मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

गुरुवार, 5 सितंबर 2013

गजल

कहियो तँ हमर घरमे चान एतै
नेनाक ठोर बिसरल गान गेतै

निर्जीव भेल बस्ती सगर सूतल
सुतनाइ यैह सबहक जान लेतै

मानक गुमान धरले रहत एतय
नोरक लपटिसँ झरकिकऽ मान जेतै

सुर ताल मिलत जखने सभक ऐठाँ
क्रान्तिक बिगुलसँ गुंजित तान हेतै

हक अपन "ओम" छीनत ताल ठोकिकऽ
छोडब किया, कियो की दान देतै

(दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ)-(ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ)-(ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ)
(मुस्तफइलुन-मफाईलुन-फऊलुन)- प्रत्येक पाँतिमे एक बेर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें