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शनिवार, 29 दिसंबर 2012

हजल

हजल

देखियौ देखियौ जुग केहन भऽ गेलै कक्का यौ
टोपी चश्मा पहिर कऽ चलै छै छौड़ा उचक्का यौ

छमकि कऽ चलैए संगे नटुआ सन केश छै
जीँस टीशर्ट पहिर कऽ अंग्रेज भेल पक्का यौ

चौक पर घूमैत छै बोतल चढ़ा कऽ भोरेसँ
सिगरेटक दिन भरि ई उड़ाबै छोहक्का यौ

अपनाकेँ बड़का ई बुझैत अछि हीरो छौड़ा
मुहँ नै लगाबूँ एकरासँ अछि ई लड़क्का यौ

स्त्री जकाँ श्रृंगार करै छै लगाबैये ठोररंगा
भोरेसँ कटाके दाढ़ी मोछ लागे जेना छक्का यौ

छौड़ी पाछाँ पागल भेल छै काज धाज छोड़िकेँ
हुलिया एकर देखि कऽ मुकुन्द हक्काबक्का यौ

सरल वर्णिक बहर ,वर्ण17
©बाल मुकुन्द पाठक ।।

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