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बुधवार, 7 दिसंबर 2011

कविता -मिथला राज

हम धीर-वीर बलवान मैथिल
मिथला राज चाहैत छी,
ई हमर भीख नहि बुझु,
अधिकार अपन माँगे छी |

जाहि दिन धीर हम अधीर भेलौह
वीर हम वीरता दिखा देव,
नहि, फेर विश्वाश करू हमर
की एक चाणक्य हम आर बना देव |
***जगदानंद झा 'मनु'
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