भाइ आब हमहूँ लिखब अपन फूटल कपारपर
जेना ई
भात-दालि तीमन ओकर उपर अचारपर
सोन सनक घर-आँगन स्वर्ग सन हमर परिवार
छोड़ि एलहुँ देश अपन दू-चारि टकाक बेपारपर
कनिको आटा नहि एगो जाँता नहि करछु कराही
नहि
नून-मिरचाइ आनि लेलहुँ सभटा पैंच-उधारपर
चिन्हलक नै केओ नै जानलक तूअर बनि
रहलहुँ
गेलहुँ ई अपन माटि-पानि छोड़ि दोसरक
द्वारपर
हम कमेलौं घर ओ भरलक हमर खोपड़ी खालिए
आब बैसल ’मनु’ कनैए बरखामे
चुबैत चारपर
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-२१)
@ जगदानन्द झा ‘मनु’
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