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शनिवार, 29 दिसंबर 2012

बाल गजल

बाल गजल

हाएत दिवाली जड़तै दीप
आँगने आँगन बड़तै दीप
घर दुआरि आँगन सँभमेँ
डेगे डेऽग पर जड़तै दीप

अन्हार रातिमेँ इजोत दैले
मोमबत्ती संगे लड़तै दीप

हम सब खेलब हुक्का पाती
लेसै लेल काज पड़तै दीप

चुक्का डिबिया सबसँ मिलके
गाम प्रकाशसँ भरतै दीप

करै लेल घरकँ द्वारपाली
अन्हार रातिसँ लड़तै दीप

सरल वर्णिक बहर ,वर्ण 11.
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..............बाल मुकुंद पाठक ।।

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