1.फूलक नशा
तड़पाबै सदति
भौंरा सबकेँ
2.पीबि पराग
हर्षित भऽ मधुप
दै मीठ मधु
3.दाँतक बाड़ी
रौदक संगममेँ
वर्फक खेत
4.होलीक रंग
पनिसोखा सन छै
गाल सजल
5.द्वेषक गर्मी
जेठक रौद सन
मोन पैसल
6.प्रेमक आशा
सत्त ,मज्जर जकाँ
छै कतौ कतौ
7.पेटक मूसा
राहु-केतू बनल
कूदि रहल
8.मैथिल रीत
कस्तुरी ईत्र जकाँ
छै गमगम
9.नव कनियाँ
सासुरमे आबिते
छै लाजबन्ती
10.बूढ़क देह
बिनु पँखिक मैना
ठामे खसल
11.पवनपुत्र
राम लेल उड़ल
पवन बनि
12.तृप्प केलक
कण कणकेँ देखू
पहिल अंशु
13.छोटका बौआ
नै नहाइ एखन
जाड़क डरे
अमित मिश्र
हाइकू
1. बाजल मुर्गा
भ्रष्टाचारक बोल
आजुक भोर
2.महगाइसँ
भेल पानि निपत्ता
पैघ शहर
3.गिरगिटसँ
सिखने छैक नेता
रंग छोड़ब
5.झरना बनि
खसैत ताजा नोर
विरहिनकेँ
6.बापक टाका
डिस्कोएमे खतम
पाण्डाक जकाँ
7.नव कनियाँ
लाजाए छथि बेसी
लजबिज्जीसँ
8.बहै छै घाम
किसानक देहसँ
खेतीक बेर
9.कादो खेतमे
निहुरल छै जोन
धान रोपै छै
10.बाँट बखरा
घर घर होइ छै
प्रेम कतऽ छै
11.बाबाक संगे
गाछी-बिरछी बाध
घूमत बौआ
12.जागऽ मैथिल
जागल दिनकर
पूब अकाश
अमित मिश्र
हाइकू/शेर्न्यू
1.के देखलक
अमर आत्मा आर
हवाक रंग
2.समाज बीच
गेन्हाएल रिश्ता आ
एहने हवा
3.शीत पवन
लेने आ तूँ समाद
मोर पियाकेँ
4.घूस खेलासँ
ककरो नै होइ छै
वायु-विकार
5.हवण लेल
जड़ै खूब अन्न तँ
भूखलकेँ की
6.गामक गंध
पहुँचाबै पवन
परदेशीकेँ
7.मधुमासमे
खेलै सुग्गा आ मैना
मज्जर बीच
8.चाउर दालि
थारीसँ भेल दूर
बढ़िते दाम
9.करत के की
जँ माँझ माँथ पड़ै
दैवक डाँग
10.पाकल आम
थकुचल बूढ़मे
कोन अंतर
11.खुशी मनाबै
आजुक पुरजन
देखिते हारि
12.अपंगपर
हँसै बला नै देखै
निज टेटर
अमित मिश्र
शेर्न्यू
1.फँसल सब
एहि जगमे आबि
मायाजालमे
2.रौद-छाहरि
होइते रहै छैक
जीवन भरि
3.उठह कवि
विद्रोहक आगिसँ
कागत रंगऽ
4.जड़ै नै सीता
ककरो आँगनमे
टाकाक लेल
हाइकू
कुछ हाइकु
~ श्री अमित मिश्र
घना कोहरा
भ्रष्टाचार का छाया
कलयुग मेँ
श्रृंगार रस
रचना कठिन है
पतझड़ में
पागल भौंरा
बसंत मेँ हो जाता
फूलोँ के लिए
दिवानी मीरा
वन वन ढ़ूँढ़े है
वंशी की धुन
काँपता रूह
वक्त जब बढ़ता
इन्तजार का
हाइकू
भोरका रौद
नवका उर्जा आनै
जोश जगबै
मंगल लेल
मनुख जल ढ़ारै
तुलसीचौरा
कारी कम्बल
आकाशकेँ झाँपने
नाचल मोर
कुचरै काग
लागै घरमे एतै
शुभ सनेस
माँक करेजा
मोमक गढ़लनि
ओतै देवता
साँपक माला
मुदा शांत मोन छै
महादेवकेँ
अमित मिश्र
हाइकू
खूनक नदी
माँटिपर बहेलौँ
भेलौँ आजाद
नालीक कीड़ा
लोभी कामी लोकमे
कोनो फर्क नै
शान तिरंगा
झुकै नै जहिं तहिं
रबर जाकाँ
पहाड़ सन
उच्चविचारक छै
भारतवासी
कटैत घेंट
धानक जड़ि जकाँ
देशप्रेमीक
हाइकू
शहीदो सुनो
तिरंगे का कफन
तेरे लिए है
पल रहा है
विधवा के कोख मेँ
दूजा सेनानी
हर युद्ध मेँ
कटते गये सर
आलू प्याज सा
अन्धा कानून
कोरा है संविधान
नये युग में
सूखे पत्ते भी
जानते मतलब
देशप्रेम का
पल भर भी
तिरंगे के नीचे मिल
करें नमन
अमित मिश्र
हाइकू/शेर्न्यू
शान्त जीवन
ठमकल पानिमे
किटाणु लागै
ककरो खुशी
पुरनि पर पानि
ठहरै नै छै
साहित्योमे
पैसल अधसर
और लठैत
आलसी लोक
ई इनारक बेंग
एक समान
पोताक हँसी
बाबाक लेल बनल
चमेली सन
माएक प्रीत
कस्तुरी सन अछि
गमकै खूब
केराक पात
उठि गेलै भोजमे
पलेट लग
एकटा गीत
मधु सन प्रेमक
जीबाक लेल
खाधि पोखरि
भरल मखान छै
मिथिला भरि
साँझ पराती
खूब गाबै चिड़ैयाँ
जेड़क-जेड़
अमित मिश्र
हाइकू/शेर्न्यू
कष्टसँ कानै
सुखकेँ खोजै तैयो
बलि चढ़ाबै
गेना गुलाब
सिगरहार सन
तोहर मुस्की
पुष्प -विमान
ई मोन बनल छै
थम्है कतौ नै
सुखल धार
डूबेबै कतऽ बेटी
घैल बान्हि कऽ
पुतना माँ छै
दुलार नै ,मारै छै
नोन चटा कऽ
यमुना तीर
बदलाम खेलसँ
कृष्ण-गोपीक
लिखल कहाँ
वनबासी रामकेँ
सीताक संग
कुहकै पीक
पाकल छै रसाल
एहि महिना
प्रेम सानल
चन्ना चकोर सन
होलीक रंग
अमित मिश्र
हाइकू/शेर्न्यू
कानैत हेतै
पेटमे गेलापर
अण्डाक मुर्गा
लाज नै होउ
निज खून जड़ा कऽ
भूणक हत्या
सामा-चकेवा
सबहक प्रेममे
चुगला आबै
नोन खुआ दे
नेनपनेमे तूँ जँ
इज्जत लेबें
हारिक जीत
मजेदार होइ छै
अजमा लिअ
एहि जगमे
उपमा रहित छै
प्रेमक ताग
माँथ चढ़ल
कलंकसँ खराप
और किछु नै
बिनु चलितो
गाछ ,बूढ़ अपंग
सजीव रहै
जूही-चमेली
पसरल ओछैन
कोहबरमे
माँथक बिन्दी
सौँसे जे लाल ठोप
चंन्द्रमा सन
अमित मिश्र
~ श्री अमित मिश्र
घना कोहरा
भ्रष्टाचार का छाया
कलयुग मेँ
श्रृंगार रस
रचना कठिन है
पतझड़ में
पागल भौंरा
बसंत मेँ हो जाता
फूलोँ के लिए
दिवानी मीरा
वन वन ढ़ूँढ़े है
वंशी की धुन
काँपता रूह
वक्त जब बढ़ता
इन्तजार का
हाइकू
भोरका रौद
नवका उर्जा आनै
जोश जगबै
मंगल लेल
मनुख जल ढ़ारै
तुलसीचौरा
कारी कम्बल
आकाशकेँ झाँपने
नाचल मोर
कुचरै काग
लागै घरमे एतै
शुभ सनेस
माँक करेजा
मोमक गढ़लनि
ओतै देवता
साँपक माला
मुदा शांत मोन छै
महादेवकेँ
अमित मिश्र
हाइकू
खूनक नदी
माँटिपर बहेलौँ
भेलौँ आजाद
नालीक कीड़ा
लोभी कामी लोकमे
कोनो फर्क नै
शान तिरंगा
झुकै नै जहिं तहिं
रबर जाकाँ
पहाड़ सन
उच्चविचारक छै
भारतवासी
कटैत घेंट
धानक जड़ि जकाँ
देशप्रेमीक
हाइकू
शहीदो सुनो
तिरंगे का कफन
तेरे लिए है
पल रहा है
विधवा के कोख मेँ
दूजा सेनानी
हर युद्ध मेँ
कटते गये सर
आलू प्याज सा
अन्धा कानून
कोरा है संविधान
नये युग में
सूखे पत्ते भी
जानते मतलब
देशप्रेम का
पल भर भी
तिरंगे के नीचे मिल
करें नमन
अमित मिश्र
हाइकू
धवल चन्ना
तरेगणक बीच
छै हेराएल
हँसै सुमन
नाचै तितली भौँरा
उपवनमे
साउन भादो
उबडुब पोखरि
प्रेम मेघसँ
युवा वसन्त
कोयलक गीतसँ
झूठो छै सत्त
मादक हवा
फूलाएल सरसो
पियर खेत
ने मीठ लगै
ने बेसी तीत लगै
प्रेमक स्वाद
माँझ रातिमे
एतै मोसिबत तेँ
बाजै कुकुर
झूठक पर्दा
आ मखानक पात
गलबे करै
माँथक बिन्दी
नन्हकी तरेगण
लागि रहल
पानक पात
लाल टमाटर छौ
तोहर ठोर
गोरी तोहर
आँखिक सुरमा छै
नेताक मोन
प्रेमी दुनियाँ
सिनेह पाबै लेल
घनचक्कर
खेतिहरकेँ
गोबर-करसीमे
दिन बितै छै
दबानल छै
समाजमे लागल
आगि दहेज
जड़लै कीड़ा
आगिसँ नेह कऽ कऽ
एक्कै क्षणमे
मोनक चोर
अनकर करेजा
चोरेबे करै
फाटल कुर्ता
ओहि भिखमंगाकेँ
जाड़ोमे शोभै
लाल गुलाब
प्रेमक पहिचान
भरि जगमे
लैला मजनु
अपन जान दऽ कऽ
अमर भेलै
सबसँ नीक
प्रकृतिक कोरामे
मिथिला धाम
अमित मिश्र
धवल चन्ना
तरेगणक बीच
छै हेराएल
हँसै सुमन
नाचै तितली भौँरा
उपवनमे
साउन भादो
उबडुब पोखरि
प्रेम मेघसँ
युवा वसन्त
कोयलक गीतसँ
झूठो छै सत्त
मादक हवा
फूलाएल सरसो
पियर खेत
ने मीठ लगै
ने बेसी तीत लगै
प्रेमक स्वाद
माँझ रातिमे
एतै मोसिबत तेँ
बाजै कुकुर
झूठक पर्दा
आ मखानक पात
गलबे करै
माँथक बिन्दी
नन्हकी तरेगण
लागि रहल
पानक पात
लाल टमाटर छौ
तोहर ठोर
गोरी तोहर
आँखिक सुरमा छै
नेताक मोन
प्रेमी दुनियाँ
सिनेह पाबै लेल
घनचक्कर
खेतिहरकेँ
गोबर-करसीमे
दिन बितै छै
दबानल छै
समाजमे लागल
आगि दहेज
जड़लै कीड़ा
आगिसँ नेह कऽ कऽ
एक्कै क्षणमे
मोनक चोर
अनकर करेजा
चोरेबे करै
फाटल कुर्ता
ओहि भिखमंगाकेँ
जाड़ोमे शोभै
लाल गुलाब
प्रेमक पहिचान
भरि जगमे
लैला मजनु
अपन जान दऽ कऽ
अमर भेलै
सबसँ नीक
प्रकृतिक कोरामे
मिथिला धाम
अमित मिश्र
हाइकू/शेर्न्यू
शान्त जीवन
ठमकल पानिमे
किटाणु लागै
ककरो खुशी
पुरनि पर पानि
ठहरै नै छै
साहित्योमे
पैसल अधसर
और लठैत
आलसी लोक
ई इनारक बेंग
एक समान
पोताक हँसी
बाबाक लेल बनल
चमेली सन
माएक प्रीत
कस्तुरी सन अछि
गमकै खूब
केराक पात
उठि गेलै भोजमे
पलेट लग
एकटा गीत
मधु सन प्रेमक
जीबाक लेल
खाधि पोखरि
भरल मखान छै
मिथिला भरि
साँझ पराती
खूब गाबै चिड़ैयाँ
जेड़क-जेड़
अमित मिश्र
हाइकू/शेर्न्यू
कष्टसँ कानै
सुखकेँ खोजै तैयो
बलि चढ़ाबै
गेना गुलाब
सिगरहार सन
तोहर मुस्की
पुष्प -विमान
ई मोन बनल छै
थम्है कतौ नै
सुखल धार
डूबेबै कतऽ बेटी
घैल बान्हि कऽ
पुतना माँ छै
दुलार नै ,मारै छै
नोन चटा कऽ
यमुना तीर
बदलाम खेलसँ
कृष्ण-गोपीक
लिखल कहाँ
वनबासी रामकेँ
सीताक संग
कुहकै पीक
पाकल छै रसाल
एहि महिना
प्रेम सानल
चन्ना चकोर सन
होलीक रंग
अमित मिश्र
हाइकू/शेर्न्यू
कानैत हेतै
पेटमे गेलापर
अण्डाक मुर्गा
लाज नै होउ
निज खून जड़ा कऽ
भूणक हत्या
सामा-चकेवा
सबहक प्रेममे
चुगला आबै
नोन खुआ दे
नेनपनेमे तूँ जँ
इज्जत लेबें
हारिक जीत
मजेदार होइ छै
अजमा लिअ
एहि जगमे
उपमा रहित छै
प्रेमक ताग
माँथ चढ़ल
कलंकसँ खराप
और किछु नै
बिनु चलितो
गाछ ,बूढ़ अपंग
सजीव रहै
जूही-चमेली
पसरल ओछैन
कोहबरमे
माँथक बिन्दी
सौँसे जे लाल ठोप
चंन्द्रमा सन
अमित मिश्र
शेर्न्यू
1.फाटल धरा
समा गेली जानकी
गंजन सहि
2.टाका चाहियै
कोनो काजक नै छै
प्रीतक बोनि
3.एकटा शब्द
भुकम्प आनि दै छै
सम्बन्ध बीच
4.अन्हार घर
साँपे साँप पसरल
चौबगली छै
5.भोजक बेर
अनकर खर्च जानि
बनै चटोरी
6.पाथर मोन
बोलिएसँ बनै छै
मोम सनक
7.झगड़ा -झाँटी
करा दै छै वचन
तौल कऽ बाजू
8.बसन्त संग
अजबे छवि चढ़ै
यौवन पर
अमित मिश्र
हाइकू/शेर्न्यू
नाह मनुख
सुख दुख दू कात
जीवन नदी
पानक पात
प्रेमक कत्था पाबि
अमर भेल
पिज्जा-बर्गर
करतै परतर
तिलकोरक
माँछक भोज
मिथिलेमे होइ छै
मीठ मखान
खाइ कचरा
करै छै मैल साफ
दुषित गंगा
एतै चुनाव
दारू टाका बँटतै
फँसतै दंगा
छोड़ि दै ऐंठा
नै दै ककरो भीख
नै बाँटै अंगा
करू अहं नै
शनिक चोट खा कऽ
जड़त लंका
अमित मिश्र
शेर्न्यू
शब्दक घाव
खोधै छी कलमसँ
भावक लेल
मरबै तैयो
जीबाक पियाससँ
तड़पै सब
बापकेँ फेकै
पुरना अखबार
बेचैछ जेना
रिश्ताक स्वाद
मिरचाइक गुण्डी
नीमक पात
धनक भूख
पियास नै मिझाइ
ओस चाटि कऽ
अनका दोष
नै दे जँ निज मोन
प्रदुषित छै
फैसनेबुल
भीख माँगै बाटी लऽ
दहेज जे लै
अमित मिश्र
शेर्न्यू
जग मरू भू
डेग डेग तिलस्म
फूसिक खेल
आठो पहर
धड़कैत करेज
डरक राज
मैल मोनसँ
पूण्य करू यात्रा कऽ
चारू धामक
माँटि बिकाइ
प्रताप एहन छै
उदयनक
बदनामीसँ
नारिक इज्जत तँ
चूर चूर छै
अमित मिश्र
हाइकू/शेर्न्यू
1.जागल आँखि
स्वस्थय समाजक
सपना देखै
2.सूतल मोन
नै देकै पसरल
कूव्यवस्थाकेँ
3.एकता नै छै
अनेकतामे जीबै
भारतवासी
4.मातल हवा
मदहोश करै छै
एलै फागुन
5.गन्दोमे फूल
कादोमे छै कमल
शीपमे मोती
6.धर्म नै जानै
बमक गर्म लुत्ती
जड़ै छै सब
7.छै जन्मदिन
सालमे एकबेर
उम्र घटाबै
8.नीक-बेजाए
आगिक प्रेममे तँ
फतिंगे जड़ै
9.गन्ध लोभाबै
लपटल भुजंग
चन्दन गाछ
अमित मिश्र
हाइकू
1 .जाड़क भूत
पराण लऽ जाएत
भरि रातिमे
2.
निर्मोही सूर्य
कोना संग पड़ेलै
चोरबा रौद
3.
पूसक राति
वर्फक पैघ गोला
खसले हेतै
4.
मोन होइ छै
कूदि जाउँ एखने
आगिक बीच
5.
चारि कुकुर
कुहरै छै बहुते
पुआर तऽर
6.
उघारे देह
काँपैत दौड़ै आइ
ओ भिखमंगा
अमित मिश्र
शीतल वायु , ल' एलै हरियाली , सावन भादो
भेल अन्हार ,आकाश करै हल्ला , इजोत संग
प्रसन्न इंद्र , दै छथि आइ पानि , बोझक बोझ
भरल खेत , हरियर कजली , सगरो कादो
भरि आँगन , छै सहसह चाली , जाएब कत'
दौड़ल छौड़ा , नैका पोकरि दिश , मारत माँछ
गरम चाह , छै सवहक प्रिय , एहि वर्षा मे
अमित मिश्र
हाइकू
आब की हेतै , उफानपर कोसी , टूटलै बान्ह
बाढिक पानि , खेतमे पसरल , डूबल धान
खसल कोठा , कते जन रहत , ऊँच मचान
केराक थम्ह , राख बालुक बोरा , रोक कटान
भासल लाश , माल-जाल लोकक ,फँसल प्राण
बरसै वर्षा ,खसि गेल ठनका , अदृश्य चान
टूटल आरि , धसि गेल धसना , पानिक गान
काँपैत रोआँ ,उजड़ल दुनियाँ , उड़ल प्राण
अमित मिश्र
सावन मास , लागल कारी मेघ , बाजल बेँग
झूकल डाँर , रोपै धानक बीया , जोन-मजूर
अचार रोटी , भेल पनिपियाइ , भरल मोन
भरल पेट , छै ठोर त'र खैनी , उसरै काज
सिहकै हवा , हरियाएल बाध , झूमैत खेत
सामा-चकेबा , खेलै सब बहिना , धानक बालि
तीला संक्राति , तीलबा गुड़लाई , नवका चूरा
अमित मिश्र
शांत पवन , भेल कारी आकाश , फाटतै मेघ
सून सड़क , घर दिश दौड़ल , थाकल लोक
मोटका बूँद , सड़कपर ढेह , भासल माटि
तारक गाछ . खसि गेल ठनका , जड़ल पात
एलै बिहाड़ि , टूटलै डाढ़ि-पात , फूटलै अण्डा
अमित मिश्र
पढ़ल लोक , जेठ दुपहरिया , घास छीलैए
मेघक बिनु , सावन मे देहसँ , घाम चूबैए
पानिक बिनु , छै फाटि गेल खेत , सक्कत माटि
अमित मिश्र
जंगल बीच , गरजैत झड़ना , निकलै गंगा
शोभै पहाड़ , सगरो हरियरी , गाछक अंगा
फूलक गंध , पराग पीबि भौँरा , मचेने दंगा
अमित मिश्र
वर्फक पैघ गोला
खसले हेतै
4.
मोन होइ छै
कूदि जाउँ एखने
आगिक बीच
5.
चारि कुकुर
कुहरै छै बहुते
पुआर तऽर
6.
उघारे देह
काँपैत दौड़ै आइ
ओ भिखमंगा
अमित मिश्र
शीतल वायु , ल' एलै हरियाली , सावन भादो
भेल अन्हार ,आकाश करै हल्ला , इजोत संग
प्रसन्न इंद्र , दै छथि आइ पानि , बोझक बोझ
भरल खेत , हरियर कजली , सगरो कादो
भरि आँगन , छै सहसह चाली , जाएब कत'
दौड़ल छौड़ा , नैका पोकरि दिश , मारत माँछ
गरम चाह , छै सवहक प्रिय , एहि वर्षा मे
अमित मिश्र
हाइकू
आब की हेतै , उफानपर कोसी , टूटलै बान्ह
बाढिक पानि , खेतमे पसरल , डूबल धान
खसल कोठा , कते जन रहत , ऊँच मचान
केराक थम्ह , राख बालुक बोरा , रोक कटान
भासल लाश , माल-जाल लोकक ,फँसल प्राण
बरसै वर्षा ,खसि गेल ठनका , अदृश्य चान
टूटल आरि , धसि गेल धसना , पानिक गान
काँपैत रोआँ ,उजड़ल दुनियाँ , उड़ल प्राण
अमित मिश्र
सावन मास , लागल कारी मेघ , बाजल बेँग
झूकल डाँर , रोपै धानक बीया , जोन-मजूर
अचार रोटी , भेल पनिपियाइ , भरल मोन
भरल पेट , छै ठोर त'र खैनी , उसरै काज
सिहकै हवा , हरियाएल बाध , झूमैत खेत
सामा-चकेबा , खेलै सब बहिना , धानक बालि
तीला संक्राति , तीलबा गुड़लाई , नवका चूरा
अमित मिश्र
शांत पवन , भेल कारी आकाश , फाटतै मेघ
सून सड़क , घर दिश दौड़ल , थाकल लोक
मोटका बूँद , सड़कपर ढेह , भासल माटि
तारक गाछ . खसि गेल ठनका , जड़ल पात
एलै बिहाड़ि , टूटलै डाढ़ि-पात , फूटलै अण्डा
अमित मिश्र
पढ़ल लोक , जेठ दुपहरिया , घास छीलैए
मेघक बिनु , सावन मे देहसँ , घाम चूबैए
पानिक बिनु , छै फाटि गेल खेत , सक्कत माटि
अमित मिश्र
जंगल बीच , गरजैत झड़ना , निकलै गंगा
शोभै पहाड़ , सगरो हरियरी , गाछक अंगा
फूलक गंध , पराग पीबि भौँरा , मचेने दंगा
अमित मिश्र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें