कारी तोहर रूप छौ जमुनी तैयौ लागें बहुते मीठ
ई चिड़ैयाँ नै जामुन खसबै सतमे ई छै बहुते ढीठ
कतबो ढेला फेकै छी तैयौ ठीक ठाढ़ि धरि पहुँचै नै
कोनो ठाढ़िपर जा कऽ लटकल, घूरि कऽ ढेला आबै नै
लग्गी लटकल, ठेंगा लटकल, लटकल बहुते चप्पल
मोन हकमल, घामे-पसिने, तैयो जामुन नै भेटल
कोना टूटतै गाछसँ जामुन ? भारी सबाल बनल अछि
तखने एकटा छौड़ा बाजल, ई तँ बहुत सरल छै
आश लगेने बैसै जाइ जो, बिछा कऽ चट्टी बोरा
जखने सिकहत अदृश्य हवा, तँ खसतै झोराक झोरा
अमित मिश्र
कारी तोहर रूप छौ जमुनी तैयौ लागें बहुते मीठ
ई चिड़ैयाँ नै जामुन खसबै सतमे ई छै बहुते ढीठ
कतबो ढेला फेकै छी तैयौ ठीक ठाढ़ि धरि पहुँचै नै
कोनो ठाढ़िपर जा कऽ लटकल, घूरि कऽ ढेला आबै नै
लग्गी लटकल, ठेंगा लटकल, लटकल बहुते चप्पल
मोन हकमल, घामे-पसिने, तैयो जामुन नै भेटल
कोना टूटतै गाछसँ जामुन ? भारी सबाल बनल अछि
तखने एकटा छौड़ा बाजल, ई तँ बहुत सरल छै
आश लगेने बैसै जाइ जो, बिछा कऽ चट्टी बोरा
जखने सिकहत अदृश्य हवा, तँ खसतै झोराक झोरा
अमित मिश्र
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