पियक्कड़ के कहैय कियो खराब एही जमाना में
ओ खुद नुका कs पिबैय शराब एही ताडिखाना में
घुटुर घुटुर पीवगेल भरल गिलास शराब
छोडीगेल एक राज की किताब एही ताडिखाना में
---प्रभात राय भट्ट -----
मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित Maithiliputra- Dedicated to Maithili Literature and Language
भेटल नहि सिनेह तेँ शराबे पीलौं
दर्शन हुनक हरदम गिलासमे केलौं
के अछि कहैत शराब छैक खराब ‘मनु’
बिन रहितौं हुनक शराबेसँ हम जीलौं
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
ढोलक धम-धमा-धम बजैत किएक छै
घुंघरू खन-खना-खन नचैत किएक छै
भीतरसँ छैक दुनू एक्केसन खाली
संजोग इ दुनू नहि बुझैत किएक छै
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
पीलौं शराब तँ दुनियाँ कहलक बताह
बिन पीने ई दुनियाँ भेल अछि कटाह
जे नहि पीलक कहाँ अछि ओकरो महल
पीबिए क' किएक नहि बनि जाइ घताह
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
नै पीब शराब तँ हम जीब कोना कय
फाटल करेजकेँ हम सीब कोना कय
सगरो जमाना भेल दुश्मन शराबक
सबहक सोंझा तँ आब पीब कोना कय
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’