मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

गीत-3

(आलू  कोबी मिरचाई यै,
की  लेबै यै दाय यै / दाय यै )-२

कोयलखकेँ  आलू, राँचीकेँ  मिरचाई यै
बाबा करता बड्ड, बड़ाई यै / बड़ाई यै
आलू  कोबी - - - - - - -दाय यै

नहि लेब
 तँ  कनी देखियो लियौ 
देखएकेँ  नहि कोनो पाई यै / पाई यै
आलू  कोबी - - - - - - - - दाय यै

दरभंगासँ अन्लौंह विलेतिया ई कोबी
खा
 कs तs कनियाँ बिसरती जिलेबी 
कोयलखकेँ  आलू  ई चालू  बनेतै
धिया-पुताकेँ  बड्ड  ई सुहेतै
राँचीसँ अन्लौंह मिरचाई यै
की  लेबै यै दाय यै / दाय यै

( आलू  कोबी मिरचाई यै,
की  लेबै यै दाय यै / दाय यै )-२
***

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें