मैथिलीपुत्र ब्लॉग पर अपनेक स्वागत अछि। मैथिलीपुत्र ब्लॉग मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित अछि। अपन कोनो तरहक रचना / सुझाव jagdanandjha@gmail.com पर पठा सकैत छी। एहि ब्लॉग के subscribe करब नहि बिसरब, जाहिसँ समस्त आलेख पोस्ट होएबाक जानकारी अपने लोकनि के भेटैत रहत।

सोमवार, 14 जनवरी 2013

गजल

भाइ भाइसँ बैरीन केलक रुपैया
गाम छोड़ा सभकेँ भगेलक रुपैया

आँखि मुँह मुनि परदेसमे जा क’ बसलहुँ
सगर बुझितो माहुर पियेलक रुपैया

आइड़े आइड़ खर बटोरैत माए
खेतमे बाबूकेँ कनेलक रुपैया

गोल चश्मा मुन्सी लगा ताकए की
खून चुसि चुसि सभटा दबेलक रुपैया

भाइ बाबूकेँ ‘मनु’ बिसरि जाउ छनमे
राज नै आबसँ घर चलेलक  रुपैया

(बहरे खफीक, मात्रा क्रम – २१२२-२२१२-२१२२)  
जगदानन्द झा 'मनु' : गजल संख्या- १००   

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें