तैयार छै लुटय लेल बेटीवाला त लुटेबे करतै
बिन दहेज ने उटतै दोली त रकम जुटेबे करतै
प्रेम रस में डुबल मोन आ जुरल हाथ
बिच में एतै दहेज त जुरल हाथ छोरेबे करतै
फोकटो में जे ने छै विवाहक लायाक दुल्हा
खरीदार भेटटै त ऒहो दुल्हा बिकेबे करतै
पनी सँ लबलबायाल भरल छै जे पोखैर
अकाल रौदी एतै त भरल पोखैर सुखेबे करतै
चोर के हाथ ज देबै समानक रखवालि
मैका भेततै त चोर समान चोरेबे करतै
जँ भरल गिलास छै पैन सँ
ऒहि मे भरबै पैन त पैन नीचां हरेबे करतै
जँ दहेज के लालच में हाथ धरी बैसतै बाप
बेटाक जरतै मोन त ऒ चक्कर चलेबे करतै
पर्दा के पाछु जे भ रहल छै दहेजक खेल
पर्दा नै उठतै त खेलबार खेल खेलेबे करतै
माय केर कौखि सँ हटायल जा रहल बेटीक भ्रुन
दहेक ने रुकतै त माय बेटीक भ्रुन हटेबे करतै
मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित Maithiliputra - Dedicated to Maithili Literature & Language
बुधवार, 28 दिसंबर 2011
• 'गजल'
Labels:
गजल,
रवि मिश्रा’भारद्वाज’
MAI KITNE SAAL KA HUA YE NAHI GINTA BALKI KITNE DIN MERE LIFE KA BIT GAYA WO GINTA KYOKI EK EK DIN ME SARI JINDGI JURI HOTI HAI EISE TO PANA KHONA DUKH SUKH JINDGI KA SATHI HAI FIR V HAREK DIN KUCHH NAYI SIKH MILTI HAI
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें