भेटल नहि सिनेह तेँ शराबे पीलौं
दर्शन हुनक हरदम गिलासमे केलौं
के अछि कहैत शराब छैक खराब ‘मनु’
बिन रहितौं हुनक शराबेसँ हम जीलौं
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
मैथिली साहित्य आ भाषा लेल समर्पित Maithiliputra - Dedicated to Maithili Literature & Language
भेटल नहि सिनेह तेँ शराबे पीलौं
दर्शन हुनक हरदम गिलासमे केलौं
के अछि कहैत शराब छैक खराब ‘मनु’
बिन रहितौं हुनक शराबेसँ हम जीलौं
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
ढोलक धम-धमा-धम बजैत किएक छै
घुंघरू खन-खना-खन नचैत किएक छै
भीतरसँ छैक दुनू एक्केसन खाली
संजोग इ दुनू नहि बुझैत किएक छै
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
पीलौं शराब तँ दुनियाँ कहलक बताह
बिन पीने ई दुनियाँ भेल अछि कटाह
जे नहि पीलक कहाँ अछि ओकरो महल
पीबिए क' किएक नहि बनि जाइ घताह
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
नै पीब शराब तँ हम जीब कोना कय
फाटल करेजकेँ हम सीब कोना कय
सगरो जमाना भेल दुश्मन शराबक
सबहक सोंझा तँ आब पीब कोना कय
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
आँचर नहि उठाबू आँखिसँ पीबय दिअ
हम जन्मसँ पियासल करेज जुड़बय दिअ
ताड़ीसँ बेसी निसा अहाँक आँखिमे
प्रेमक निसामे अपन कनी जीबय दिअ
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’
पीलौं हम तँ लोक कहलक शराबी अछि
एतअ के नहि कहु बहसल कबाबी अछि
बुझलौं अहाँ सभ दुनियाक ठेकेदार
हमरो आँखिसँ देखू की खराबी अछि
✍🏻 जगदानन्द झा ‘मनु’