गाममे एलै एकटा चोर
किओ नै देखै ओकर गोर*
हवा बनि कऽ आबै छल
सबहक घरमे घूसै छल
दिन देखै नै राति आ भोर
चोरबै छल ओ सबहक नोर
सबकें खूब हँसेने जाए
तामस दूर भगेने जाए
नाम छल ओकर हँसी-खुशी
बचल नै गाममे किओ दुखी
*गोर = पएर
अमित मिश्र
मंगलवार, 14 मई 2013
रविवार, 12 मई 2013
विहनि कथा - महत्व
आइ ट्रेनमे बेसीए भीड़ छलै ।दुर्गा पूजा, छठि, दिवाली सन पावनि एक्कै मासमे होइ बाला छै ।परदेशसँ साल-साल भरि बाद गाम घूरि रहल मजदूरसँ ट्रेन भरल छलै ।जेनरल आ रिजर्वेसनमे कोनो अन्तर नै ।रसे-रसे सबारी गाड़ी सन बढ़ैत सुपरफास्ट ट्रेन कोनो टीसनपर थम्हलै ।एकटा 20-22 वर्षक गोर-नार लड़की अपन सीटसँ उठि गेल ।एते देरसँ जाँघपर राखल झोड़ाकें नुरिया कऽ बर्थक तऽरमे राखि देलकै ।इम्हर-उम्हर ताकैत पर्स टाँगि ट्रेनसँ उतरि गेल ।अपन गन्तव्य दिश बढ़ैत ट्रेन सब टीसनपर खाली होइत गेलै ।एकाएक ओहि सीटक नीच्चाँसँ नेनाक चित्कार सुनाइ देलकै ।झटपटमे यात्री झोड़ाकें ताकि खोललक ।ओहिमे 10-15 दिनक एकटा कन्या कानि रहल छलै ।यात्री परेशान भऽ गेल जे आब की करी ।लाख प्रयासक बादो कननाइ बन्द नै भेलै ।तखने एटका कुजरनी ओकरा अपन छातीसँ सटा लेलकै ।कननाइ बन्द भऽ गेल आ दूध पीबाक स्वर तीब्र ।कुजरनीक मैल, माहकैत आँचरक तऽरसँ निकलैत ओ स्वर धिक्कारि रहल छल एकर असली माएकें आ बता रहल छल मामता भरल माएक महत्व ।
अमित मिश्र
अमित मिश्र
बुधवार, 8 मई 2013
गजल
कनी हमरो बजा दिअ माँ
अपन दर्शन करा दिअ माँ
कते आशा लगोने छी
अपन चाकर बना दिअ माँ
जनम भरि बनि टुगर रहलहुँ
सिनेहक निर चटा दिअ माँ
जँ हम नेना अहाँकेँ छी
अलख मनमे जगा दिअ माँ
सुखेलै नोर जरि आँखिक
चरण ‘मनु’केँ दखा दिअ माँ
(बहरे हजज, मात्रा क्रम – १२२२-१२२२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
अपन दर्शन करा दिअ माँ
कते आशा लगोने छी
अपन चाकर बना दिअ माँ
जनम भरि बनि टुगर रहलहुँ
सिनेहक निर चटा दिअ माँ
जँ हम नेना अहाँकेँ छी
अलख मनमे जगा दिअ माँ
सुखेलै नोर जरि आँखिक
चरण ‘मनु’केँ दखा दिअ माँ
(बहरे हजज, मात्रा क्रम – १२२२-१२२२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
लेबल:
गजल,
जगदानन्द झा 'मनु',
भक्ति गजल
मंगलवार, 7 मई 2013
हमर ई मतलब नै छल
एकटा
लड़का अपन होइ बाली पत्नीकें देखबाक लेल गेल । ओकरा सुन्दर लड़की चाही छल आ ओ लड़की
बहुत बेसी खूबसूरत छली ।लड़का अपन पत्नीक रूपमे एकटा सुशील, कर्मठ आ सर्व गुण समपन्न लड़की चाहैत छल
।ओ चाहै छल जे लड़की ओकर माँ-बाबूकें जानसँ बढ़ि कऽ प्रेम आ सेवा
करै, परञ्च बढ़ैत फैसनक
दौरमे एहन लड़कियोंसँ
ओ डरै छल जे एसगर रहनाइ पसन्द करैत अछि, तें ओ किछु प्रश्न पुछबाक विचार केलक ।लड़का पुछलक,
"असलमे व्याहक बाद हम
माँ-बाबूकें छोड़ि कऽ एसगर रहऽ चाहैत छी ।एहि बारेमे अहाँक की सोच अछि? ऐमे अहाँ हमर पत्नीक रूपमे संग देब ने
?"
लड़की
गर्वसँ बाजल, "अहाँक जे सोच अछि ओहिसँ ठीक
उल्टा हम सोचै छी। हम अपन माए-बापक संग रहनाइ पसीन करब ।"
लड़काकें लागलै जे लड़की जानि
-बूझि कऽ एहन बात बाजल किएक तँ आइ-काल्हिक लड़की केवल अपन पतिक संग रहनाइ
पसीन करैत अछि ।इहे
सोचि ओ एकटा नव नाटक केलक ।ओ ठाढ़ भऽ गेल आ बाजल- तऽ हम अहाँसँ
व्याह नै
कऽ सकब ।
लड़कियो
ठाढ़ भऽ गेल आ
कड़कि कऽ बाजल , "अहाँ
की, अहाँसँ हम व्याह
नै करऽ चाहै छी ।जे अपन माए -बापकें नै भऽ
सकलै, ओ हमर की हेतै ।"
ई
कहि कऽ लड़की जाए लगल ।आब तँ लड़काक पएरक नीच्चाक धरती घुसकि गेलै ।दिमाक ठीक भऽ गेलै ।ओ
लड़कीकें मनेबाक
प्रयासमे लागि गेल ।लड़का नै चाहैत छल जे लड़कीकें एहि नाटक आ झूठक कारण पता चलै ।लाख
मनेलाक बादो लड़की
नै मानल ।अन्तमे ओकरा एहि झूठक रहस्य बतबऽ पड़लै ।दुनू खुश भऽ गेल आ एक संग
बाजल, "असलमे
हमर ई मतलब नै छल।"
ई सुनि दुनू एक दूसरकें देख कऽ मुस्कुराए
लागल ।लड़का बूझि गेल जे लड़कियो झूठ बाजै छल आ उहो अलग रहऽ चाहै छल
।लड़का व्याहसँ मना करऽ चाहैत छल मुदा सुन्दर पत्नी रूपी लड़कीकें संग देख
मातृ-पितृ सेवा बिसरि अलग रहैक लेल तैयार भऽ गेल ।
अमित
मिश्र
सोमवार, 6 मई 2013
गारेन्टी
सुजीतजी मोटर साइकिल
ड्राइव करैत पाँछा प्रशांत जीकेँ बैसोने | मिशर जीक दलानपर रुक्ला | आँगा-आँगा
सुजीतजी हुनक पाछू प्रशांतजी, मिशरजी लग जा सुमितजी, “नमस्कार मिशरजी, हम कहने रही
ने आयुर्वेदसँ समंधित, माँजीक गठियाक दवाइ | हिनकासँ मिलु ई प्रशांतजी, हमर सीनियर
छथि | अपनेक सभ गप्पक उचीत उत्तर देता |”
जगदानन्द झा 'मनु'
मिशरजी, “नमस्कार-
नमस्कार (कुर्सी दिस इशारा कए) बैसल जाउ |”
तीनु गोटा कुर्सी
ग्रहण कएला, तदुपरांत मिशरजी, “हाँ कहियौ |”
प्रशांतजी, “हम
एकगोट आयुर्वेदिक कम्पनीसँ जुड़ल छी आ हमरा सभ लग किछु असाध्य रोग जेना मधुमेह,
गठिया, बी०पी०, हार्ड प्रोब्लेम आदिक सफल उपचार अछि | सुजीत भाइसँ ज्ञात भेल अपनेक
माए गठिया---“
मिशरजी, प्रशांत जीक
गप्प बिच्चेमे रोकैत, “हाँ, से सभ ठीके पहिले कहु गारेन्टी छैक |”
प्रशांतजी, “गारेन्टी ! गारेन्टी कोना कहु मुदा ठीक होबाक सए टका विस्वास छैक |”
मिशरजी, “हाँ इहे,
जखन गारेन्टीए नहि तखन हम अपनेक गप्प कोना मानव |”
प्रशांतजी, “सुनू-सुनू,
हमर सभक पद्धति सुनला वाद अहाँ अपनो बुझबै आ मानबै जे गठियाक उपचार संभव छैक |”
मिशरजी, “कोना मानू,
अपने गएरेन्टी देबै तहन ने मानब | आइ बिस बरखसँ कोनो डॉक्टर कोनो अस्पतालसँ ठीक
नहि भेलै, अहुँ गारेन्टी नहि लए रहल छी आ अहीँ की दुनियाँक कोनो डॉक्टर गारेन्टी नहि
लएत तखन कोना मानू |”
प्रशांतजी, “देखू ई
गप्प ठीके अछि जे दुनियाँक कोनो डॉक्टर गारेन्टी नहि लेत किएक तँ दुनियाँक कोनो
डॉक्टर लग एकर इलाह नहि छैक | गठिया की भेलै ?.... अपन ठेहुनक दुनू हड्डीकेँ जोड़क बीचमे एकटा माँसुक
टुकड़ा होएय छैक जेकरा कार्टिलेज कहल जाइ छैक आ ओहि कार्टिलेजकेँ ठीक आ तन्दुरुस्त
राखैक लेल, हम जे भोजन खाए छी ओहि भोजनसँ एकटा ग्रीस जकाँ चिपचिपा पदार्थ निकलै
छैक जेकरा साइनोवियस फ्लूड कहल जाइ छैक | भोजनमे पोष्टिक तत्वक कमी, प्रदुषण, बएसकेँ
बेसी भेलासँ, आन आन कतेको कारणे अपन देहमे साइनोवियस फ्लूड बननाइ बन भए जाइ छै |
जखने साइनोवियस फ्लूड अर्थात चिपचिपा पदार्थ ग्रीस खत्म भेल तखने दुनू हड्डीक बिचमे
दबा पिचा कए मासुक टुकड़ा अर्थात कार्टिलेज कइट जाइ छैक | दुनू हड्डीक बिचमे गएप भए
जाइ छैक आ दुनू हड्डीमे हड्डी घसेलासँ असहाय दर्द होइत छैक | कतेक गोटेकेँ तँ चलला
उत्तर हड्डीमे हड्डी घसेलासँ आवाज सेहो होइत छै | आब देखियौ एहिठाम डॉक्टर कहैत
अछि जे साइनोवियस फ्लूड अर्थात चिपचिपा पधार्थ ग्रीस बननाइ बंद तँ बंद एकर कोनो
इलाज नहि, बेसीसँ बेसी जीवन भरि दर्द निवारक गोटी खाए कए दर्दसँ बँचि सकै छी |
बेसी दर्द निवारक दवाई खेलासँ हार्ड आ किडनीपर से खराबअसर | आब देखियौ, हमरा सभ लग
अछि समुद्री जड़ी बूटीसँ निर्मित -------, आ जिनक शरीरमे एक्को आना साइनोवियस फ्लूड
बचल अछि एकर नियमित सेवन कएला बाद हुनक शरीरमे ई साइनोवियस फ्लूड बनेनाइ शुरू करत
आ जखने साइनोवियस फ्लूड बननाइ शुरू होएत, मासुक टुकड़ा अर्थात कार्टिलेज पुनः
मरम्मत भेनाइ आरम्भ भए जाएत | शरीरमे वर्तमान साइनोवियस फ्लूडकेँ उपस्थित मात्राक
हिसाबे ६ महिनासँ एक सबा बरखक अधिकतम सेवन कएला बाद कोनो व्यक्ति अपन पएरपर चलएटा
नहि दौड़ए लगता |”
एतेक बड़का गठियापर
व्याख्यान सुनि मिशरजी चुप्प, चुप्पी तोरैत, “हूँ ! सभ ठीक मुदा गारेन्टी....”
प्रशांतजी, “अच्छा लिअ
हम अहाँक माए केर ठीक होबैक गारेन्टी लै छी, अहाँक माए हमर माए | अहाँ एक सबा बरख
हमर दवाइ दियौन, ठीक नहि भेली तँ पाइ वापिस |”
आब तँ मिशरजीक बोल
बन, जेबीसँ मोबाईल निकाइल बामे हाथे कएकटा न० लगेला बाद, “यौ सभ ठीक, आब तँ अहाँ गारेन्टीयो
लए लेलहुँ मुदा एखन हमर छोटका भाइ फोन नहि उठा रहल अछि बादमे ओकरासँ गप्प कएला बाद
हम कहब किएक तँ गप्प एक दू महिनाक नहि छै एक सबा बरखक छै |”
एतवामे दलानक कोन्टासँ
मिशरजीकेँ कनियाँक चूड़ीकेँ खनखनाइक आवाज एलन्हि | मिशरजी घुमि कए देखला उत्तर
प्रशांतजीसँ, “ कनीक अबै छी |” कहैत उठि कनियाँ दिस चलि गेला |
मिशर जीसँ हुनक
कनियाँ, “हम सभटा सुनलहुँ, ई तँ ठीके अचूक इलाज छै आ अहाँ बुझिते छीऐ जे हमरो माए
गठियासँ परेसान छै | अहाँ अपन माए लेल ली की नै हमरा नै बुझल मुदा काइल्ह चिन्टू
गाम जा रहल छै, ६ महिनाक दवाइ लए कऽ चिन्टू दिया हमरा माए लेल पठा दियौ बांकी ६
महिना बाद फेरो कियो गाम जेबे करतै तखन |”
कनियाँक गप्प सुनि
मिशरजी वापस आबि कुर्सीपर बैसैत, “ठीक सर, आब अपने एतेक कहैत छी तँ ६ महिनाक दवाइ हमरा
दए दिअ |”
प्रशांतजी, “ठीक छैक
परशु सुजीतजी अहाँकेँ दए देता |”
मिशरजी, “परशु नहि
हमरा काइल्ह भोरे चाही किएक तँ ई हमर माए लेल नहि हमर सासु लेल छन्हि आ काइल्ह
भोरे १० बजे हमर सार चिन्टू गाम जा रहल छथि | तेँ तँ एक्के बेर ६ महीनाक दवाइ मंगा
रहल छी |”
प्रशांतजी, “कोनो
बात नै काइल्ह भोरे ९ बजे तक मिल जाएत | सुजीत जीकेँ पाइ दए दियौन्ह मुदा हाँ गएरेन्टी नहि भेटत |”
मिशरजी, “किएक |”
प्रशांतजी, “ई गारेन्टी
अहाँक माए लेल छल, किएक तँ अहाँक माए हमर माए दोसर ओ हमर आँखिक सोझाँ छथि हुनका हम
देखो सकै छीएन्हि, ठीक भेली की नहि मुदा अहाँक सासु... “
मिशर जी, जेबीसँ पाइ
निकालि कए दैत, “यौ प्रशांतजी अहुँ की गप्प करै छी अहाँ देलहुँ हमरा बिस्वाश भऽ
गेल ई पाइ राखू मुदा हाँ भोरे ९ बजे धरि दबाइ भेट जेबा चाही नहि तँ अपने बुझिते
छियै कनियाँ सार सासु |”
प्रशांतजी, “हाँ
अवस्य, (उठैत) अच्छा आब आज्ञा दिअ |”
दुनू
गोटे बिदा भेला
| मोटर साईकिलपर बैसला बाद बैसले- बैसल सुजीतजी, “प्रशांत भाइ देखलियैन्ह,
माए लेल गारेन्टी चाही भाइ सभक सहमति चाही आ सासु नामे चट्टे ६ महिनाक पाइ
निकैल गेलन्हि |”
*****जगदानन्द झा 'मनु'
लेबल:
जगदानन्द झा 'मनु',
बीहनि कथा
रविवार, 5 मई 2013
अहाँक मैथिली बड्ड कमजोर अछि
“अहाँक मैथिली बड्ड कमजोर अछि”
“धूरि बु-- कहीँक, हमर मैथिली बड़ कमजोर अछि | कमजोर की तागतवर केहनो अछि तँ, आ जकरा लग किछु छै हे नै | जे जिनगी भरि अंग्रेजी वा हिंदीक घड़ीघंटा बन्हने अपनो घुमैत रहैए आ दोसरोकेँ
ओहे सिखाबैत रहैए ओकरासँ तँ नीक | रहल हमर खराप मैथिलीक गप्प तँ जखन जगदानंद मनु एहन लोक मैथिलीक मओ नै जनै वला
आइ अ०आ० केँ पाँछा घुमि गजलक सेकड़ा टपि गेल | लोशन कुमार मैथिल म-थ म-थ करैत आइ मैथिल नाम राखि सभकेँ मैथिली सिखाबैए तखन तँ
हमर कमजोरे अछि |”
रविवार, 28 अप्रैल 2013
हम नारी नहि
के पतियाएत
ई कएकरा कहु
सभक आँखिमे
पसि कए कोना रहु
सदिखन आँगुर
हमरेपर उठल
कतेक परीक्षा
आबो सहु
जतए ततए हमहीँ
लूटल गेलहुँ
घर बाहर सभतरि
हमहीँ
ठकेलहुँ
हम नारी नहि
नरकेँ भोग्या
सबदिन हमहीँ
जितल गेलहुँ
झूठ्ठे घर-घर
पूजल जाइ छी
मुड़ी मचौरि हम
भोगल जाइ छी
आबू रावण
बनि भाइ हमर
रामसँ पाछू
छुटल जाइ छी
|
*****
जगदानन्द झा ‘मनु’
लेबल:
कविता,
जगदानन्द झा 'मनु'
मंगलवार, 16 अप्रैल 2013
बाल कविता-परी रानी
हे परी रानी, परी रानी
चोकलेट खूब पठा दिअ
दू पाँखि, उजरा कपड़ा दऽ
अपने सन हमरो बना दिअ
सपनामे आब एनाइ छोड़ू
सदेह कोनो ठाम देखा दिअ
चान-तरेगण वा निज नगरी
उड़नखटोलापर संगे घुमा दिअ
जादू कए किछु खेल देखा कऽ
मोनक उपवन गमका दिअ
धरतीपर एक बेर आबि कऽ
दुखक सागर सुखा दिअ
अमित मिश्र
*फोटो हमर छात्रा प्रीती झा(ज्ञान भारती पब्लिक स्कूल, दरभंगा ,वर्ग-5)क अछि ।हमरा नीक लागल, आशा अछि अहूँकें नीक लागत ।
चोकलेट खूब पठा दिअ
दू पाँखि, उजरा कपड़ा दऽ
अपने सन हमरो बना दिअ
सपनामे आब एनाइ छोड़ू
सदेह कोनो ठाम देखा दिअ
चान-तरेगण वा निज नगरी
उड़नखटोलापर संगे घुमा दिअ
जादू कए किछु खेल देखा कऽ
मोनक उपवन गमका दिअ
धरतीपर एक बेर आबि कऽ
दुखक सागर सुखा दिअ
अमित मिश्र
*फोटो हमर छात्रा प्रीती झा(ज्ञान भारती पब्लिक स्कूल, दरभंगा ,वर्ग-5)क अछि ।हमरा नीक लागल, आशा अछि अहूँकें नीक लागत ।
रविवार, 14 अप्रैल 2013
गजल
माँ शारदे वरदान दिअ
हमरो हृदयमे ज्ञान दिअ
हरि ली सभक अन्हार हम
एहन इजोतक दान दिअ
सुनि दोख हम कखनो अपन
दुख नै हुए ओ कान दिअ
गाबी अहीँकेँ गुण सगर
सुर कन्ठ एहन तान दिअ
बुझि पुत्र ‘मनु’केँ माँ अपन
कनिको हृदयमे स्थान दिअ
(बहरे रजज, मात्रा क्रम - २२१२-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
हमरो हृदयमे ज्ञान दिअ
हरि ली सभक अन्हार हम
एहन इजोतक दान दिअ
सुनि दोख हम कखनो अपन
दुख नै हुए ओ कान दिअ
गाबी अहीँकेँ गुण सगर
सुर कन्ठ एहन तान दिअ
बुझि पुत्र ‘मनु’केँ माँ अपन
कनिको हृदयमे स्थान दिअ
(बहरे रजज, मात्रा क्रम - २२१२-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
लेबल:
गजल,
जगदानन्द झा 'मनु',
भक्ति गजल
गुरुवार, 11 अप्रैल 2013
मिथिला में मैथिलि फिल्लमक भूमिका
मिथिला में मैथिलि फिल्लमक भूमिका --
1.ममता गाबै गीत सन सुरुवात कैल मैथिल फिल्लमक आब अप्पन रफ़्तार पकैर चुकल अछि , ई फिल्लम निकलला के बद मैथिलि फिल्लम पर बरेक जरुर लगी गेल् छल , मुदा २. सस्ता जिनगी महाग सेनुर ई साबित केलक जे नै मिथिला में मैथिलि फ़िल्मक बहुत अभिलाषी छैथि , ई फिल्लम निकलक बाद किछु बिराम जरुर लेलक ,मुदा आब निरंतरण में कत्तार लागल जैत अछि , देखल जाओ ओहि पर एक जानकारी ।
३. आओ पिया हमर नगरी ४. ममता ५ . कखन हरव दुःख मोर ६ . दुलरुवा बाबू ७. सेनुरक लाज ८ . गरीबक बेटी ९ . सोहागिन १ ० . सजना के अगना में सोलहो सिंगर १ १ . मुखिया जी १ २ . सेन्हक बंधन १ ३. पिया भेल परदेशी १ ४ . सेनुरिया १ ५ . सजना अहाँ बिना १ ६ . कमला १ ७ . मिथिला के योधा १ ८ .अफवाह १ ९ . प्रितीया २ ० . हम नै जयाव पिया के गाम २ १ . मरी गेल बेटी दहेजक खातिर २ २ . सब दिन सौस के एक दिन पुतोह के २ ३ कर्म आ भाग्य २ ३ . हमर गाम अप्पन लोक २ ४ . चट मगनी पट बियाह २ ५ खुरलूची ,
आ और किछु निर्माणधीन सेहो अछि , जेनाकी - १. सेनुरक मोल बड अनमोल २ . हीरो तहर दीवाना ३ . रंगवाज छोरा ४ . छुटत नै प्रेमक रंग ५ . अछिंजल ७ . घोघ में चाँद ८ . हमर सोतिन ९ . हरबरी बियाह कानपट्टी सेनुर १ ० . छोटकी कन्या बडकी कन्या १ १ . चैन पुर वाली १ २ . संस्कार १ ३ . हमरो करा द बियाह १ ४ . घटकैती १ ५ सोतिनक बेटी इतियादी
आब अहिं सब कहु मात्र २-३ वर्ष में मैथिलि फिल्लम एंडस्ट्रि कतय पहुँच गेल , किछु एहो जानकारीभेटल हन जे किछु कलाकार ओ हिंदी और भोजपुरी छोरी मैथिलि दिस मुहँ मोराला हान , ई मिथिला लेल गौरव के बात अछि , अहं सब एक नजर अहि प्रोमो पर सेहो ध्यान दी - जय मैथिल जय मिथिला ,
किछु मैथिल फिल्लम , जे आजुक समय में मिथिला लेल बरदान सवित भसकैत अछि , जाही सन भाषा में बढ़ोतरी और मनोरंजनक संग आई इन्कोम के प्रमुख साधन बनत , गाम- घर में पसरल भोजपुरी के चलन किछु कम होइय्त , और मिथिला में मैथिलि फिल्लम फेस्टिवल के कार्य सेहो निम्न होयत से आशा कैल जासकैत अछि , एक नजीर अहूँ दी अहि पर देखल जाओ ---
1.ममता गाबै गीत सन सुरुवात कैल मैथिल फिल्लमक आब अप्पन रफ़्तार पकैर चुकल अछि , ई फिल्लम निकलला के बद मैथिलि फिल्लम पर बरेक जरुर लगी गेल् छल , मुदा २. सस्ता जिनगी महाग सेनुर ई साबित केलक जे नै मिथिला में मैथिलि फ़िल्मक बहुत अभिलाषी छैथि , ई फिल्लम निकलक बाद किछु बिराम जरुर लेलक ,मुदा आब निरंतरण में कत्तार लागल जैत अछि , देखल जाओ ओहि पर एक जानकारी ।
३. आओ पिया हमर नगरी ४. ममता ५ . कखन हरव दुःख मोर ६ . दुलरुवा बाबू ७. सेनुरक लाज ८ . गरीबक बेटी ९ . सोहागिन १ ० . सजना के अगना में सोलहो सिंगर १ १ . मुखिया जी १ २ . सेन्हक बंधन १ ३. पिया भेल परदेशी १ ४ . सेनुरिया १ ५ . सजना अहाँ बिना १ ६ . कमला १ ७ . मिथिला के योधा १ ८ .अफवाह १ ९ . प्रितीया २ ० . हम नै जयाव पिया के गाम २ १ . मरी गेल बेटी दहेजक खातिर २ २ . सब दिन सौस के एक दिन पुतोह के २ ३ कर्म आ भाग्य २ ३ . हमर गाम अप्पन लोक २ ४ . चट मगनी पट बियाह २ ५ खुरलूची ,
आ और किछु निर्माणधीन सेहो अछि , जेनाकी - १. सेनुरक मोल बड अनमोल २ . हीरो तहर दीवाना ३ . रंगवाज छोरा ४ . छुटत नै प्रेमक रंग ५ . अछिंजल ७ . घोघ में चाँद ८ . हमर सोतिन ९ . हरबरी बियाह कानपट्टी सेनुर १ ० . छोटकी कन्या बडकी कन्या १ १ . चैन पुर वाली १ २ . संस्कार १ ३ . हमरो करा द बियाह १ ४ . घटकैती १ ५ सोतिनक बेटी इतियादी
आब अहिं सब कहु मात्र २-३ वर्ष में मैथिलि फिल्लम एंडस्ट्रि कतय पहुँच गेल , किछु एहो जानकारीभेटल हन जे किछु कलाकार ओ हिंदी और भोजपुरी छोरी मैथिलि दिस मुहँ मोराला हान , ई मिथिला लेल गौरव के बात अछि , अहं सब एक नजर अहि प्रोमो पर सेहो ध्यान दी - जय मैथिल जय मिथिला ,
मंगलवार, 9 अप्रैल 2013
गजल
मृत्युक दयासँ किछु पल हँसि कऽ जीबै छै
पैंचा लऽ साँस, दिन सुख दुखसँ काटै छै
छै शेर घरहिंमे बलगर निडर बुधिगर
बाहर निकलि कुकुरकें देख भागै छै
ओझाक फेरमे जनता झड़कि रहलै
ज्ञानक किताब शाइत घून चाटै छै
सासुरक लेल केलक हवण निज इच्छा
तखनो बहुत धियाकें वैह मारै छै
जुनि आँखि आब देखैयौ अहाँ ककरो
नेना सगर भरल बंदूक राखै छै
छै पूछ मात्र ओकर एहि दुनियाँमे
जे जेब काटि बड खैरात बाँटै छै
(मुस्तफइलुन-मफाईलुन-मफाईलुन
2212-1222-1222)
अमित मिश्र
रविवार, 7 अप्रैल 2013
गजल
गजल-1.60
अम्बरमे जते तरेगण पसरल छै
ओते जनम धरि दुनू प्रेमी रहबै
ने अधलाह करब ककरो जग भरिमे
हमरो संग सब किओ नीके करतै
हँसि हँसि झाँपने कते दर्दक सागर
असगरमे नयनसँ शोणित बनि बहतै
मंगल अमर उधम भगतक जोड़े की
नव इतिहास रचि युवे अमरो बनतै
भाषा प्रीत केर जानै छी केवल
दोसर भाव "अमित" नै विचलित करतै
2221-2122-222
अमित मिश्र
अम्बरमे जते तरेगण पसरल छै
ओते जनम धरि दुनू प्रेमी रहबै
ने अधलाह करब ककरो जग भरिमे
हमरो संग सब किओ नीके करतै
हँसि हँसि झाँपने कते दर्दक सागर
असगरमे नयनसँ शोणित बनि बहतै
मंगल अमर उधम भगतक जोड़े की
नव इतिहास रचि युवे अमरो बनतै
भाषा प्रीत केर जानै छी केवल
दोसर भाव "अमित" नै विचलित करतै
2221-2122-222
अमित मिश्र
शनिवार, 6 अप्रैल 2013
गजल
घोड़ा जखन कोनो भऽ नाँगड़ जाइ छै
कहि ओकरा मालिक झटसँ दै बाइ छै
माए बनल फसरी तँ बाबू बोझ छथि
नव लोक सभकेँ लेल सभटा पाइ छै
घर सेबने बैसल मरदबा छै किए
चिन्हैत सभ कनियाँक नामसँ आइ छै
कानूनकेँ रखने बुझू ताकपर जे
बाजार भरिमे ओ कहाइत भाइ छै
खाए कए मौसी हजारो मूषरी
बनि बैसलै कोना कऽ बड़की दाइ छै
पोसाकमे नेताक जिनगी भरि रहल
जीतैत मातर देशकेँ ‘मनु’ खाइ छै
(बहरे रजज, मात्रा क्रम २२१२ तीन तीन बेर)
जगदानन्द झा ‘मनु’
लेबल:
गजल,
जगदानन्द झा 'मनु'
गुरुवार, 4 अप्रैल 2013
सब लागल काजमे
सुक्खल झट्टा, कोकनल लकड़ी
झट्टा खा गेल उजरी बकरी
लकड़ीपर दौड़ै छै मकरी
एखन बिएलै बाछी सुनरी
पीबै मोन भरि पियर गदरी
कौआ भागल देख कऽ बदरी
सोझराबै खोंताक सब ओझरी
सुग्गा लऽ राम-नामक मोटरी
भोरे-भेर खोलै छै गठरी
अन्हारक घेंट लगेने फँसरी
सूरज दादा घुमथि सब नगरी
सब लागल काजमे एबरी
हमहूँ उठाएब पोथीक मोटरी
मुदा भूखसँ गुड़गुड़ करै अँतरी
तें पहिने खा लै छी कचरी
अमित मिश्र
सोमवार, 1 अप्रैल 2013
भगवानक लेल आइटम गर्ल
शास्त्री जी जीवन भरि भागवत कथा बाँचैत रहलाह ।आरती, चढ़ाबासँ होइ बाला आमदनीसँ मजामे जिनगी कटैत छलन्हि ।देश-विदेशमे हिनक नाम प्रसिद्ध छलन्हि मुदा किछु दिनसँ भक्तक भीड़ लगातार घटले जा रहल छल ।आब तँ एक साए आदमी पुरनाइ मोशकिल भऽ गेलै ।एहि कारणसँ आमदनी सेहो घटि गेलै ।आयोजककें घटा लागऽ लागलै ।कतबो प्रचार-प्रसार केलाक बादो परिणाम पूर्वबत रहलै ।थाकि-हारि कऽ आयोजक एकटा उपाय सोचलक जे भागवतमे रास, प्रेम आ गोपीक चर्चा तँ छैहे, किएक ने गोपीकें मंचपर उतारल जाए ।अगिला प्रचारमे शास्त्री जीक नामसँ बेसी गोपीक चर्च कएल गेल ।कथाक दिन समयसँ पहिने पण्डाल खचाखच भरि गेलै ।शास्त्री जीकें भक्तक ओर-छोर नै भेटलनि ।मोने-मोन सोचऽ लागलनि जे भगवानोकें अपन कर्म, लीला बतेबाक लेल आ कलयुगमे अपन अस्तित्व बचेबाक लेल आइटम गर्लक सहारा लेबैये टा पड़लै ।
अमित मिश्र
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