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बुधवार, 6 मार्च 2013

भक्ति गजल




अहाँ तँ सभटा बुझैत छी हे माता
सुमरि अहाँकेँ कनैत छी हे माता 

दीन हीन हम नेना बड़ अज्ञानी
आँखि किए अहाँ मुनैत छी हे माता

अहाँ तँ  जगत जननी छी भवानी
तैयो नहि किछु सुनैत  छी हे माता 

श्रधाभाव किछु देलौं अहीँ  हमरा
अर्पित ओकरे करैत छी हे माता

नहि हम जानी किछु पूजा-अर्चना
जप तप नहि  जनैत छी हे माता

जगमे आबि    ओझरेलहुँ एहेन
अहाँकेँ नहि सुमरैत छी हे माता

छी मैया हमर हम पुत्र अहीँकेँ
एतबे तँ हम बजैत छी हे माता

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१३)

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