की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। sadhnajnjha@gmail.com पर e-mail करी Or call to Manish Karn Mo. 91 95600 73336

शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

गजल

गजल

पिया बिन ऐहि घर रहिये कऽ की करबै

विरह सन आगिमे जड़िये कऽ की करबै

अपन कनियाँ जखन कहि नै सकब हमरा
पिया करमे अपन धरिये कऽ की करबै

निवाला जखन नै भेटत तँ बुझबै दुख
गरीबक दुख अहाँ सुनिये कऽ की करबै

उड़ाबै देखि खिल्ली लोक हमरा यौ
समाजक बनि हँसी रहिये कऽ की करबै

जखन दर्दक इलाजेँ नै अहाँ लग यौ
तखन बेथा हमर सुनिये कऽ की करबै

बहरे हजज ,मात्रा क्रम १२२२ तीन बेर
© बाल मुकुन्द पाठक ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें