की अहाँ बिना कोनो रूपैया-पैसा लगोने अप्पन वेपार कय लाखो रूपया महीना कमाए चाहै छी ? वेलनेस इंडस्ट्रीज़मे। संपूर्ण भारत व नेपालमे पूर्ण सहयोग। sadhnajnjha@gmail.com पर e-mail करी Or call to Manish Karn Mo. 91 95600 73336

गुरुवार, 5 जनवरी 2012

गजल


करेज मे काढल छै अहाँक छवि, नै मेटैत कखनो।
मोन मे बन्न अहाँक प्रेम कियो कोना चोरैत कखनो।

अहाँ खुश रहू यैह छै आब हमर दर्दक इलाज,
इ दर्द फुरसति मे हमर करेज सुनैत कखनो।

असगर बैसल अहाँक यादि मे हम हँसि लैत छी,
हँसीक राज भेंटला सँ हमर मोन बतैत कखनो।

मोन मे बसल अहाँक छवि नै भीजै, तैं नै कानैत छी,
मुदा रोकी कते, अहाँक यादि हमरा कनैत कखनो।

एक बेर कहि दितिये अहाँ हमरे लेल बनल छी,
गीत प्रेमक "ओम"क मोन हँसि गुनगुनैत कखनो।
--------- सरल वार्णिक बहर वर्ण २० ----------

मंगलवार, 3 जनवरी 2012

गजल


आबि गेलै बहुत मस्ती थोड़बे पीबि कऽ।
आब डोलै सगर बस्ती थोड़बे पीबि कऽ।

जे करी, की करत थौआ भेल छै लोकक,
खूब हेतै जबरदस्ती थोड़बे पीबि कऽ।

चोरबा केँ चलल डंटा, साधु बैसै चुप,
हैत आगू मटर-गश्ती थोड़बे पीबि कऽ।

बाजबै जे मुँहक छै, चाहे कहू मातल,
की कहू छै मुँहक सस्ती थोड़बे पीबि कऽ।

आब नेता बनि खजाना लूटबै देशक,
"ओम" केँ की बढल हस्ती थोड़बे पीबि कऽ।
------------- वर्ण १५ ----------------
वर्ण क्रम I U I I U U U I I I U I I U U

चंचल लड़की जेना माँ - अजय ठाकुर (मोहन जी)


मरुआ रोटी पर पोरों साग जँका होय अछी माँ
याद आबे या चौका बासन, जाँरनक चुल्हा जेना माँ
 
चिअरै के आवाज़ में गुंजल राधा मोहन हरी हरी
मुर्गा के आवाज़ सॅ खुलैतं घर कुंडा जेना माँ
 
कनियाँ,बेटी,बहिन,परोशी थोरबे-थोरबे सबमे छथि
दिन भैर जॉत् में चलैत मुशैर होय जेना माँ
 
बैँट क चेहरा , माथा आँखी नै जनलो कते गले
फॅटल पुरान गुदरी में एक चंचल लड़की जेना माँ

सोमवार, 2 जनवरी 2012

गजल

केहन मीठ विरह मे झोरि गेलौं अहाँ हमरा।
नोरक झोरविकट छै बोरि गेलौं अहाँ हमरा।

नीक कहै छल सभ ठाँ, फूल भेंटै छलै सगरो,
आब कहै हम वहशी, घोरि गेलौं अहाँ हमरा।

लोक बजै छल हमरा प्रेम मे जोडि देल अहाँ,
टूटल टाट बनल छी, तोडि गेलौं अहाँ हमरा।

देल करेज अपन सौंसे अहाँ केर हाथ प्रिये,
सौंस करेजक टुकडी छोडि गेलौं अहाँ हमरा।

"ओम"क मोन बुझलकै नै, बनेलौं अहाँ घिरनी,
नाच करी बनि घिरनी, गोडि गेलौं अहाँ हमरा।
------------------ वर्ण १८ ----------------

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)


मुश्किल स भरल या रस्ता देखु, 
समय स दुश्मनी के अशर देखु
 
हुनका याद में राईत भैर जगलो हम,
सुतल छथि ओ घर में बेखबर देखु
 
दर्द पलक के निचा उभैर रहलैन, 
नदी में उठल कने लहर त देखु
 
के जाने छथि कैल रही या नै रही,
आए छी त कने हम्हरो दिश देखु
 
होश के बात करेत छलो उम्र भरी, 
"मोहन जी" बेहोश छथि एक नैजैर देखु
गजल
हम तं कागज कलमक संयोग करबैत छी
कागज पैर शब्दक गर्भधारण करबैत छी 

कागज सियाहिक स्पर्श ले मुह बयेने रहैय
हम तं कागजक भाव बुझी किछु लिखदैत छी 

कागज जखन प्रसव पीड़ा सं छटपटाएत
तखन हम मोनक भाव सृजना करबैत छी 

मोनक उद्द्वेग कोरा कागज पैर उतरैय
लोग कहैय अहां बड निक रचना रचैत छी 

हम तं स्वर लय मात्र छन्द इ किछु नहीं जानी
लोग कहैय अहां बड निक गीत लिखैत छी 

हम तं वर्ण रदीफ़ काफिया किछु नै जनैत छी
लोग कहैय अहां बड निक गजल लिखैत छी 
.........................वर्ण:-१८........................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शनिवार, 31 दिसंबर 2011

गजल


प्रियतम अहाँ कए याद में जिनाई भेल मुस्किल
जीवैत त ' हम छीये नहि मरनाई भेल मुस्किल

किना सुनाऊ हाल करेजाक खंड कै हजार भेल
सब में अहाँक नां लिखल पढनाई भेल मुस्किल

लाख समझेलौंह मोन केँ  ई बनल अछि पागल
आबि अहीँ  समझा दिय ' समझेनाई भेल मुस्किल

केखनो-केखनो सोची पाहिले त ' हाल एना नै छल
जखन सँ भेटलौं अहाँ सँ रहनाई भेल मुस्किल

हमर मन  मंदिर में आब  मूरत अहीँक  अछि
बिना ओकर पूजा कए 'मनु' जिनाई भेल मुस्किल 

(सरल वार्णिक बहर,वर्ण-१९)
जगदानन्द झा 'मनु' : गजल संख्या -५ 

गजल@प्रभात राय भट्ट

                           गजल
नव वर्षक आगमन के स्वागत करैछै दुनिया 
नव नव दिव्यजोती सं जगमग करैछै दुनिया
 
विगतके दू:खद सुखद क्षण छुईटगेल पछा 
नव वर्षमें सुख समृद्धि  कामना करैछै दुनिया 
 
शुभ-प्रभातक लाली सं पुलकित अछी जन जन
नव वर्षक स्वागत में नाच गान करैछै दुनिया
 
नव वर्ष में नव काज करैएला आतुरछै सब
शुभ काम काजक शुभारम्भ में लागलछै दुनिया
 
नव वर्षक वेला में लागल हर्ष उल्लासक मेला
मुश्की मुश्की मधुर वाणी बोली रहलछै दुनिया
 
जन जन छै आतुर नव नव सुमार्गक खोजमे 
स्वर्णिम भाग्य निर्माणक अनुष्ठान करैछै दुनिया
 
धन धान्य ऐश्वर्य सुख प्राप्ति होएत नव वर्षमे
आशाक संग नव वर्षक स्वागत करैछै दुनिया
.............................वर्ण-१९.......................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

@प्रभात राय भट्ट

                      गजल
नव वर्षक नव उर्जा आगमन भS गेल अछी
दू:खद सुखद समय पाछू छुईटगेल अछी 

इर्ष्या द्दोष लोभ लालच आल्श्य कय त्याग करी
रोग  शोक  ब्यग्र  ब्याधा  सभटा  पडागेल अछी

नव  प्रभातक  संग  नव कार्य शुभारम्भ करी
नव वर्षक नवका  सूर्य  उदय   भS गेल अछी  

अशुभ छोड़ी शुभ मार्ग चलबाक संकल्प करी
दिव्यज्योति सभक मोन में जागृत भगेल अछी

निरर्थक अप्पन उर्जाशक्ति के ह्रास नहीं करी
शुख समृद्धि प्राप्तिक मार्ग प्रसस्त भS गेल अछी 

सुमधुर वाणी सं सबहक मोन जीतल करी
सामाजिक सहिंष्णुता आवश्यकता भS गेल अछी
.............................वर्ण:-१८ ...........................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट 

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011


गजल@प्रभात राय भट्ट

                              गजल
लुईटलेलक देसक माल, खाली पडल खजाना छै
देखू नेता सबहक कमाल,भ्रष्टाचारके जमाना छै 

विन टाका रुपैया देने भैया,हएतो नै  कोनो काज रे
बातक बातमे घुस मांगै छै,घूसखोरीके जमाना छै 

टुईटगेल इमानक ताला,करै छै सभ घोटाला रे
धर्म इमानक बात नै पूछ,बेईमानक जमाना छै 

दिन दहाड़े चौक चौराहा,होईत छै बम धमाका रे 
बेकसूर मारल जाइत छै,देखही केहन जमाना छै 

लूटपाट में लागल छै,देसक  सभटा राजनेता रे 
काला धन सं भरल पडल,स्वीश बैंक के खजाना छै 

अन्न विनु मरै छै देसक जनता,नेता छै वेगाना रे 
गरीबक खून पसीना सं भरल, एकर खजाना छै

नेता मंत्री हाकिम कर्मचारी,सभ छै भ्रष्टाचारी रे 
गरीबक शोषण सभ करैछै,अत्याचारीके जमाना छै 

भ्रष्टाचारीके दंभ देख "प्रभात" भS गेल छै तंग रे
भ्रष्टतंत्र में लिप्त छै सरकार,भ्रष्टाचारीके जमाना छै
...........................वर्ण:-२०.................................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 28 दिसंबर 2011

• 'गजल'

तैयार छै लुटय लेल बेटीवाला त लुटेबे करतै
बिन दहेज ने उटतै दोली त रकम जुटेबे करतै

प्रेम रस में डुबल मोन आ जुरल हाथ
बिच में एतै दहेज त जुरल हाथ छोरेबे करतै

फोकटो में जे ने छै विवाहक लायाक दुल्हा
खरीदार भेटटै त ऒहो दुल्हा बिकेबे करतै

पनी सँ लबलबायाल भरल छै जे पोखैर
अकाल रौदी एतै त भरल पोखैर सुखेबे करतै

चोर के हाथ ज देबै समानक रखवालि
मैका भेततै त चोर समान चोरेबे करतै

जँ भरल गिलास छै पैन सँ
ऒहि मे भरबै पैन त पैन नीचां हरेबे करतै

जँ दहेज के लालच में हाथ धरी बैसतै बाप
बेटाक जरतै मोन त ऒ चक्कर चलेबे करतै

पर्दा के पाछु जे भ रहल छै दहेजक खेल
पर्दा नै उठतै त खेलबार खेल खेलेबे करतै

माय केर कौखि सँ हटायल जा रहल बेटीक भ्रुन
दहेक ने रुकतै त माय बेटीक भ्रुन हटेबे करतै

• 'गजल'

छोडी दियौ हाथ देखिऔ केम्हर जाइ छै
ईजोत में सदिखन मुदा अन्हारो में खाइ छै

अपना सँ छूरा के हाथ भागै छै
जोरै छै हाथ ऒम्हर जेम्हर देखैत पाइ छै

एतेक भरी खदहा कोरने अछि ई हाथ
कोसीस केलौ भरय के मुदा नै भराइ छै

तंग अछि लोक जै नेता सं
देख हाथ मे नोट ऒकरे पाछू पराइ छै

'बैचैन मोन'

बुइझ नै पेलौ
कोना बितल बचपन
कोना आइल लडकपन
कतेक मजा छल नादानी में
अंन्दाज नै छल
एतेक दुख भेटट जवानी में
आय जखन समय
गैची मांछ जेना
हाथ सँ फिसैल गेल
तहन बुझलौ जे
पावय आ हराव केर अही खेल में
जीनगी तय बेकारे गुजैर गेल

गजल'

उम्र दुल्हा केर घटल जा रहल अछि
दहेजक झोडी फटल जा रहल अछि

बानहल बांध भरोसा केर बाप पर
दहेजक बाडि मे बांध टुटल जा रहल अछि

चीन्ता सतावे दुल्हा के कहीं रही नै जै कुमार
जनगना में लडकी जे कमल जा रहल अछि

मजबुर बेटा कहलक बाप सं छोरु लालच दहेजक
जवानी व्यर्थ में बितल जा रहल अछि

पाकी गेल किछु केस मुदा बांकि छल मुँछ
आब त मुछो पकल जा रहल अछि

• 'गजल'

सजबै अहाँ एना त दिन में चान उगि जेतै
देखी अहाँ के हमर करेजा में उफान उठि जेतै

अहाँक झलक पावक लेल बैसै छि जे दलान पर
लोक कहीं बुझि गेलै त ऒ दलान छुटि जेतै

मोन हमर बहुत चंचल ताहि पर ई यौवन
एना जे नैना चलेवै त हमर ईमान झुकी जेतै

हमर जान जुरल जा रहल या अहाँक जान सँ
ज अहाँ आब रोकबै त इ नादान रुठि जेतै