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शनिवार, 1 सितंबर 2012

गजल


भेटते जौं समय कहियो तs अपनों लेल सोचब हमहूँ
एखन धरि मरलौं दुनियाँ लs अपना लs जियब हमहूँ

भटकि रहल छै कतेक आखर मोने में जतय ततय
कागत पर जोरि जोरि कोनो नामी शाएर बनब हमहूँ

एखन पाप पुन्य क्यो नै बुझे छथ भेलैन सभ भ्रष्ट एत'
भ्रस्टाचारक बहैत गंगा में नै चाहितो तs बहब हमहूँ

जोश में सबटा होश गमेलौं हाथ रहल नै खाको पाथर
भव्य जौं चलन राखब त स्वर्गहि इजोर करब हमहूँ

कथी लs करै छी अनकर अप्पन एता नै छै किछ ककरो
सबटा एते रहते राखल राम नाम कs मरब हमहूँ

-------------------वर्ण-२२ ---------------------
रूबी झा

गजल


मोनमें बसल गमकल हँसी
कोंढ में जा' क' अटकल हँसी

सांझ भिनसर परय मोन ओ
चान बनि ओत' पसरल हँसी

ठोर छल पातरे पान सन
दांत छल गचल चमकल हँसी

आँचरक खूट दाबिक' हँसै
कोन दोगे भ' ससरल हँसी

आश मोनक त' भेलै पुरण
आबि ओ निकट धमकल हँसी

२१२ २१२ २१२ सभ पांति में
रुबी झा

गजल


मानू नहि मानू मुदा सताबू नै यौ
संग में राखु नै राखु पराबू नै यौ

देखै जे छी मुख बरखो में अहाँके
स्वप्न सोझा सँ अप्पन हटाबू नै यौ

हम बूझै छी सबटा मोनक भाषा
बहला फुसियाक त' मनाबू नै यौ

करू नै दाबा झूठौका प्रेमक' एता
दोख कोनो नै हम्मर भूकाबू नै यौ

जोगौने छी अखनो प्रेमक पिहानी
अनका के संग भ' के जराबू नै यौ

जौं बुझै छी रूबी क' सजनी अपन
सभके सोझा में प्रेम जताबू नै यौ

सरल वार्णिक बहर वर्ण -१३
रूबी झा

फोंफ काटि रहल सरकार (हास्य कविता)


रंग विरंगक डिग्री डिप्लोमा लेने
रोड पर घूमि रहल युवक बेकार
देशक कर्ता-धर्ता चुप्पी लधने छथि
आ फोंफ काटि रहल सरकार।

बुनियादी शिक्षाक दरस एक्को मिसिया ने
खाली किताबी ज्ञान देल गेल छैक
आ परीक्षा पास कए डिग्री लेने
घूमि रहल अछि युवक बेरोजगार।

ओकरा नहि कोनो लुड़ि-भास
तोतारंटत आ परीक्षा पास
बेबहारिक जिनगी मे फेल भ गेल
कियो भूखले मरै अहाँ के कोन काज।

परीक्षा प्रणाली आ पाठ्यक्रम एहेन किएक
अहिं फरिछा के कहू औ सरकार
फुसियाँहिक डिग्री डिप्लोपा कोन काजक
कतेक लोक एखनो अछि बेकार।

कुर्सी पर बैसल छी त कोना बुझहब
कि होइत छैक लाचारी आ बेकारी
रोजगारक अवसर बंद केलियै
कतेक बढ़ि गेल अछि बेरोजगारी।

अहिंक पैरवी पैगाम सँ
अलूइड़ लोक सभ के नोकरी भेट गेल
मुदा मेहनत क पढ़निहार सभ
पक्षपात नीति दुआरे बेकार भ गेल।

दू टा पद दू लाख आवेदन कर्ता
एकटा पद मंत्री कोटा सँ
विज्ञापन पूर्व फिक्स भेल अछि
बिधपुरौआ परीक्षा टा करौताह।

मेहनत क ईमानदारी सँ
लिखित परीक्षा पास क लेब
मुदा इंटरव्यू मे अहाँ के
तेरह डिबिया तेल जरतौह।

ईमानदारी पर अड़ल रहब कारीगर
त इंटरव्यू मे कैंची चलत
योग्यता रहैतो अहाँ भ जाएब बेकार
मुदा फोंफ काटि रहल सरकार।।                 

शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

गजल

नहि हमरा सागक तोडन चाही
नहि हमरा पातक छोडन चाही 

नव मिथिला निर्माणक बल लेने 
शुभ मिथिला राजक जोडन चाही 

सूपक भाँटा सन डोलति लोकक 
मोनक बदलति नै मोरन चाही 

बिनु जानक भय केने छोरै नहि 
घर घर बिषबिश्षी घोडन चाहि 

हक हमरा  एखन अप्पन चाही
सभटा तीमन नहि फोडन चाही  

(वर्ण-१३, मात्रा- नअ नअटा दीर्घ सभ पाँतिमे)

बुधवार, 29 अगस्त 2012

फायरफॉक्सक अन्तिम मैथिली वर्सन जारी-संगीता कुमारी आ मैथिली टीमक प्रयाससँ भेल ई सफल (रिपोर्ट प्रियंका झा)



-फायरफॉक्सक अन्तिम मैथिली वर्सन जारी-संगीता कुमारी आ मैथिली टीमक प्रयाससँ भेल ई सफल
-फायरफॉक्स-मोजिला अपन जालवृत्तपर केलक ई घोषणा
-http://blog.mozilla.org/l10n/2012/08/28/maithili-localization/ पर फायरफॉक्स-मोजिला २८ अगस्त २०१२ केँ घोषणा केलक:
Maithili localization released with Firefox 15
AUG
28
2012
We’re happy to announce that we’re adding a new localization to
Firefox 15 desktop!

Sangeeta Kumari and the Maithili (mai) team have been working tirelessly to produce the world’s first ever Maithili version of Firefox for the people of India and Nepal. According to our friends at Wikipedia, there were more than 34.7 million Maithili speakers around the world as of the year 2000. This specifically includes the regions of Bihar, Jharkhand, parts of West Bengal in India, and the Terai region in Nepal. Thanks to the Maithili team, more than 34.7 million native Maithili speakers can now enjoy browsing the Web with Firefox 15. The Maithili Firefox release brings our total number of Firefox localizations to 78. Congratulations to the Maithili team!

We also want to extend congratulations to the Acholi (ach) team! Their localization efforts have successfully led to a Acholi Firefox build in the Firefox Beta channel. The Acholi beta build will be released with Firefox 16. Native Acholi speakers (estimated to be more than 1.22 million speakers in Uganda and South Sudan) can download and help test their localized build here.

डाउनलोड करू मैथिली मोजिला फायरफॉक्स:


संगीता कुमारी आ मैथिली टीमकेँ बधाइ।

पूर्वपीठिका:

राजेश रंजन आ संगीता कुमारीक मैथिली फेडोरा प्रोजेक्ट/ फ्यूल प्रोजेक्ट

http://maithili.sourceforge.net/

http://ansiss.org/

http://fedoraproject.org/

https://fedorahosted.org/fuel/wiki/fuel-maithili

http://l10n.gnome.org/teams/mai

http://translate.fedoraproject.org/languages/mai


राजेश रंजन आ संगीता कुमारीक मैथिली स्पेलचेकर
http://extensions.services.openoffice.org/project/dict-mai


मैथिलीमे संपूर्ण कंप्यूटर सहित ऐ प्रसिद्ध ब्राउजरकेँ मैथिली जनसमूहक उपयोग लेल एक स्वैच्छिक समूह (मधेपुराक राजेश रंजन आ संगीता कुमारी) तैयार केलक अछि।

http://www.mozilla.org/en-US/firefox/all.html

गजल- भास्कर झा

नव विचारक सचार सजाबैत रहू
पुरान बातक ओहार हटाबैत रहू।

आजुक समयमें बढबा अछि आगू
त परिवर्तनक कहार बजाबैत रहू ।


नहिं झगरु ने रगड़ू, संभरिके चलू
ईर्ष्याद्वेषक गाईंठ सोझराबैत रहू।



नवबाटक बटोही बनू अहां जगमें
प्रेमफ़ूलक सजावट लगाबैत रहू ।

बिर्रो उठत कखनो अन्हर खसत
नव- लक्ष्यक सुअक्ष उठाबैत रहू ।

- भास्कर झा 25 अगस्त 2012

जय जय भैरवि, विद्यापति, स्वर- रजनी पल्लवी


गजल

सिह्कैत हवा पर सिसकैत अछि मोन
हम छी पाथरआ ओ पाथर,से भेल सोन

कनैत रही छी असगर एकात बैसल
हँसब से ऐहन बाते अछि बचल कोन

चली गेल ओ संग लs मुइर-सुईद सब
देलहुं हम जकरा अपन स्नेहक लोन

खोले चाहै छी रंग-रभसक बात सब
मुदा कोना खोलियैकमोने भेल अछि मौन

'गुंजन' छै लोढ़ैत,गजल बहार बैसल
आहां रहू अहिना ऐकातकानि करू होम

गुंजन श्री

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

गजल


रंग देखू भरल अछि सभतरि तँ खूनसँ 
देश गेलै गैल बैमानीक घूनसँ 

साग तरकारी कते भेलै महग यौ 
आब छी पोसैत नेना भात नूनसँ 

नामकेँ लत्ता गरीबक देहपर अछि  
लदल कबिलाहा कते छै गरम ऊनसँ 

छैक भिसकी रम बहै भरपूर सबतरि
एखनो हम गुजर केलौं पान चूनसँ 

मारि गर्मी लेल 'मनु' बेबस कते छी 
ओ तँ अछि पेरीसमे पोसाति जूनसँ     

(बहरे रमल, मात्राक्रम-२१२२)
जगदानन्द झा 'मनु'     > गजल संख्या- ७६ 

भुवनेश्वरमे २५ सितम्बर २०१२ केँ साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार आनन्द कुमार झा केँ देल गेल (रिपोर्ट पूनम मण्डल)

-भुवनेश्वरमे २५ सितम्बर २०१२ केँ साहित्य अकादेमीक पहिल युवा पुरस्कार नाटककार आनन्द कुमार झा केँ देल गेल
- हुनका ई पुरस्कार नाटक हठात परिवर्तन लेल देल गेल








भुवनेश्वरमे २५ सितम्बर २०१२ केँ साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार आनन्द कुमार झा केँ देल गेल (रिपोर्ट पूनम मण्डल)

-भुवनेश्वरमे २५ सितम्बर २०१२ केँ साहित्य अकादेमीक पहिल युवा पुरस्कार नाटककार आनन्द कुमार झा केँ देल गेल
- हुनका ई पुरस्कार नाटक हठात परिवर्तन लेल देल गेल








सोमवार, 27 अगस्त 2012

हजल

 
लाल धोती केश राँगि समधि चुगला बनला ना 
बेटा बेचि आनि बरयाती ई पगला बनला ना 

सभ बिसरि आँखि मुनि ध्यानसँ ताकथि रुपैया 
भीतर कारी बाहर उज्जर बोगला बनला ना 

खेत खड़ीहान बेच बेच पीबथि बभना तारी 
आब लंगोटा खोलि खालि ई तँ हगला बनला ना 

तमाकुल चूनबैत पसारने  दिनभरि  तास
घर आँगनक चिंता नहि ई खगला बनला ना 

जेल छोरि बाहर आबि हाथ जोरि माँगथि भोट
जितैत देरी 'मनु'केँ बिसरि दोगला बनला ना 

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१८)  

रुबाइ

घाट-घाट पर सुतल कतेको गोहि अछि 

साउध लोककेँ मोन लेने मोहि अछि 

धर्मक नाम पर खुजल कतेक दोकान

टाका लछनमे सभटा पाप धोहि अछि

                    ✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’

गजल


घर घरमे चक्कू पिजाबैत देखलौं
नेनाकेँ तमाकुल चूनाबैत देखलौं   

बेगरता निकालि कs आजुक घड़ीमे
नीक नीककेँ ठेंगा देखाबैत देखलौं

मोनक दोष मोनेमे नूका कs सबटा 
कपटसँ करेज लगाबैत  देखलौं

दियादक फसादमे अपने मोलमे 
घरमे धिया पुता नुकाबैत देखलौं 

पाईकेँ जमाना छै पाईकेँ हिसाबमे 
पानिमे मनुखता डुबाबैत देखलौं

नहि रहिगेल मोल प्रेम आ स्नेहकेँ 
प्रेमकेँ डबरामे बहाबैत   देखलौं

"मनु" मन कोमल सहि नहि सकलौं 
किए माएकेँ नोर खसाबैत देखलौं

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१४)