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गुरुवार, 14 मार्च 2013

भक्ति गजल

हे राम बसु मनमे हमर
ई प्राण धरि तनमे हमर

सदिखन अहीँक ध्यानमे
नै मन बसै धनमे हमर

प्रभु दरसकेँ आशासँ ई
भटकैट मन बनमे हमर

एतेक मन चंचल किए
प्रभु रहथि कण कणमे हमर

हे राम ‘मनु’पर करु दया
नै मन बहै छनमे हमर

(बहरे रजज, मात्रा क्रम २२१२-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’        

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