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सोमवार, 5 दिसंबर 2011

मिथिलाक गुणगान

सुनू  मिथिलाकेँ गुणगान अहाँ  हम की कहु अपन मोनेंसँ
सभ  किछु तँ  अहाँ जनिते छी मुदा,  हम कहैत छी ओरेसँ

उदितमान ई अछि अती  प्राचीन, ज्ञानक अती भंडार अछि
ऋषि-मुनिकेँ पावन धरती,  महिमा एकर अपार अछि

ड्यौढ़ी-ड्यौढ़ी फूलबारी  आँगनमे तुलसी सोभति
कोसी-कमला मध्य बसल ई,  भारतकेँ  सुंदर मोती

भक्ती-रससँ कण-कण डूबल  अछि महिमा एकर अपार
शिव जतए एला चाकर बनि कए, सुनि भक्तकेँ  करुण पुकार

काली विष्णु पूजल जाइ छथि,  मिथिलाक एके आँगनमे
छैक कतौ आन ई सामर्थ कहु,  होई जे आँखिक देखनेमे

एहि धरतीसँ जानकी जनमली, श्रृश्टीक करै लेल कल्याण
श्रीराम संग ब्याहल  गेली,  पतिवर्ताक देलैन उदाहरण महान

आजुक-काइल्हुक गप्प जुनि पुछू,  भ्रस्ट बनल अछि दुनियाँ
मुदा   मिथिलामे एखनो देखूँ,   शुरक्षित घरमे छथि कनियाँ

माए-बापकेँ  आदर दए छथि, एखनो धरि  मिथिले बासी
पूज्य मानि  पूजा करैत छथि,  घर आबए जे कियो सन्यासी

आजुक युगमे धर्म बचल अछि,  जे  किछु एखनों मिथिलेमे
आँखिक पानि  बचल अछि देखू,  जे किछु एखनों मिथिलेमे

की  कहु आब मिथिलाक महिमा, समेएल  जाए नहि  लेखनीमे
हमरामे ओ सामर्थ नहि अछि,    बाँधि सकी जे पाँतिमे

जगदानन्द झा ‘मनु’

ग्राम पोस्ट हरिपुर डीहटोल, मधुबनी   


2 टिप्‍पणियां:

  1. मन्नु जी। बड्ड नीक लागल अपनेक कविता- मिथिलाक गुणगान। संगहि, एहन तरहक ब्लॉग बनाकए अकर साहित्यिक सौन्दर्य बढाबयमें अहांक सहयोग अति सराहनीय अछि। बड्ड प्रसन्न छी हम अहांक ब्लॉग देखिकए, धन्यवाद , बधाइ आ शुभकामना सहित---- हम --- भास्कर झा

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    1. BHASKARANAND JHA जी, हमर अहोभाग्य जए अपने केँ हमर कविता नीक लागल , आ ब्लोगक गप्प से ई ब्लॉग हमर कहाँ अपन सभ गोते केँ अछि, सभ मैथिलपुत्र केँ अछि |
      अपनेक स्नेह आ सराहना केँ लेल सादर धन्यवाद |

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