की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। संपर्क करी मो०/ वाट्सएप न० +91 92124 61006

गुरुवार, 14 मार्च 2013

भक्ति गजल

हे राम बसु मनमे हमर
ई प्राण धरि तनमे हमर

सदिखन अहीँक ध्यानमे
नै मन बसै धनमे हमर

प्रभु दरसकेँ आशासँ ई
भटकैट मन बनमे हमर

एतेक मन चंचल किए
प्रभु रहथि कण कणमे हमर

हे राम ‘मनु’पर करु दया
नै मन बहै छनमे हमर

(बहरे रजज, मात्रा क्रम २२१२-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’        

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें