मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

बुधवार, 6 मार्च 2013

गजल



लुटेए गाम गाबेए कियो लगनी
किए लागल इना सभकेँ शहर भगनी

कियो नै सोचलक परदेश ओगरलक
गेलै गामपर माए किए जगनी

उठेलहुँ बोझ हम आनेक भरि जिनगी
अपन घरमे रहल सदिखन बसल खगनी

बिसरलहुँ सुधि सगर कोना कहम हुनकर
बनेलहुँ अपन जिनका हम घरक दगनी

अपन जननी जनमकेँ भूमि नै बिसरल
भरल बाँकी तँ अछि सभठाम मनुठगनी

(बहरे हजज, मात्रा क्रम १२२२ तीन तीन बेर सभ पांतिमे)
जगदानन्द झा मनु’             

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें