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सोमवार, 25 मार्च 2013

गजल



आइ सगरो गाममे हाहाकार छै
मचल एना ई किए अत्याचार छै

आँखि मुनने बोगला बैसल भगत बनि
खून पीबै लेल कोना तैयार छै

देखतै के केकरा आजुक समयमे
देशकेँ सिस्टम तँ अपने बेमार छै

देखते मुँह पाइकेँ कोना मुँह मोरलक
मांगि नै लेए खगल सभ बेकार छै

भरल भिरमे एखनो धरि एसगर छी
केकरो मनपर ‘मनु’क नै अधिकार छै

(बहरे जदीद, मात्रा क्रम – २१२२-२१२२-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’        

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