राति हम एतबे , प्रार्थना करै छी दैबासँ
चारिये दिन तँ बुझियौ ,चारि साल सन बीतल
अहाँसँ बतियाइ लेल फोनो माँगलौँ अनकासँ
पछबा के बहलासँ ,बात एगो इयाद आएल
चलि गेलौँ नैहर हम तँ ,रुसल छलौँ अहाँसँ
चाही नै कपडा लत्ता ,और चाही नै धन दौलत
एतबे कहौँ मुकुन्द चलि आबु,जल्दी पटनासँ
सरल वार्णिक बहर
वर्ण-18
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