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सोमवार, 30 जुलाई 2012

बाल- गजल

टुअर टापर बहिन कs टुअरे एकटा भाई छैक 
सड्क कात मे बैस कs कोना झिल्ली मुरही खाई छैक 

माँथ मे नै तेल छैक एको बुन छिट्टा जकाँ केश छैक
सभ कियो क रहतो ओ केहन टुअर बुझाई छैक

तन नै चिथरो देने पढेता लिखेता की साढ़े बाईस
देशक भविष्य देखियौ किये एहन कs घिनाई छैक

दर्जन पुराब मे निर्लज्ज कs लागये छै मोन कतेक
छी तs हम बड्क़ा एको बेर कहितो नै लजाई छैक

कतबो करता बाप- बाप रोकल जाई जनसंख्याँ
पढ़ल लिखल गदहा एता बड़ बेशी देखाई छैक

कतै करब बखान मातबरी मे नुकैल गरीबी कs
नेना सभक दशा देखि 'रुबी' कs किछ नै फुराई छैक

आखर --२०
रूबी झा

बाल गजल

 दाई कने दे त हमरो तेल गमकौआ लगेबै 
माँथ पर मे हमहु िटक़ुली झलकौआ लगेबै 

तेल लगा हम गुहबै जुट्टी लाल बान्हब िफता
जुट्टी मे फूल िफता केर हम फलकौआ लगेबै

भैर भैर हाथ हमरो दाई गै चुडी प िहरा दे
आगु पाछु दुनु कात कंगन खनकौआ लगेबै

सोनरा सँ दुल्िहन ऍहन सन पायल िकन दे
ओए मे हम सौसे झुनकी त झनकौआ लगेबै

एकेटा िचज आर छै ललका साडी ओहो िकन दे
साडी मे हम चान आ िसतारा चमकौआ लगेबै

आखर~१८
रुबी झा

बाल गजल

आ रौ छौरा बान्हि दियौ तोहर हम झोट्टा रौ 
ढील लिख सोहैर गेलौ आब हेतौ जट्टा रौ 

हे रौ कने छौरा क पकैर क आन भगतौ
देख त कैस क पकर जा ओकर गट्टा रौ

दलान पर सौ बजा आनलौ फेर भगलै
आब जौ पकरबौ त तोरा मारबौ सट्टा रौ

इ बेर दुर्गा मे कटबा देब तोहर लापेट
छागरो त दाई कबूलने छथुन जोट्टा रौ

छोर नै छूबौ तोहर केश खए ले कने आ
राखने छी आ नै चुरा दही भ जेतौ ख्ट्टा रौ

आखर~१६
रुबी झा

बाल गजल


निन्न सँ मातल अछि बौआ आबि क सूताऊ यै
कतय गेलि बौआ मए ओछैन त ओछाऊ यै

खेलके नै ओ दिने सँ केहेन कठोर माई छी
भेल नै भानष त चूरे ढूध नेना बुझाऊ यै

खन बाबा खन हमरा कोरा झुकि खसय छै
अहाँ झट सँ जा किछ त बौआ क खुआऊ यै

कते महग गए किनलौं दुलरा पोता लेल
नेना काया में दूध बुन्न नै झट सँ पिआऊ यै

आबू यौ बौआ हमही दै छी अहाँ क दूध पिआ
कनि ''रूबी''आबि नेना क लोडियो त सुनाऊ यै
आखर -१७
रूबी झा

बाल गजल



चलहिंन आई तौ गाम पर खुयेबौ हम तोरा माइर गै
चोरी क के हाथ नुका के बड़ बनल छै तों होशियाइर गै

पहिने खेत सँ मटर चोरेलै गाछक तों बैर झटाहलै
हम जौं माँगी तोरा सँ त बिखिन्न बिखिन्न पाढ़े छै गाइर गै

नाना क देलहा फराको तों फारलही माँ क जा कहबो हम
अपनों तोरा कांट गरलौ बैरो क तोड़लहिन डाइर गै

मोन छौ की उलहन माँ क बटेदार सँ सुनेबे करेभिन
सौंसे देह त चुट्टा बिन्हलकौ कतेक चलबें तों झाइर गै

पढ़ लिख में नै मोन लगे छौ उचक्की बनि घूमल चलै छै
के तोरा सँग बियाहो करतौ कोना बसबें ससुराइर गै

आखर -२२

रूबी झा

बाल गजल




बुच्चीया हम्मर रुसल छै
मुहं नुका कोना बैसल छै

कािन रहल छै झुठे मुठे
गेरुआ सौसे त िभजल छै

सोना क हम लेब नथुनी
ओही बात पर अरल छै

नै बुझै त ओ बात ककरो
नाको कान नै त छेदल छै

दाई दौर बैसैलन कोरा
कािन िजह्वा तालू सटल छै

बाबा गेलेन सोनरा ओत
रौ हम्मर बुच्ची रुसल छै

िपतरो के तौ द दे नथुनी
ओ सोने सन जे गढल छै

बाप माई सब भेल थौआ
बुच्चीया मना क थाकल छै

नाक मे लटका क नथुनी
िजद्दे बुच्ची रुबी हारल छै

आखर~१०
रुबी झा

जनकपुर के रामानन्द चौक पर बम द्वारा हमला

नया संघीय नेपालमें मिथिला राज्य लेल अहिंसात्मक सत्याग्रहरूपी माँग संग धरना पर बैसल मिथिला राज्य संघर्ष समिति - जनकपुर के रामानन्द चौक पर बम द्वारा हमला कैल गेल। एहिमें घटनास्थल पर चारि गोटा निर्दोष सत्याग्रही के मृत्यु भऽ गेल जखन कि लगभग २४ आदमी घायल भऽ गेलाह। नेपाल में कोनो आन्दोलनमें भाग लेनिहार पर एतेक शक्तिशाली बम के प्रयोग आ सेहो सुनियोजित ढंग सऽ होयब अनबुझ रहस्य के तरफ तऽ इशारा करिते अछि संगे मिथिला के पहचान पर एहेन जबरदस्त चोट करब उग्रवादी तत्त्वके अपराधिक मनोवृत्तिके सेहो उजागर करैत अछि। मिथिलाके इतिहासमें शायद ई पहिल दुर्भाग्यपूर्ण बमकाण्ड केर घटना थीक। विगत किछु दिन सँ मिथिला राज्य संघर्ष समिति अपन माँग मिथिला राज्य के निर्माण प्रति नेपाल सरकार के ध्यानाकर्षण हेतु चरणबद्ध रूपमें करैत आबि रहल छल। ठीक जानकी नवमी एहेन पुनीत अवसर पर जनकपुरके पावन धाम के एहेन निन्दनीय घटना सऽ अपवित्रता केर कलंक लगायल गेल। समूचा मिथिलांचल के लोक नेपाल, भारत के संग विश्वके अनेको कोणमें रहनिहार के स्तब्ध कय देलक।

विगत किछु वर्षमें नेपाल सऽ राजतंत्रके खात्मा भेला उपरान्त नया संविधान बनबाक क्रम जारी अछि आ आब मुश्किल सऽ किछु दिन मात्र बाकी अछि जखन नेपाल के संविधान के घोषणा करब अनिवार्य अछि। नेपाल के सर्वोच्च अदालत एक अन्तिम तारीख जेठ १४ गते तक बनाबय लेल संविधान सभाके निर्देशन देने अछि। एहि अन्तिम तारीखके घोषणा भेला उपरान्त वर्तमानमें एहिठाम समस्त जनमानस अपन-अपन जातीय, क्षेत्रीय, सांस्कृतिक, भाषिक व अन्य पहचान के संविधानमें स्थान दियेबाक लेल व्यग्र अछि। एहेन कोनो दिन नहि जे कतहु बन्दी नहि होइ, हड़ताल नहि होइ वा कोनो प्रकार के माँग जनता अपन तरीका सँ सरकार के समक्ष प्रस्तुत नहि करैत हो। राजनीतिक दल सभ सेहो आपसी सहमति लेल जी-तोड़ प्रयास कय रहल अछि। जखन कि मिथिला प्रति सभके हृदयमें सम्मान छैक, लेकिन मधेस के राजनीति आ समग्र मधेस एक प्रदेश के माँग जाहिपर पहिले बेर एतेक रास सभासद चुनाव जीतिके संविधान सभा पहुँचल अछि, एहि सभ सँ मिथिला प्रति उदासीनता स्पष्ट रूपमें देखल जा रहल अछि। जे माओवादी पार्टी अपन चुनावी घोषणापत्र में संघीय नेपालमें मिथिला राज्य के सम्मानपूर्वक गठन करब कहने छलैक तेकर किछुवे दिन पूर्व एक नया प्रस्तावना राज्य-पुनर्गठन आयोग समक्ष रखलक जाहिमे मिथिला के नामोनिशान तक नहि देखेलक आ एक नया नाम मधेस विराट प्रदेश के चर्चा कयलक जाहि सँ मिथिलाके लोकमें उद्वेलन भेलैक आ तदोपरान्त मिथिला राज्य संघर्ष समिति अपन शान्तिपूर्ण आन्दोलन विभिन्न चरणमें करैत आबि रहल छल आ वर्तमानमें सेहो निरंतरता पौने छैक। मिथिला लेल मधेसवादी दल के द्वैत चरित्र सेहो देखयमें अबैत छैक। नेपाल के गणतंत्र घोषित होइते उत्पीड़ित पक्ष सभ के दबल आवाज उखड़लैक आ एहि में मधेस के आन्दोलन द्वारा मधेसीके सम्मान उपलब्धिमूलक भेलैक। चारू कात सऽ बस एक आवाज एलैक जे पहिले समग्र मधेस एक प्रदेश के मान्यता भेटैक तदोपरान्त मधेस भीतर जतेक संस्कृति, भाषा-भाषी, जात-जाति आदि छैक तेकरा लेल विकास क्षेत्र के रूपमें अलग-अलग प्रदेश बनायल जेतैक। लेकिन राजनीतिक धार के दिशा संक्रमण काल के एहि किछुवे वर्ष में एहेन बनि गेल छैक जे मधेस एक प्रदेश निर्माण व्यवहारिक नहि छैक, एतय तक जे स्वयं मधेसवादी दल जे सत्तामें पर्यन्त साझेदार छैक सेहो सभ अलग-अलग फोरम सऽ आवाज निकालय लागल छैक जे एक मधेस प्रदेश के माँग व्यवहारिक नहि छैक। एतबा नहि... मधेस एक प्रदेश के सभ सऽ पैघ बाधक एहिठाम के आदिवासी, जनजाति, मुसलिम आदि सेहो अपन पहचान मधेसी के रूपमें करय सऽ इनकार कयलाके बाद एहेन झगड़ा आ अन्तर्कलह के स्थिति उत्पन्न भेलैक जे नेपालमें एक मधेस प्रदेश के माँग लगभग अनिश्चित बनि गेलैक।

नेपालमें सभ दिन राजनीतिक निर्णयमें भारतके मुख्य भूमिका देखल गेलैक अछि। हालहि भारत के सेना प्रमुख अपन नेपाल यात्रा पर आयल समयमें प्रेसके सम्बोधित करैत कहलखिन जे नेपालमें एक मधेस प्रदेश के प्रारूप व्यवहारिक नहि छैक। नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दल नेपाली काँग्रेस, एमाले व एमाओवादी सभ एहि बात पर अपन प्रतिबद्धता जाहिर कयलक जे नेपालमें एक मधेस प्रदेश संभव नहि होयत। तखन आब मिथिलाके पहचान लेल राजनीतिक दलमें कि सोच अछि व हुनका सभके द्वारा राखल गेल प्रारूपमें मिथिला के चर्चा किऐक नहि कैल गेल अछि इत्यादि महत्त्वपूर्ण विन्दुपर मैथिल सभ सोचय लगलाह आ लगभग तीन दशक सऽ मिथिला राज्यके माँग करनिहार मिथिला राज्य संघर्ष समिति के नेतृत्वमें ई माँग राखल गेल जे मिथिला राज्य कायम कैल जाय।

एहि तरहक अनेको आन्दोलन नेपालमें सर्वत्र चलि रहल अछि। मधेसमें अन्य समूह द्वारा सेहो अपन पहचान आ क्षेत्र के अलग राज्यके रूपमें कायम करबाक लेल आन्दोलन चलि रहल अछि। लेकिन किछु धार एहनो अछि जे मधेस स्वतंत्र देश निर्माण करय लेल अपन प्रतिबद्धता जाहिर करैत आबि रहल अछि। वर्तमान हमला के जिम्मेवारी एहने एक गूट लेलक अछि जेकर माँग मधेस स्वतंत्र देश के छैक। लेकिन विडंबना एहेन छैक जे अन्य समूह द्वारा मधेसमें कैल जा रहल कोनो माँग के प्रतिकार स्वरूप आइ धैर एहेन कोनो कार्रबाई एहि भूमिगत समूह सभ द्वारा नहि कैल गेल अछि। लेकिन मिथिलाके लोक स्वभाव सऽ कोमल हृदयके आ व्यक्तिवादी सोचमें बेसी अग्रसर रहैछ तखन एहेन माँग लऽ के सड़क पर आन्दोलन करैत देखि प्रतिद्वंद्विताके भावना सऽ या अन्जान कोनो भय व आक्रोश के कारण एहेन जघन्य हमला कैल गेल संभव बुझैछ।

नेपालमें हर तरफ सऽ एहि हमलाके निन्दा भेल अछि। भूमिगत संगठन सभ सेहो एहि तरहक कार्रबाई के अपराधिक कहलक अछि। राष्ट्रसंघीय मिशन द्वारा घटनाके संज्ञान लैत नेपाल सरकार सऽ निष्पक्ष जाँच करैत आवश्यक कार्रबाई के सिफारिश कैल गेल। तहिना भारत के दूतावास द्वारा सेहो एहि घटना के भर्त्सना कैल गेल। समूचा राष्ट्रमें एक अजीब शोक-लहर पसैर गेल अछि। मिथिला क्षेत्र सँ बाहर सेहो मैथिल सभ एकर भर्त्सना आ शोक सभा कय रहल छथि। भारतमें सेहो एहि घटना पर मैथिल सभ अपन आक्रोश प्रकट कयलनि अछि। राजनीतिकर्मी सभ मिथिला राज कायम करय लेल अपन शुभकामना संदेश पठौलनि अछि। आगामी १२ मई, २०१२ के एक वृहत रैली के द्वारा श्रद्धाञ्जलि सभा जानकी मन्दिर प्राँगणमें आयोजित कैल जायत से मिथिला राज्य संघर्ष समिति के सह-संयोजक सुनील मल्लिक बतौलनि अछि। संयोजक परमेश्वर कापड़ि सेहो बम-हमलामें घायल भऽ गेल छलाह। हुनक इलाज काठमाण्डुमें चलि रहल छन्हि आ ओ खतरा सऽ बाहर छथि। एहि घटनामें मारल गेल पाँचो जनकेँ नेपाल सरकार शहीद घोषणा कयलक आ सभक परिवार के दस-दस लाख के क्षतिपूर्ति उपलब्ध कराबय के घोषणा कयलक अछि। संगहि घायल सभक बेहतरीन इलाज लेल स्वयं प्रधानमंत्री एक विशेष मिटींग करैत डाक्टर सभके निर्देशन देलनि। घटना के फोटो सभ निम्न अछि।

- प्रवीण चौधरी

मिथिला राज्य संघर्ष समिति - जनकपुर द्वारा सभा-गोष्ठीके दृश्य

जानकी नवमी दिन धरना पर बैसकी के घटना सऽ किछु काल पहिलेक दृश्य

घटनामें प्रयुक्त मोटरसाइकिल - एहि में बम लगायल गेल छल

घटना उपरान्त के दृश्य

घटनामें शहीद प्रसिद्ध रंगकर्मी रंजू झा के मृत शरीर

बम लागल मोटरसाइकिल के क्षतिग्रस्त भेलापर के दृश्य

घटना उपरान्तक दृश्य

मिथिला राज्य संघर्ष समिति - संयोजक परमेश्वर कापड़ि गंभीर घायल अबस्थामें

घटनामें घायल दीपेन्द्र दास के उद्धारकर्ता एम्बुलेन्स तरफ लऽ जाइत कालक दृश्य - ४ दिन तक भेन्टीलेटर पर रहला के बाद अन्तिम साँस लेनिहार दीपेन्द्र दास

घटना उपरान्त शहीदके अन्तिम यात्राकालके दृश्य

Prasiddh Rangkarmi Ranju Jha - Shahid bain geli Mithila Rajya ke lel - Janaki Navami ke din Janakpur me!

Ghatna me shahid 5 jan ke photo sang shraddhanjali rally lel aamantran patra

Ghatna ke virodh me Rajbiraj me aandolankaari sabh virodh sabha aa putla dahan me..

Rajbiraj ke virodh juloos

Itahari ke shok sabha

Itahari ke shok sabha

Biratnagar ke shok sabha

Biratnagar ke shok sabha

Biratnagar ke shok sabha

अपन घर के खोज नहि अन्ना के पुछारि

अपन घर के खोज नहि अन्ना के पुछारि
अपने भ्रष्ट से सोच नहि सभ्यताके बिसारि!

मिथिला राज बनाबय लेल तेलंगाना के वेट
बारीक पटुआ तीत अछि दूरक लगबी रेट!

कौआ कुचरय सांझ के खायब नहि आब गुँह
भिन्सर फेरो बिसरैत अछि दौड़ि मारय मुँह!

मोरक पाँखि पहिरि के नाचि सकय नहि जोर
पाउडर मुँह रगड़ि कतबो बनय केओ कि गोर!

नित्य नया टन्टा झाड़य मारय झटहा तीर
महाबूड़ि कोढिया मनुख बनय हमेशा वीर!

साहित्यक समुद्रमें सुन्दर सनके सम्हारि
हाइकू शेर्न्यू रूबाइ ओ गजलक देखू मारि!

चोर-चोर हल्ला मचबय गाम के भेल जगारि
भेल पुछारि जे चोर कतय चोरहि हल्ला पारि!

देख रे मूढ टेटर अपनहु माथ भरल छौ आगि
प्रवीण भनें गैरखोर बनें चोतमल काजक लागि!
रचना :- प्रवीन नारायण चौधरी

हरिः हरः!

रविवार, 29 जुलाई 2012

बाल गजल


प्रस्तुत कऽ रहल छी हम अपन पहिल बाल गजल। ई गजल एकटा बाल मजदूरक पीडा पर आधारित अछि। अहाँ सभक प्रतिक्रियाक आकांक्षी छी।
बाल गजल
करबा नै मजूरी माँ पढबै हमहूँ
नै रहबै कतौ पाछू बढबै हमहूँ

हम छी छोट सपना पैघ हमर छै गे
कीनब कार जकरा पर चढबै हमहूँ

टूटल छै मडैया आस मुदा ई छै
सोना अपन छत कहियो मढबै हमहूँ

चारू कात पसरल दुखक अन्हरिया छै
कटतै ई अन्हरिया आ बढबै हमहूँ

पढि-लिख खूब सब तरि नाम अपन करबै
जिनगी "ओम" सुन्नर ई गढबै हमहूँ
दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ
(मफऊलातु-मफाऊलातु-मफाईलुन)- एक बेर प्रत्येक पाँति मे

शनिवार, 28 जुलाई 2012

मुखिया जी देथहिन (हास्य कविता)

बेमतलब के कोनो काज राज करैत छि
हम त कहब एक्को टा खरहो ने खोंटू
अहाँ हुनका वोट द दिऔन
सब किछु त मुखिया जी देथहिन.

जबनका के बिरधा पिलसिन
बुढ़बा सब के जबनका पिलसिन
व्यर्थ समय गमाऊ त बेकारी पिलसिन
सभटा पिलसिन त मुखिया जी देथहिन.

डिग्री डिप्लोमा नहि अछि तै सँ की ?
आब पढाई लिखाई एकदम नहि करू
हरदम हुनके संपर्क में रहू
शिक्षामित्र के नोकरी त मुखिया जी देथहिन.

सरकारी खरांत हाई रे पंचायती राज
आब रही नहि गेल कोनो काज राज
बिरधा पेसन पास कराऊ कामिसन खाऊ
रुप्पैयाक बंदरबांट त मुखिया जी करथिन.

ईंटाघर वाला के इंदिरा आवास
टूटलाहा घर वाला के लागल तरास
भुखले मरी जायब त बी. प. एल.
अन्तोदय योजना में फेल भेलौहं की पास ?

अप्पन काज राज छोडि के
ब्लोकक चक्कर लगाऊ
मुखिया जी त भेंट भए जेताह
चाहो पान के खर्च त उहे देथहिन.

कमाए खटाए के अहाँ करब की ?
फुसियाँहिक हर कियक जोतब
बँटा रहल अछि सरकारी खरांत
अहाँ दौगल जाउ बाद में हमरा नहि टोकब.

मंगनी के चाउर दाइल सँ पेट भरी जायत
कहियो भुखले नहि अहाँ मरब
कोई ने अहाँ के टोके मुखिया जी ओ.के.
मुखीये जी के कहल टा अहाँ करब.

राहत पैकेज के हेरा फेरी केलन्हि
आब आंखि हुनकर चोन्हरेलैंह
सरकारी लिस्ट में अहींक नाम टा अछि
ओई पर साइन त मुखिया जी करथिहीन.

हँ मे हँ मिलाऊ (हास्य कविता)

खादिक अंगा पहिर पार्टि ऑफिस मे जल्दी आऊ
शहर बजार खूम दंगा कराऊ
करू चापलूसी एक्को रति ने लजाऊ
नेता जी के हँ मे हँ मिलाऊ।

चुनावी घोषणा भ गेल त
टिकट लेल खूम जोर लगाऊ
देखब कहिं टिकट ने कटि जाए
तहि दुआरे हुनके हँ मे हँ मिलाऊ।

एहि बेर टिकट ने भेटल त
पार्टि ऑफिस के खूम चक्कर लगाऊ
आलाकमान के गप मानू हुनका लेल जिलेबी छानू
अहाँ टिकट दुआरे हुनके हँ मे हँ मिलाऊ।।

क्षेत्रक विकास लेल त
हम ई करब ओ करब
कोनो ठीक नहि चुनाव जीतलाक बाद
अहाँ अप्पन जेबी टा भरब।।

घोषणा पत्र मे रंग बिरंगक ऑफर
चुनावी जनसभा मे खूम चिचियाउ
एलक्सन जीतलाक बाद किछु ने करू
सरकारी रूपैया सँ विदेश यात्रा पर जाऊ।।

नहि लोकसभा त विधानसभा
एहि बेर नहि त अगिला बेर
टिकट त चाहबे करी किछु करू
अहाँ कोनो बड़का नेता के पैर पकरू।।

एलक्सन लड़ब हारब की जीतब
ई त बड्ड नीक धंधा छैक
एहेन रोजगार फेर नहि भेटत
एकरा आगू आन चिज त मंदा छैक।।

जतैए देखू ततैए एलेक्सन
साहित्य खेल आ संसद भवन
सभ ठाम भेटत एकर कनेक्सन
कुर्सी भेटत कि नहि तकरे अछि टेंशन।।

देशक जनता जाए भांड़ मे
हमरा कोन अछि मतलब
अपना स्वार्थ दुआरे एलक्सन लड़ब
खुलेआम कहू एक्को रति ने लजाऊ।।

लेखक:- किशन कारीगर

हजल

गदहराज धन्य छी दियS  सदबुद्धि हमरो अहाँ
उपर लदने बोझ नै आँखि देखाबी ककरो अहाँ

धियान मग्न रहि मधुर तान ढेंचू-ढेंचू करै छी
मन्त्र  जनैत छी शास्त्रीय गायन कए सगरो अहाँ

मनुख पबैत सम्मान विशेष नाम अहीँक ल ' क '
बिन आपति बर्दास्त करी नहि करी झगरो अहाँ

स्वर्ग गेलौं लागले छान ई कथा जगजाहिर अछि
करु पैरबी कनी हमर बियाहक  जोगरो अहाँ

गृहस्थक जुआ कान पर 'मनु' खटब आब कोना
दिय ' गदहपन जँ बुझलौं अपन हमरो अहाँ

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१९)
जगदानन्द झा 'मनु'   

गुरुवार, 26 जुलाई 2012

मधुरगर टोन (Madhurgar Ton)

नाओं बियाहक सुनिते देरी लागल घटकक लाइन 
अही लगन में हमहूँ भंसितौ ज' बाबू जैतथि माइन

भोरे भोरे पहुँचिते दफ्तर कोनो सज्जन केला फोन 
कुशल-छेम अभिवादन केलियन्हि बना मधुरगर टोन
गाम ठाम सभ पूछि क' धड़ द' पूछि देलाह दरमाहा 
बिनु संकोचे सुना देलहुं हम साल भरिक बन्हलाहा
भेला प्रभावित वार्तालापे कहला प्रोफाइलो सुपरफाइन
अही लगन में हमहूँ भंसितौ ज' बाबू जैतथि माइन

बाबूजीक छन्हि मांग कते की से हम की बूझ' गेलियै  
पूछक हिम्मत कोना क' करबन्हि हम त' बच्चे भेलियै 
एतबा अछि विश्वास मोन में जे किछु करताह से नीके 
पुतोहु चुन' में कम्प्रोमाइज ने करता तखन डर कथीके 
बेटा बेच नै पाई कमेता चाहे देथिन्ह कियो कतबो गाइन
अही लगन में हमहूँ भंसितौ ज' बाबू जैतथि माइन

रंग बिरंगक कपड़ा पहिरी रोजे रोज छंटाबी कानी 
लोक कहय से क्रीम लगाबी जेकरहु नाम ने जानी 
सुन्नर कनियाँ भेटतीह हमरो देखी मोन में सपना 
सजतै जोड़ी चान-चकोरिक "बौआभाई" केर अंगना 
मोन छलय जे लेखक छी त' कनियाँ भेटथि गीतगाइन   
अही लगन में हमहूँ भंसितौ ज' बाबू जैतथि माइन

गजल


नेन्ना हम    मए केँ आँखि जूराएब
मिथिला केँ अपन  सोना सँ चमकाएब

मूरत सभ घरे रामे सिया केँ देखु
एहन आँन  कतए  मेल  देखाएब 

गंगा बसति पावन घर घरे मिथिलाक 
डुबकी मारि कमला घाट नाहाएब

मुठ्ठी भरि बिया भागक अपन हम रोपि
अपने माटि में हँसि हँसि कँ गौराएब 

'मनु' दै सपत घर घुरि आउ काका बाबु  
नेन्ना केँ कखन तक कोँढ ठोराएब 

(बहरे रजज, २२२१) 
जगदानन्द झा 'मनु'  :  गजल संख्या -६५  

शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

बाल-गजल



बिनु पानिक  नाउ चलाएब हम 
बिनु चक्काक गाडी बनाएब हम 

हमर मोन में तँ जेँ किछु आएत 
बिन सोचने सभ सुनाएब  हम 

अपन ब्याह में हम नहि जाएब 
सराध दिन बजा बजाएब  हम 

कनियाँ केँ लय ओकर नैहर सँ 
सासुर सँ खूब  कतियाएब हम

'मनु' मन चंचल टोनए सभकेँ 
केकरो हाथ नै घुरि आएब हम  

(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१३)
जगदानन्द झा 'मनु'