सोमवार, 25 मार्च 2013
गजल
खाल रंगेल गीदड़ बड्ड फरि गेलै
एहने आइ सभतरि ढंग परि गेलै
घुरि कऽ इसकूल जे नै गेल जिनगीमे
नांघिते तीनबटिया सगर तरि गेलै
देखलक भरल पूरल घर जँ कनखी भरि
आँखि फटलै दुनू डाहेसँ मरि गेलै
सभ अपन अपनमे बहटरल कोना अछि
मनुखकेँ मनुख बास्ते मोन जरि गेलै
बीछतै ‘मनु’ करेजाकेँ दरद कोना
जहरकेँ घूंट सगरो पी कऽ भरि गेलै
(बहरे मुशाकिल, मात्रा क्रम २१२२-१२२२-१२२२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
लेबल:
गजल,
जगदानन्द झा 'मनु'
गजल
आइ सगरो गाममे हाहाकार छै
मचल एना ई किए अत्याचार छै
आँखि मुनने बोगला बैसल भगत बनि
खून पीबै लेल कोना तैयार छै
देखतै के केकरा आजुक समयमे
देशकेँ सिस्टम तँ अपने बेमार छै
देखते मुँह पाइकेँ कोना मुँह मोरलक
मांगि नै लेए खगल सभ बेकार छै
भरल भिरमे एखनो धरि एसगर छी
केकरो मनपर ‘मनु’क नै अधिकार छै
(बहरे जदीद, मात्रा क्रम – २१२२-२१२२-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
लेबल:
गजल,
जगदानन्द झा 'मनु'
शुक्रवार, 22 मार्च 2013
गजल
गजल-1.57
नै ककरोसँ कखनो फसल झगड़ा रहितै
यदि जगमे बनल नै नेह भाषा रहितै
नै डरतै महल शीशाक, पाथर लऽग जा
यदि सब नेउँमे मजगूत ईटा रहितै
चहुँ दिश भेटितै कननी दरद आ विरहिन
सभक प्रेमिका भागसँ जँ राधा रहितै
आधा ज्ञान सदिखन बनल घातक दुश्मन
सब बनितै अपन घट भरल पूरा रहितै
बीच्चे सड़कपर नवजात तन नै रहितै
यदि मिसियो बचल माएक ममता रहितै
2221-2221-2222
अमित मिश्र
नै ककरोसँ कखनो फसल झगड़ा रहितै
यदि जगमे बनल नै नेह भाषा रहितै
नै डरतै महल शीशाक, पाथर लऽग जा
यदि सब नेउँमे मजगूत ईटा रहितै
चहुँ दिश भेटितै कननी दरद आ विरहिन
सभक प्रेमिका भागसँ जँ राधा रहितै
आधा ज्ञान सदिखन बनल घातक दुश्मन
सब बनितै अपन घट भरल पूरा रहितै
बीच्चे सड़कपर नवजात तन नै रहितै
यदि मिसियो बचल माएक ममता रहितै
2221-2221-2222
अमित मिश्र
गुरुवार, 21 मार्च 2013
परिवर्तन
हमर (वा सभक) प्रवास ,जतऽ हम(सभ) रहैत छी
परिवर्तनपर परिवर्तन होइत देखैत छी
पहिराबा-ओढ़ाबासँ लऽ कऽ खान-पान धरि
बाजब-भुकबसँ लऽ कऽ स्वागत-सम्मान धरि
कखनो पुबरिया तँ कखनो पछबरिया झोंका उठैत अछि
कखनो जुअनका तँ कखनो बुढ़बा ढेका कसि झूमैत अछि
बातक खोइँचा छोड़बैत गप्पीक हमजोली
मरनासन्न भऽ गेल अछि नुक्कर परहक टोली
जखने-तखने बेटा खिसिया उठैत अछि बापपर
पथराएल आँखि कानैत अछि बाप बनबाक पापपर
क्षणे-क्षणे एकमहला घर और नम्हर भेल जाइत अछि
मुदा उपरसँ देखैत छी तँ लोके छोट भेल जाइत अछि
परिवर्तन तँ एहि संसारक अकाट्य नियम अछि
मुदा वर्जित अति तँ सदिखन प्राण हरैत यम अछि
एहि परिवर्तनशील समाजमे जुनि होउ एते परिवर्तित
जे समयसँ पहिने भऽ जाएब काल ग्रसित
अमित मिश्र
परिवर्तनपर परिवर्तन होइत देखैत छी
पहिराबा-ओढ़ाबासँ लऽ कऽ खान-पान धरि
बाजब-भुकबसँ लऽ कऽ स्वागत-सम्मान धरि
कखनो पुबरिया तँ कखनो पछबरिया झोंका उठैत अछि
कखनो जुअनका तँ कखनो बुढ़बा ढेका कसि झूमैत अछि
बातक खोइँचा छोड़बैत गप्पीक हमजोली
मरनासन्न भऽ गेल अछि नुक्कर परहक टोली
जखने-तखने बेटा खिसिया उठैत अछि बापपर
पथराएल आँखि कानैत अछि बाप बनबाक पापपर
क्षणे-क्षणे एकमहला घर और नम्हर भेल जाइत अछि
मुदा उपरसँ देखैत छी तँ लोके छोट भेल जाइत अछि
परिवर्तन तँ एहि संसारक अकाट्य नियम अछि
मुदा वर्जित अति तँ सदिखन प्राण हरैत यम अछि
एहि परिवर्तनशील समाजमे जुनि होउ एते परिवर्तित
जे समयसँ पहिने भऽ जाएब काल ग्रसित
अमित मिश्र
बुधवार, 20 मार्च 2013
गजल
अहाँ पिआर करु हमरा हमर बसन्ती पिया
अपन बाबूक नहि हम आब रहलहुँ धिया
बहुत जतनसँ सोलह बसन्त सम्हारलहुँ
आब नहि सहल जाइए हमर टूटेए हिया
नेह रखने छी नुका कए कोंढ़ तर अहाँ लए
रुकि नहि जुलूम करु हमर तरसेए जिया
आब आँकुर फूटल पिआरक अछि चारू दिस
अहाँ जे रोपलौं करेजामे हमर प्रेमक बिया
आउ हमरा सम्हाइर लिअ हमर सिनेहिया
अहाँकेँ सप्पत दै छी करियौ नै ‘मनु’ एना छिया
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१८)
जगदानन्द झा ‘मनु’
लेबल:
गजल,
जगदानन्द झा 'मनु'
सोमवार, 18 मार्च 2013
हमहूँ जेबै बरियाती
बाल कविता-19
हमहूँ जेबौ बरियाती
मामाक विआह छै, एथिन मामी
आनी-मूनी हम किछु नै जानी
नै गुड़िया लेबौ, नै लेबौ हाथी
बनि लोकनियाँ हमहूँ जेबौ बरियाती
चानन-ठोप लगा कऽ हमरो सजा दे
चुरीदार पैजामा, उजरा कुर्ता सिया दे
हमरो चुमा दे, आबि कऽ नानी
किछु भऽ जाए, जेबौ बरियाती
http://navanshu.blogspot.com/2013/03/blog-post_18.html
अरिछन-परिछन हमरो सब करतै
बड दुलारसँ रसगुल्ला, खीर खुएतै
कोरामे बैसा दुलार करतै मामी
आइ नै मानबौ, जेबौ बरियाती
नै आगू हेतौ तँ पाछुए बैसबौ
मिसियो नै आब बदमाशी करबौ
नै मानबें तँ रूसि बैसबौ बाड़ी
गाड़ियोपर लटकि, जेबौ बरियाती
अमित मिश्र
हमहूँ जेबौ बरियाती
मामाक विआह छै, एथिन मामी
आनी-मूनी हम किछु नै जानी
नै गुड़िया लेबौ, नै लेबौ हाथी
बनि लोकनियाँ हमहूँ जेबौ बरियाती
चानन-ठोप लगा कऽ हमरो सजा दे
चुरीदार पैजामा, उजरा कुर्ता सिया दे
हमरो चुमा दे, आबि कऽ नानी
किछु भऽ जाए, जेबौ बरियाती
http://navanshu.blogspot.com/2013/03/blog-post_18.html
अरिछन-परिछन हमरो सब करतै
बड दुलारसँ रसगुल्ला, खीर खुएतै
कोरामे बैसा दुलार करतै मामी
आइ नै मानबौ, जेबौ बरियाती
नै आगू हेतौ तँ पाछुए बैसबौ
मिसियो नै आब बदमाशी करबौ
नै मानबें तँ रूसि बैसबौ बाड़ी
गाड़ियोपर लटकि, जेबौ बरियाती
अमित मिश्र
बिल्लो मौसी बड खुरलुच्ची (बाल कविता)
बिल्लो मौसी छै बड खुरलुच्ची
पी गेल दूध, खा गेल लुच्ची
फोड़ि देलक पैसा बला चुक्की
आतंक मचेलक घरमे बुच्ची
चारि-पाँच मोछ ठाढ़ सुइया सन
मूस राजासँ रहै छै अनबन
अटकि-पटकि दै बर्तन-बासन
जियान केलक भरि मासक राशन
चमकै आँखि चमचम चमचम
म्याँऊ-म्याँऊ केर सदिखन सरगम
तोड़ि दै नीन्न खसि-खसि धम्म
बड़का खुरलुच्ची छै बिल्लो बम
अमित मिश्र
पी गेल दूध, खा गेल लुच्ची
फोड़ि देलक पैसा बला चुक्की
आतंक मचेलक घरमे बुच्ची
चारि-पाँच मोछ ठाढ़ सुइया सन
मूस राजासँ रहै छै अनबन
अटकि-पटकि दै बर्तन-बासन
जियान केलक भरि मासक राशन
चमकै आँखि चमचम चमचम
म्याँऊ-म्याँऊ केर सदिखन सरगम
तोड़ि दै नीन्न खसि-खसि धम्म
बड़का खुरलुच्ची छै बिल्लो बम
अमित मिश्र
शुक्रवार, 15 मार्च 2013
बाबाक हाथी
दिल्लीक कनाट प्लेशक प्रशिद्ध
कॉफी हॉउसक आँगन | लूकझिक साँझ मुदा महानगरीय बिजलीक
दूधसन इजोतसँ कॉफी हॉउसक आँगन चमचमाइत | एकटा गोल टेबुलक
चारू कात रखल चारिटा कुर्सीमे सँ तीनटापर ‘अ’, ‘ब’ आ ‘स’ बैसल गप्प करैत संगे कॉफीक चुस्कीक आनन्द सेहो लैत |
‘अ’ आ ‘ब’केँ बिचक बात-चितमे गरमाहट आबि गेलै | ‘अ’, “रहए दियौ अहाँक बूते नहि होएत |”
‘ब’, “हाँ ई की
कहलीयै हमरा बूते नहि होएत, अहाँ बुझिते कि छियै हमरा
बारेमे |”
‘अ’, “हम अहाँक
बारेमे बेसी नहि बुझै छी परञ्च ई नै .......”
‘ब’, “हे आगु
जुनि किछु बाजु, अहाँकेँ नहि बुझल जे अहाँक सोंझा के बैसल
अछि ? हमर बाबाकेँ नअटा बखाड़ी रहनि, दलानपर
सदिखन एकटा हाथी बान्हल रहैत छलनि | हमर परबाबाकेँ चालीस
गामक मौजे छलनि | हमर मामा एखनो बिहारक राजदरवारमे तैनात छथि
| हम स्वम एहिठाम योगाक क्लास राष्टपतिकेँ दै छीयनि |”
‘अ’ आ ‘ब’क गप्प बहुते देरीसँ चुपचाप सुनैत ‘स’ अपन कॉफीक घूंट खत्म कएला बाद खाली कपकेँ टेबुलपर
रखैत, “यौ हम आब चली, अहाँक दुनूकेँ
हाइक्लासक गप्प हमरा नहि पचि रहल अछि, हम तँ बस एतबे बुझै छी
जे हमर अहाँक बाबू-बाबा आ स्वयं हमरा सभमे एतेक बूता होइत तँ हम सभ एना दिल्लीमे
१५-२० हजारक नोकरी कए क’ आ भराक मकानमे जीवन बिता कए अपन-अपन
जिनगीकेँ नरकमय नहि बनाबितहुँ | ओनाहितो आजुक समयमे हाथी
भिखमंगा रखै छैक आ दोसर राजमे पेट ओ पोसैत अछि जेकरा अपन घरमे पेट नहि भरि रहल छैक
|”
‘स’केँ एकटुक तित
मुदा सत्य गप्प सुनि दुनूक मुँह चूप | ‘स’ सेहो ई गप्प बजैत हिलैत डुलैत निसाक सरूरमे ओतएसँ बिदा भए गेल | मुदा ओकर बगलक टेबुलपर बैसल हमरा ‘स’केँ ई गप्प सए टका सत्य लागल |
*****
जगदानन्द झा ‘मनु’
लेबल:
जगदानन्द झा 'मनु',
बीहनि कथा
सिहरी गेल मोन
सिहरी गेल मोन,
चौंकि गेलहूँ हम,
चेहा उठल स्मृति,
मेज पर राखल टेबुललैंप,
बेजान सन,
भुकभुकाईत रहल,
आ हम,
एही भुकभुकी में,
ताकि लेलहूँ,
अपन जिनगी,
आ जिनगीक सब रंग के,
अबधाईर लेलहूँ,
हमहूँ आब मशीन जकाँ,
स्विच स’ ओन आ ऑफ,
होइत रहैत छी,
जखन तखन,
बीती जो रे जिनगी,
नहीं अछि सहाज,
आब बस ......
चौंकि गेलहूँ हम,
चेहा उठल स्मृति,
मेज पर राखल टेबुललैंप,
बेजान सन,
भुकभुकाईत रहल,
आ हम,
एही भुकभुकी में,
ताकि लेलहूँ,
अपन जिनगी,
आ जिनगीक सब रंग के,
अबधाईर लेलहूँ,
हमहूँ आब मशीन जकाँ,
स्विच स’ ओन आ ऑफ,
होइत रहैत छी,
जखन तखन,
बीती जो रे जिनगी,
नहीं अछि सहाज,
आब बस ......
गुरुवार, 14 मार्च 2013
भक्ति गजल
हे राम बसु मनमे हमर
ई प्राण धरि तनमे हमर
सदिखन अहीँक ध्यानमे
नै मन बसै धनमे हमर
प्रभु दरसकेँ आशासँ ई
भटकैट मन बनमे हमर
एतेक मन चंचल किए
प्रभु रहथि कण कणमे हमर
हे राम ‘मनु’पर करु दया
नै मन बहै छनमे हमर
(बहरे रजज, मात्रा क्रम २२१२-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
ई प्राण धरि तनमे हमर
सदिखन अहीँक ध्यानमे
नै मन बसै धनमे हमर
प्रभु दरसकेँ आशासँ ई
भटकैट मन बनमे हमर
एतेक मन चंचल किए
प्रभु रहथि कण कणमे हमर
हे राम ‘मनु’पर करु दया
नै मन बहै छनमे हमर
(बहरे रजज, मात्रा क्रम २२१२-२२१२)
जगदानन्द झा ‘मनु’
लेबल:
गजल,
जगदानन्द झा 'मनु',
भक्ति गजल
शुक्रवार, 8 मार्च 2013
बाल कविता : कोना टूटतै जामुन ?
कारी तोहर रूप छौ जमुनी तैयौ लागें बहुते मीठ
ई चिड़ैयाँ नै जामुन खसबै सतमे ई छै बहुते ढीठ
कतबो ढेला फेकै छी तैयौ ठीक ठाढ़ि धरि पहुँचै नै
कोनो ठाढ़िपर जा कऽ लटकल, घूरि कऽ ढेला आबै नै
लग्गी लटकल, ठेंगा लटकल, लटकल बहुते चप्पल
मोन हकमल, घामे-पसिने, तैयो जामुन नै भेटल
कोना टूटतै गाछसँ जामुन ? भारी सबाल बनल अछि
तखने एकटा छौड़ा बाजल, ई तँ बहुत सरल छै
आश लगेने बैसै जाइ जो, बिछा कऽ चट्टी बोरा
जखने सिकहत अदृश्य हवा, तँ खसतै झोराक झोरा
अमित मिश्र
कारी तोहर रूप छौ जमुनी तैयौ लागें बहुते मीठ
ई चिड़ैयाँ नै जामुन खसबै सतमे ई छै बहुते ढीठ
कतबो ढेला फेकै छी तैयौ ठीक ठाढ़ि धरि पहुँचै नै
कोनो ठाढ़िपर जा कऽ लटकल, घूरि कऽ ढेला आबै नै
लग्गी लटकल, ठेंगा लटकल, लटकल बहुते चप्पल
मोन हकमल, घामे-पसिने, तैयो जामुन नै भेटल
कोना टूटतै गाछसँ जामुन ? भारी सबाल बनल अछि
तखने एकटा छौड़ा बाजल, ई तँ बहुत सरल छै
आश लगेने बैसै जाइ जो, बिछा कऽ चट्टी बोरा
जखने सिकहत अदृश्य हवा, तँ खसतै झोराक झोरा
अमित मिश्र
बुधवार, 6 मार्च 2013
भक्ति गजल
अहाँ तँ सभटा बुझैत छी हे माता
सुमरि अहाँकेँ कनैत छी हे माता
दीन हीन हम नेना बड़ अज्ञानी
आँखि किए अहाँ मुनैत छी हे माता
अहाँ तँ जगत जननी
छी भवानी
तैयो नहि किछु सुनैत
छी हे माता
श्रधाभाव किछु देलौं अहीँ
हमरा
अर्पित ओकरे करैत छी हे माता
नहि हम जानी किछु पूजा-अर्चना
जप तप नहि जनैत छी
हे माता
जगमे आबि
ओझरेलहुँ एहेन
अहाँकेँ नहि सुमरैत छी हे माता
छी मैया हमर हम पुत्र अहीँकेँ
एतबे तँ हम बजैत छी हे माता
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१३)
लेबल:
गजल,
जगदानन्द झा 'मनु',
भक्ति गजल
गजल
लुटेए गाम गाबेए कियो लगनी
किए लागल इना सभकेँ शहर भगनी
कियो नै सोचलक परदेश ओगरलक
भ’ गेलै गामपर माए किए जगनी
उठेलहुँ बोझ हम आनेक भरि जिनगी
अपन घरमे रहल सदिखन बसल खगनी
बिसरलहुँ सुधि सगर कोना क’ हम हुनकर
बनेलहुँ अपन जिनका हम घरक दगनी
अपन जननी जनमकेँ भूमि नै बिसरल
भरल बाँकी तँ अछि सभठाम ‘मनु’ ठगनी
(बहरे हजज, मात्रा क्रम १२२२ तीन तीन बेर सभ पांतिमे)
जगदानन्द झा ‘मनु’
लेबल:
गजल,
जगदानन्द झा 'मनु'
मंगलवार, 5 मार्च 2013
दहेज मुक्त मिथिलाक सफलतम २ वर्ष पूरा
दहेज मुक्त मिथिलाक सफलतम २ वर्ष पूरा
दहेज मुक्त मिथिला: तेसर वर्षमें प्रवेश(विशेष प्रतिवेदन)
दहेज मुक्त मिथिला आइ ३ मार्च २०१३ तेसर वर्षमें प्रवेश पौलक - विगत दू वर्षमें उपलब्धि सामान्य सऽ सेहो निचां रहल जेना हमर अनुभूति कहि रहल अछि। असफलता-सफलताक द्वंद्वमें फँसबाक लेल नहि, लेकिन आत्मनिरिक्छण लेल ई जरुरी जे दुनू विन्दुपर समीक्छा जरुर कैल जाय।
सफलता आ असफलताक सूची:सफलता १. सौराठ सभागाछी पुन: उत्थान हो ताहि लेल सार्थक सहकार्य। २०११ व २०१२ दुनू वर्ष।
असफलता १. बहुतो युवा द्वारा गछलाके बादो सभामें नहि आबि चोरा-नुका के विवाह करब घोर असफलता आ शायद आरोपके सिद्ध करयवाला जे कहयकाल मात्र दहेजके परित्याग लेल शपथ लेल गेल लेकिन विवाह घडी चोरा-नुका कार्य करब याने अवश्य किछु संदेहास्पद व्यवहार तरफ इशारा करैत अछि।
सफलता २. दहेज मुक्त मिथिला लेल पूर्ण प्रजातांत्रिक चुनाव अनलाइन सभा द्वारा करैत एक कार्यकारिणीक गठन।
असफलता २. मैथिलक आम स्वभाव जे आपसमें मेलके कमी, व्यक्तिवादी बनैत मुद्दाके दरकिनार करैत केवल आपसमें घमर्थनबाजी करब तेकर खुलेआम प्रदर्शन आ विभिन्न बहाने पलायनवादी मानसिकताक प्रदर्शन। एकजूटतामें कमी, अभियानक गतिमें शिथिलता।
सफलता ३. दहेज मुक्त मिथिला लेल वेबसाइटके निर्माण, फीचर व फेसिलिटी पर सुन्दर समझदारीक संग कार्य संचालन सँ एक कीर्तिमान स्थापित कैल गेल।
असफलता ३. उपरोक्त वेबसाइट के समय-समयपर स्थिति-परिस्थिति अनुरूप बदलैत आम जन लेल उपयोगी बनेबाक छल, लेकिन वेब एडमिनिस्ट्रेटर राजीव झा'क व्यक्तिगत व्यस्तता वा अन्य कारणे आवश्यक आश्वासनक बावजूद कोनो कार्य पूरा नहि होयब बहुत पैघ असफलताक द्योतक, एकर समाधान लेल समुचित सहकार्य के पूर्ववत् राखब जरुरी या नहि तऽ नव वेबसाइट निर्माण लेल कदम उठेबाक आवश्यकता।
सफलता ४. २०११ अगस्तमें विराटनगरमें संकल्प दिवस भव्यताक संग मनायल गेल - सैकडों जनसमूह दहेजक कूप्रथा विरुद्ध शपथ लेलाह। नेपालक विभिन्न एफ-एम पर अभियानक जोर-शोर सँ आवाज भेटब - हिन्दुस्तान, प्रभात खबर, जागरण लगायत नेपालक विभिन्न पत्र-पत्रिकामें अभियान प्रमुखता सँ जगह पेलक जेकर सार्थक संवाद सँ लाखों जनसमूह लाभान्वित भेल।
असफलता ४. २०११ में दिल्लीमें राष्ट्रीय अधिवेशन करबैत सगर मिथिलामें दहेज विरुद्ध शंखघोषके महा-योजना विफल। कारण अनेक - दिल्लीमें संगठनके कोनो मजबूत रूप नहि, जे संग वैह द्रोही... आ कतेको अन्य कारण। फलस्वरूप कार्यकारिणीमें आपसी कलह आ टूट-फूट, एक नव संस्थामें एहि तरहक व्यवहार सँ कमजोरी आयब स्वाभाविक।
सफलता ५. २०११ के दुर्गा पूजामें गाम-गाम भ्रमण आ अभियानक प्रचार।
असफलता ५. अभियानमें अपेक्छा सभ सदस्य सँ रहितो बहुतो गाम पधारल सदस्य द्वारा कोनो व्यक्तिगत प्रयास नहि कयला सँ हतोत्साहके प्रसार।
सफलता ६. २०११ दिसम्बरमें विराटनगरक अन्तर्राष्ट्रीय मंच सँ जनसमूह द्वारा दहेज मुक्त मिथिलाक अभियान प्रति समर्थन हेतु सहयोग के आह्वान, नेपालमें दमुमि निर्माण लेल करुणाजी द्वारा प्रतिबद्धता आ सफलतापूर्वक संस्थाक पंजियन कार्य पूरा।
असफलता ६. आन्तरिक राजनीति आ आरोप-प्रत्यारोप सँ पुन: आपसी विश्वासमें ह्रास, पंजियन उपरान्त सोचल कार्य में देरी।
सफलता ७. सौराठ सभामें जानकी नवमी मनयबाक कार्य पूरा।
असफलता ७. जाहि तरहक विचार गोष्ठी करेबाक नियार छल ताहिमें घोर कमी - पुन: आपसी विश्वासमें कमीके कारण तथा अनावश्यक शंका तथा गैर-जरुरी राजनीतिक हस्तक्छेप सँ अभियानकेँ हतोत्साहित कैल गेल। खर्चक बावजूद आवश्यक उपयोगितामें अकाल।
सफलता ८. सौराठ सभा २०१२ में दू दिन सफलतापूर्वक सहभागिता।
असफलता ८. सौराठ सभा २०१२ में राजनीति हस्तक्छेपके कारण शिथिलता।
सफलता ९. दुर्गा पूजा २०१२ में पुन: गाम-भ्रमण आ सौराठ धरोहर के पुनरुत्थान संग माँगरूपी दहेजक प्रतिकार लेल प्रत्येक गाममें एक समिति निर्माण लेल अनुरोध। आगामी सौराठ सभा २०१३ तक एकर प्रतिवेदन प्रकाशन करबाक नियार।
असफलता ९. हरेक कार्य करबाक लेल समूहगत प्रयासके सार्थकता बुझबा में अधिकांश सदस्य असमर्थ आ बस केवल आपसी कट्टी-फट्टी खेल में महत्त्वपूर्ण कार्य करबा तरफ किनको ध्यान नहि होयब।
सफलता १०. राष्ट्रीय स्तर केर पंजियन लेल समस्त कागजी कार्य पूरा - दिल्लीमें आवेदन जमा। पंजियनक प्रक्रिया निरंतरतामें।
सफलता ११. सौराठ सभा २०१२ सँ दू दूल्हाक दहेज मुक्त विवाह करबाक कारणे सम्मान कार्यक्रम विराटनगर के अन्तर्राष्ट्रीय मंच सँ नेपालक उप-प्रधान तथा गृहमंत्री विजय कुमार गच्छदार द्वारा प्रशस्ति पत्र तथा उपहार प्रदान करबाक कार्यक्रम दहेज मुक्त मिथिला (नेपाल) - अध्यक्छा श्रीमती करुणा झा आ सहकार्य मैथिली सेवा समिति - विराटनगर।
असफलता ११. मधुबनीमें औझके दिन तेसर वर्षगांठ मनयबाक लेल अन्तर्विद्यालय स्तरीय वाद-विवाद प्रतियोगिता सँ युवा-पीढीक मानसिकता ऊपर आवश्यक प्रेरणा-स्थापना पर परीक्छा आ संयोजकक अनावश्यक भय तदोपरान्त पलायनवादी मानसिकताक कारणे विफलता।
आगामी योजना:
१. अप्रील २०१३ में मधुबनीमें प्लस २ स्तर के परीक्छा देल छात्र-छात्रा द्वारा दहेज विषय पर वृहत् वाद-विवाद प्रतियोगिताक आयोजन।
२. कम से कम एको गाम में ५ गरीब छात्राक पढाई करेबाक लेल संस्था द्वारा गोद लेबाक प्रक्रिया।
३. नेपालमें प्रत्येक महीना विद्यालय-महाविद्यालय स्तरीय युवा-युवती द्वारा वैचारिक आदान-प्रदान तथा सी-एफएम राजविराज द्वारा रेडियो प्रसारण।
४. जानकी नवमी मनेबाक लेल दरभंगा जिलामें कार्यक्रम। सौराठ सभा तर्ज पर वैवाहिक योग्य युवा-युवतीक लेल सभा आयोजन पर समूह-बहस कार्यक्रम।
५. हरेक जिलामें किछु न किछु कार्यक्रम करबाक नियार। संयोजन लेल स्थानीय कार्यकर्ता व संरक्छक के खोज निरंतरतामें।
एवं बहुतो अन्य!
महत्त्वपूर्ण नोट:१. दहेज मुक्त मिथिला कोनो एनजीओ नहि छी - ई स्वस्फूर्त एवं स्वयं-सहयोगी युवा ताहू में अपन पैर पर ठाड्ह ओहेन युवा शक्ति जिनकामें किछु सार्थक कार्य करबाक लेल त्याग करबाक संग समर्पित रहबाक प्रतिबद्धता सेहो छन्हि। ताहि हेतु शुरुएमें पहाड ढाहय के सपना देखब अतिश्योक्तिपूर्ण अपेक्छा करब होयत। स्पष्ट करी जे आइ धरि लगभग लाख में खर्च कैल गेल अछि जे मात्र जनमानसमें ई चर्चा शुरु करा सकल अछि जे दहेज मुक्त मिथिला नामक अभियान जमीनपर उतरल अछि, आ जखन नामक चर्चा शुरु भेल तऽ अवश्य एकर शीघ्र सार्थक प्रभाव सेहो देखय में आयत। लेकिन दिल्ली एखनहु एहि लेल दूर अछि जे आन्दोलनमें जुडनिहार लोकके संख्या लगभग नगण्य अछि। २०१३ ई. एहि सपना के पूरा करत तेकर पूर्ण तैयारी अछि।
२. दहेज प्रथा आ सम्बन्धित अनेको बात लेल समाजमें बहुतो तरहक भ्रम-भ्रांति पसरल अछि, ताहि सभके समाधान लेल हमरा लोकनिक शोध कार्य निरन्तरतामें अछि। एहि सभ के अध्ययन लेल निम्न लिंक सभ पर जरुर विजीट करी।
(उदाहरणार्थ: दहेज ओ नहि जे लडकीवालाक माँग विरुद्ध माँग कैल गेल हो, बल्कि समस्त माँग जे लैंगिक विभेद उत्पन्न करैत हो आ आपसी विश्वास व स्वेच्छाचारिताक विरुद्ध हो। आदर्श विवाह केहेन हो। दहेज पर भारतीय संविधान कि कहैत अछि। समूहमें कोन लडका वा लडकी अपन विवाह दहेज मुक्त करय लेल चाहैत छथि। एहेन बहुत तरहक तथ्यांक व सैद्धान्तिक निरूपण करबाक निरन्तर प्रयास करबाक लेल हम सभ दृढ-प्रतिग्य छी।)
दहेज मुक्त मिथिला कार्यालय (भारत): ई -७५, सोम बाजार, नन्हे पार्क,नयी दिल्ली ११० ०५९,भारत।
फोन: ०९९१०६०७७२० (संतोष नारायण चौधरी ) एवं ०९३१२४६०१५० (मदन कुमार ठाकुर )।
कार्यालय (नेपाल):राजविराज - ७, सप्तरी, नेपाल।फोन: ००९७७-३१-५२२८३०.
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amit mishra
शुक्रवार, 1 मार्च 2013
आस्था
डोकहर राजराजेश्वर गौरी शंकरक प्राचीन आ प्रशिद्ध मंदिर | मंदिरक मुख्यद्वारकेँ आगू एकगोट अस्सी-पच्चासी बरखक वृद्धा, सोन सन उज्जर केश, शरीरक नामपर हड्डीक ढांचा, डाँर झुकि गेल | मुख्यद्वारक आँगाक धरतीकेँ बाहरनिसँ पएर तक झुकि कए बहारैत |
‘अ’ आ ‘ब’ दुनू परम मित्र, एक दोसरक गुण दोषसँ परिचीत, दुनू संगे मंदिरक आँगासँ कतौसँ कतौ जा रहल छलथि | मंदिरक सोंझाँ अबिते देरी ‘अ’ दुनू हाथ जोड़ि प्रणाम कएलनि | ‘ब’ सेहो तुरंते दुनू हाथ जोड़ि, झुकि कए मोने-मोन स्तुति करैत ओतुका धरतीकेँ छुबि माँथसँ लगा ओहि ठामसँ आगू बिदा भेला |
ओतएसँ दस डेग आगू गेलाक बाद ‘ब’, ‘अ’सँ – “हे यौ अहाँ कहियासँ एतेक आस्तिक भऽ गेलहुँ, जे मंदिरक सामने जाइत मातर कल जोड़ि लेलहुँ ओहो हमरासँ पहिले |” आगू आरो चुटकी लैत – “भगवानो देख कए हँसैत हेता जे देखू ई महापातकी आइ आस्तिक भऽ गेल |”
‘अ’ शांतिकेँ तोरैत – “पहिले तँ ई अहाँकेँ के कहि देलक जे हम नास्तिक छी, हमहूँ आस्तिक छी, हमहूँ देवता पितरकेँ मानैत छी परञ्च अहाँक जकाँ पाखण्डी नै छी | अंतर एतवे अछि जे अहाँ मंदिर मंदिर भगवानकेँ तकैत रहै छी, हम हुनका अपन मोनमे तकैत छी आ अपन करेजामे बसेने छी | आ रहल एखनका गप जे हम मंदिरकेँ सामने हाथ जोड़लहुँ, ओ तँ हम सदिखन अपन मोनमे बसेने हुनका हाथ जोड़ैत रहैत छी मुदा एखुनका हाथ जोड़ब हमर भगवानकेँ नहि, भगवानक ओहि भक्तकेँ छल, ओहि बृद्धाकेँ जिनक बएसकेँ कारने डाँर झुकि गेल रहनि मुदा एतेक अवस्थोमे भगवानक प्रति एतेक अपार श्रधा भक्ति, कतेक प्रेमसँ मंदिरक मुख्यद्वार बहारि रहल छली | हम ओहि भक्तक भक्तिकेँ, हुनक भगवानक प्रति आस्थाकेँ, हुनक बएसकेँ नमन केने रही |”
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जगदानन्द झा ‘मनु’
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