की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। sadhnajnjha@gmail.com पर e-mail करी Or call to Manish Karn Mo. 91 95600 73336

शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

गजल

भूतलेलौं  किए एना  मन लगा  लिअ

आउ चलि संगमे हमरो अप्पना लिअ

 

नै बचन देब हम नै किछु मोल एकर

संग हमरा लऽ मोनक संसय हटा लिअ

 

जुनि बुझू आन जगमे सपनोसँ  कखनो

बुझि कऽ अप्पन कनी छू ठोरसँ सटा लिअ

 

जीवनक काँट एते   कोना बिछब ई  

छोड़ि सगरो जमानाकेँ वर बना लिअ

 

रूप सुन्नर अहाँकेँ   ओहिपर बदरा

जीब कोना करेजामे 'मनु' बसा लिअ

(बहरे - असममात्राक्रम  : 2122-1222-2122)

✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें