की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। sadhnajnjha@gmail.com पर e-mail करी Or call to Manish Karn Mo. 91 95600 73336

बुधवार, 29 मई 2013

बुढ़ारी

- प्रणाम टी॰टी॰ बाबू, हम राम बाजै छी ।
- खुश रहू ।की हाल-चाल ?
- ठीक अछि ।कने एकटा प्रयागक टीकट कन्फॉर्म करबा दिअ ने ।
- भऽ जेतै, मुदा एकाएक कोन काज पड़ि गेल?
- हमरा काज नै अछि ।ओ बौआ काका मास करऽ जेथिन तेँ चाही ।
- बौआ झा मास कऽ की करथिन ? जुआनीमे एक्को टा साधुकें जलखइ नै करेलनि आब भण्डारा कऽ की हेतनि ?
- नै बुझलियै आब बुढ़ारी आबि गेलै ने ।जुआनीमे अपनाकें बलगर बुझलखिन, मुदा मनुखक कमजोरी तँ बुढ़ारियेमे पता चलै छै । पुरनका शेर आब बिलाइ बनि गेल छै ।

अमित मिश्र

मंगलवार, 28 मई 2013

मेला


"चलू. . .चलू . . . सगरो गाम जा रहल छै . . .अहूँ चलू ।" कमला बाबू सत्तर वर्षक उमरिमे बीस वर्ष बला जोश देखबैत कहलनि " यौ रमेश जी, की सोचै छी? चलू ने, बड नीक मेला लागल छै ।"
रमेश बाबू लुंगी आ हाफ गंजीमे दलानक एकातमे बनाओल छोट-छीन उपवनमे टहलैत छलथि ।कमला बाबूक निमन्त्रण सूनि बाटपर आबि उपहास करैत कहलनि " अहीं जाउ, हम जा कऽ की करब? हमरा घरमे तँ सदिखन मेले रहैत अछि ।" फेर छाती छत्तीस इन्च फुलबैत बाजलनि "असली मेला तँ तखन छै जखन बेटा-पुतहु बिन झगड़ा-झाँटी केने एक छप्परक तऽर खुशी-खुशी जीबैत अछि । जा ! कोन बात पसारि देलौं, अहाँक बेटा तँ अहाँकें बारि कऽ अलग रहैत अछि ।अहाँ की बुझबै एहि मेलाक रस ।"
रमेश बाबूक जबाब सूनि कमला बाबू बिनु किछु बाजने घऽर घुरि गेलाह ।

अमित मिश्र

जोगार

- की यौ सर, सुनलौं कम्पनीसँ कर्मचारीकें हटाओल जा रहल छै ?
- ठीके सुनलौ रानी, मुदा एहिसँ अहाँकें कोन लेना-देना अछि ?
- डर अछि जे कहीं हमरो नै हटा देल जाए ।
- जे काजमे कमजोर छै तकरा हटाओल जाएत, अहाँकें तँ . . . ।
- काज तँ हमहूँ कम्मे करै छी सर ।
- दिनका काजमे रतुको काज जोड़ि दियौ ।तखन बेसी भऽ जेतै ।
- हँ, एहि कम्पनीमे रहबाक लेल तँ रतुके काज जोगारक काज करै छै ।
- अहाँ तँ सब बुझिते छी ।फूलक बिछौन बिछा कऽ राखब ।आइ राति आबि जाएब ।भोरे अहाँक नोकरी पक्का ।

अमित मिश्र

रविवार, 26 मई 2013

जमाना

- यौ, कते मास भऽ गेल ।एक मासक पाइ गाम पठा दिऔ ।
- ठीके कहलौं अहाँ, हम तँ बिसरिये गेल छलौं ।
- जे-जेना । काल्हि मनीआर्डर कऽ देबै ।
- हाय रे पगली ।तोहर सुझावपर चलब तँ दिन-दहाड़े लुटा जाएब ।
- से कोना ?
- से एना जे गामक लोक आ डाकपीन लाख टकाक मनिआर्डर देखतै तँ सब बुझि जेतै जे छौड़ा बड कमाइ छै ।
-ई तँ खुशीक बात ने ? इलाकामे नाम भऽ जाएत ।
- सत्तमे मौगीकें दिमाग नै होइ छै ।गे, आब पहिले बला जमाना नै छै ।आब जखने पता चलतै जे फल्लाँ मातबर छै बस अपहरण आ लूटक योजना बनऽ लागतै ।
- सत्त कहै छी अहाँ ।आब जमाना बड खराब भऽ गेलै ।मनुखता निपत्ता भऽ गेलै ।

अमित मिश्र

दरमाहा

-नमस्कार घनश्याम बाबू, सब नीके ने?
-नमस्कार, नमस्कार ।सब कुशल अछि ।अपन बताउ?
-की कहौं, हालत पस्त अछि ।
-से किए यौ? हम तँ मजामे छी ।
- छऽ माससँ दरमाहा नै भेटल ।ओना अहाँक तँ अनुबन्धपर छी तखन एते ठाठ-बाठ कोना ?
-असलमे सरकारी दरमाहा नै अछि तँ की भेल, जनताक दरमाहमे कोनो कमी नै अछि ।
-जनता अहाँकें पाइ किए देत?
-आब मूर्खकें के समझेतै? टेबुलपर नै जा कऽ हमरा मार्फत काज करबाएत तँ दरमाहा देबैये पड़तै ने ?

अमित मिश्र

हँसी



-कतऽ गेलियै यै ? किछु बाजू तँ ।
-दुर . . .हमर बाँहि छोरू ।अहाँसँ बात नै करब हम ।
-हे हे एना जुनि करू ।अहाँ बतिआएब नै तँ हमर प्राणे चलि जाएत ।
-जाए दिऔ ।बढ़ियें हेतै ।
-आखिर हमरापर एतेक तामस कोन बातक अछि ?
-सभक पति अपन पत्निकें सिनेमा-सर्कस घुमाबै छै आ अहाँ दिन-राति दर्शनो नै दैत छी ।काजो करैक एकटा सीमा होइ छै ।
-अच्छे, एकर तामस छै ।कने लऽग आउ . . .हम पाइ कामाइ छी जाहिसँ नून-हरदि चलैत रहए आ अहाँ चिन्ता मुक्त भऽ सदिखन हँसैत रहू ।असलमे अहाँक हँसी किनबाक लेल घरसँ बाहर रहै छी ।

अमित मिश्र

शनिवार, 25 मई 2013

दया

एक बेर एकटा कविसँ किछु कविताक माँग भेलै ।कवि जी लिखबाक लेल बैसि गेलाह, मुद किछु फुराइते नै छलन्हि ।ओ दया, नि:स्वार्थ भरल भावपर लिखऽ चाहैत छलथि मुदा एहन भाव निपत्ता भऽ गेलै ।भरि दिन परेशान रहलाक बादो स्थिती जसकें तस ।थाकि-हारि झलफल बेर टहलऽ निकलि गेलनि ।बाटमे एकटा भीखमंगाकें होटल बला गरिया रहल छल, मुदा भीखमंगा टससँ मस नै भेल ।बेर-बेर पेट देखा रहल छल ।हारि कऽ होटल बला किछु बासी कचौड़ी दऽ देलकै ।भीखमंगा खुशी-खुशी चलि देलक ।चारिये डेग गेलापर एकटा दोसर भीखमंगाकें भूखे कुहरैत देखलक ।ओ अपन भीख बला कचौड़ी ओकरा दऽ अपन बाट धऽ लेलक ।ई देख कवि जीकें सबटा शब्द भावक संग फुराए लागलनि ।ओ खुश छलथि जे एखनो देशमे दया बचल अछि ।

अमित मिश्र

शुक्रवार, 24 मई 2013

धर्म

विहनि कथा-29
* धर्म *

सकीना अपन पति रहमाक संग बड सुन्दरसँ जिनगी काटि रहल छलीह ।एक दिन रहमान बड प्रेमसँ एकटा कथा सकीनाकें सुनबैत छल ।ओहि कथामे एक ठाम तीन बेर तलाक . . .तलाक . . .तलाक लिखल छल ।रहमान एकरो पढ़ि देलक ।ओकर सबटा बात अब्बा सुनैत छलै ।ओ रहमान लऽग आबि बिगड़ैत बाजल "ई की कऽ देलें ?आब तोहर तलाक मान्य भऽ गेलौ ।"
आब मियाँ-बीबीपर पहाड़ खसि पड़लै ।रहमान कतबो मनेलक जे ओकरा तलाकक कोनो जरूरति नै छै ।ई प्रेमे छल ।मुदा धर्म मानै लेल तैयार नै भेलै ।आब सकीना आन पुरूषसँ निकाह कऽ, तीन मास काटि ,ओकरासँ तलाक लेलाक बादे रहमानसँ निकाह कऽ सकतै ।टोलक लोक सकीनाकें घरसँ निकालि देलकै ।रहमान आ सकीनाक नोर पूछि रहल छल जे एहन धर्म बनाएले किए गेलै जे प्रेमो नै बुझै छै ?

*हम किनको ठेस नै पहुँचाबऽ चाहै छी आ नै कोनो धर्मपर कटाक्ष करै छी ।ई कथाकें मात्र मनोरंजनक नजरिसँ देखल जाए । *
अमित मिश्र

डेराउन चिन्ता

बड़की टा हवेलीक बड़का आँगनमे भाए-बहिन खेलैमे व्यस्त अछि ।भाए डकैतक आ बहिन बटोहीक अभिनय कऽ रहल छल ।भाए बहिनकें पकड़ैत बाजल " सुन बटोही, जतेक पाइ, सोना-चानी छौ सबटा निकाल ।नै तँ एतै टपका देबौ ।"
बहिन कानैत बाजल "हमरा लऽग किछु नै छै ।हमरा छोड़ि दे ।"
भाए भरिगर आवाजमे "छोड़ि कोना देबौ ।संगमे नै तँ घरपर हेतौ ।चल घर ओतै दऽ दिहें ।"
बहिन जोरसँ कानैत "नै नै ।हमरा घरोपर तोरा दै बाला किछु नै छै ।धन स्वरूप मात्र माँ-बाबू छथि ।"
भाए बहिनकें छोड़ैत बाजल "दुर, सबसँ पैघ भीखमंगा तूँ छें ।माँ-बाबू लऽ कऽ की हम अचार बनेबै, राख अपने लऽग ।
दुनूक वार्तालाप सूनि बगलमे बैसल माए-बापकें भविष्यक डेराउन चिन्ता धऽ लेलकै ।

अमित मिश्र

गुरुवार, 23 मई 2013

गंगा स्नान

"एहि बेर तँ गंगा असनान कैये लिअ काकी ।"बलहाबाली लाल काकीकें एहि बेरक कुम्भक महिमाक बखान करैत कहलनि ।अन्तमे लाल काकी तैयार भऽ गेलनि ।निश्चित दिन जीपसँ दरभंगा आबि गेलनि ।
गाड़ी आबैमे देरी छलै तें टीसनसँ बाहर आबि गेलनि ।तखने देखैत छथि जे तीन टा पुलिस एकटा बीस-बाइस वर्षक नवयुवककें लठियाबैत लऽ जाइत छल ।युवक चिचियाइत छल "हम छात्र छी, पाकेटमार नै ।हम किछु नै केलौं ।छोड़ि दिअ . . ."
पुलिस ओकरा फटकारैत कहलकै "उ तँ हमरो पता है ।लेकिन रुपैया दो तखन छोड़ेगा ।"
काकीकें रहल नै गेलै ।गंगा स्नान लेल जे पाइ छल सब पुलिसकें दऽ युवककें छोड़ा लेलनि ।युवककें पुछलापर कहलनि "तोरामे हमर भुतलाएल बेटा देखाइ देलक तें हम तोरा छोड़ेलिअ ।"
ई कहि लाल काकी पाइक खगतामे पएरे गाम दिश चलि देलनि ।

अमित मिश्र

बुधवार, 22 मई 2013

परिणाम

एकटा महिला डाक्टरसँ" डाक्टर साहेब कने अल्ट्रासाउण्ड कऽ दिअ ।"
डाक्टर बाजल "किए बेटी नै सोहाइत अछि की ?जँ भ्रुण हत्या चाहैत छी तँ हम नै करब ।"
ओ महिला कने हड़बड़ाइत बाजल "नै नै, हमर खानदानमे बेटी नै अछि ।बेटीये चाही ।" ओकर मुखारबिन्दपर झूठ झलकि रहल छल ।बात बढ़बैत "जँ बेटी हएत तँ दूना फीस देब ।"
दूना फीस सूनि लोभ वस डाक्टर झूठ कहलकै जे बेटीये अछि ।
किछु दिन बाद ओ महिला बच्चा खसा लेलक ।एहि क्रममे माए बनबाक क्षमतो नै बचलै ।तखन पता चललै जे असलमे भ्रुण बेटेक छलै ।आँखि नोरा गेलै ।आब जीवन भरि नि:सन्तान रहबाक दुख जीवाक ताकत खतम कऽ देने छलै । झूठ आ हत्याक बड भारी परिणाम भेटलै ओकरा ।

अमित मिश्र

उत्तरक खगता


-पापा, अखबारमे बड छपै छै भ्रुण हत्याक बारेमे ।ई की होइत छै ?
-बेटा, जनमैसँ पहिने जँ ककरो मारि देल जाइ छै तँ एकरा भ्रुण हत्या कहल जाइ छै ।
-मुदा किए मारि देल जाइ छै ?
-जहिना मच्छर, साँप सन जीवकें खतरा बूझि लोक मारि दै छै तहिना भ्रुणोकें . . .
-(बीच्चेमे बात लोकैत) से तँ बुझलियै, मुदा जनमसँ पहिने केहन खतरा रहैत छै ?
-पढ़ाइ कर ।ई सब एखन नै बुझबें ।
-अच्छे एकटा बात कहू ।खाली कन्ये भ्रुणकें किए मारल जाइ छै ।बालककें किए नै ? की एकरासँ खतरा नै होइ छै ।

ई सूनि पापाकें किछु नै फुरेलै ।एकटा छोट नेनाक प्रश्नक उत्तर ओकरा लऽग नै छलै ।उत्तरक खगताक अनुभव भऽ रहल छलै ओकरा ।

अमित मिश्र

मंगलवार, 21 मई 2013

किछु भऽ जाए विआह करबे करब

अरे . . .एना जुनि कर . . .खसि पड़बें . . .रे छौड़ा . . .कोठीसँ उतर चोकलेट देबौ . . .रे . . .
आधा घंटासँ झा जीक घरसँ एहने आवाज आबि रहल छलै ।हुनकर पाँच बर्षक बेटा कोनो बातपर रूसि कऽ कोठीपर बैस गेल छलै ।ओकरे उतारबाक प्रयासमे लागल छल झा जीक परिवार ।
"बौआ, की चाही अहाँकें ।हम एखने देब " झा जी बेटाकें पोल्हबैत कहलनि ।
बेटा ठेसगरसँ बाजल "कनियाँ ।"
सबहक होश उड़ि गेलै ।बाबा तमसाइत कहलनि "कनियाँ !ई सब के सिखेलकौ ।"
"आइ मैडम पढ़बै छलखिन जे लड़कीक संख्या तेजीसँ घटि रहल छै।लोक एखने कुमारे जीब रहल छथि ।तखन तँ हमर समयमे एक्को टा नै बचतै ।पापा तँ मम्मी बिना खाइतो नै छथि , हम कोना रहब ।तें किछु भऽ जाए विआह करबे करब ।" पाँच वर्षक नेनक मुँहे ई कटु सत्य सूनि सब सोचमे पड़ि गेलाह ।

अमित मिश्र

आस्था

" यौ डाक्टर बाबू ।एकटा बात बुझलियै ।"
"की?"
"इएह विआहक 20 साल बाद सोनी दाइकें बौआ भेलै हें ।"
"हे मजाख जुनि करू ।जकरापर मेडिकल विज्ञान लाल कलम चला देलकै ।ओकरा बच्चा कोना भऽ सकैछ ।"
"भऽ सकै नै, भऽ गेलै ।सोनी दाइ एहन पुजेगरी देखलियै अहाँ कतौ ?"
"नै ।"
"तखन ।एकटा बात तँ मानिये लियौ जे डाक्टर आ मेडिकलसँ बढ़ि कऽ छै भगवानक विधान ।"
" हँ यै ।ठीके कहै छी ।आब तँ हमरो विज्ञानसँ बेसी भगवानपर आस्था भऽ गेल ।"

अमित मिश्र

सोमवार, 20 मई 2013

गजल

अछि जँ जिनगी तँ प्रेम केनाइ सिख लिअ
दुख बिसरि जगमे मन लगेनाइ सिख लिअ

काल्हिकेँ नै कोनो भरोसा बचल अछि
आइपर हिल मिल आबि जेनाइ सिख लिअ

जीवनक सुख दुख बाट दू छैक बुझलहुँ
दूबटीयापर हँसि कऽ गेनाइ सिख लिअ

अपन मनमे प्रेमक जगाबैत बाती
आँखि सभकेँ सोझाँ उठेनाइ सिख लिअ

के बुझेलक ‘मनु’ छै अछूतगर पापी
पाप आबो संगे मिटेनाइ सिख लिअ

(बहरे खफीक, मात्रा क्रम – २१२२-२२१२-२१२२) 
जगदानन्द झा ‘मनु’